आक्रमणकारियों की जगह आदर्शों का प्रयोग: वास्तविक भारतीय नायकों का सम्मान करती है कक्षा 8 की नई एनसीईआरटी पुस्तक

महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है एनसीईआरटी की कक्षा 8 की संशोधित अंग्रेजी पाठ्यपुस्तक "पूर्वी": अब छात्र भारत के अपने आदर्शों के साहस, विज्ञान, बुद्धि और सेवा की कहानियों से जुड़ेंगे।

आक्रमणकारियों की जगह आदर्शों का प्रयोग: वास्तविक भारतीय नायकों का सम्मान करती है कक्षा 8 की नई एनसीईआरटी पुस्तक

एनसीईआरटी की नई किताब "पूर्वी"

काफी समय तक, भारत में स्कूली बच्चों को मुगल और मुस्लिम आक्रमणकारियों की गौरवशाली कहानियां पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता रहा, जिन्होंने मंदिरों को नष्ट किया, धन लूटा और मूल हिंदू आबादी का दमन किया। ये कहानियां भारत के सभ्यतागत मूल्यों में योगदान देने वाले वास्तविक नायकों पर भारी पड़ती थीं। लेकिन अब, इसमें ऐतिहासिक सुधार किया जा रहा है। एनसीईआरटी की कक्षा 8 की संशोधित अंग्रेजी पाठ्यपुस्तक “पूर्वी” एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। एनसीईआरटी की नई किताब से अब छात्र भारत के अपने आदर्शों के साहस, विज्ञान, बुद्धि और सेवा की कहानियों से जुड़ेंगे। यह केवल पाठ्यक्रम में बदलाव नहीं है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक गाथा का दावा है।

भारतीय विचारों से प्रेरित पाठ्यपुस्तक

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफएसई) 2023 के तहत व्यापक सुधारों के एक हिस्से के रूप में, एनसीईआरटी ने कक्षा 8 की नई अंग्रेजी पाठ्यपुस्तक “पूर्वी” का अनावरण किया है। एनसीईआरटी की नई किताब यूरोपीय-केंद्रित विषय-वस्तु के स्थान पर स्वदेशी कहानियों और पात्रों को शामिल करती है, जो भारतीय मूल्यों, भावनाओं और विरासत को मूर्त रूप देते हैं। एनसीईआरटी के अनुसार, यह नई पुस्तक पांच विषयगत इकाइयों पर आधारित है: बुद्धि और ज्ञान, मूल्य और स्वभाव, रहस्य और जादू, पर्यावरण और विज्ञान व जिज्ञासा।

प्रस्तुत की गईं भारतीय उपलब्धियां

इसके तहत पिछली पाठ्यपुस्तकों के औपनिवेशिक प्रभाव से हटकर, पूर्वी पुस्तक में भारतीय ज्ञान प्रणालियों, लोक परंपराओं और वैज्ञानिक उपलब्धियों से प्रेरित कथाएं प्रस्तुत की गई हैं। प्रस्तुत की गई विभूतियों में भारत के प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा, डेयरी क्षेत्र में क्रांति लाने वाले भारत के दुग्ध पुरुष वर्गीज़ कुरियन और भारत की पहली महिला कण भौतिक विज्ञानी बिभा चौधरी शामिल हैं। इनका समावेश भारत में निहित आदर्शों को प्रस्तुत करने की दिशा में एक निर्णायक मोड़ का संकेत देता है।

विषय जो छात्रों के जीवन और वास्तविकताओं से जुड़े हैं

पूर्वी पुस्तक का विषयगत दृष्टिकोण सीखने को वास्तविक जीवन के अनुभवों से जोड़ने पर केंद्रित है। “बुद्धि और बुद्धिमत्ता” इकाई में तेनाली राम की कहानियां शामिल हैं, जिनमें लोककथाओं का उपयोग बुद्धिमत्ता और समस्या-समाधान सिखाने के लिए किया गया है। “मूल्य और स्वभाव” खंड में बड़गाम के युद्ध में मेजर सोमनाथ शर्मा की बहादुरी की प्रेरक कहानी बताई गई है और इसमें वर्गीज़ कुरियन की आत्मकथा “आई टू हैड अ ड्रीम” का एक अंश भी शामिल है, जो निस्वार्थ सेवा के महत्व पर प्रकाश डालता है।

“रहस्य और जादू” रचनात्मक लेखन और कविता के माध्यम से छात्रों की कल्पनाशीलता को उजागर करता है, जबकि “पर्यावरण” में रस्किन बॉन्ड और सरोजिनी नायडू जैसे भारतीय लेखकों की रचनाएँ प्रकृति और पारिस्थितिक जागरूकता पर केंद्रित हैं। अंत में, “विज्ञान और जिज्ञासा” खंड में बिभा चौधरी पर एक अध्याय शामिल है, जो यह दर्शाकर लड़कियों को STEM क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है कि भारतीय महिलाओं ने वैज्ञानिक प्रगति में कैसे योगदान दिया है।

भारतीय ज्ञान, लैंगिक संवेदनशीलता और समावेश का उत्सव

पूर्वी, लैंगिक संवेदनशीलता, समावेश और भारतीय ज्ञान प्रणालियों (आईकेएस) जैसे परस्पर-समावेशी मूल्यों को भी एकीकृत करने का प्रयास करती है। उदाहरण के लिए, बिभा चौधरी का समावेश न केवल वैज्ञानिक अन्वेषण को बढ़ावा देता है, बल्कि विज्ञान में लैंगिक रूढ़ियों को भी चुनौती देता है। इसी प्रकार, पारिस्थितिक विषय और लोक कथाएं भारत की दीर्घकालिक स्थिरता और प्रकृति के साथ सामंजस्य की परंपराओं को रेखांकित करती हैं। यह पुस्तक भारतीय विरासत की विविधता और गहराई को प्रतिबिंबित करने का सचेत प्रयास करती है। यह उन क्षेत्रीय भाषाओं, सांस्कृतिक प्रथाओं और परंपराओं से प्रेरणा लेती है, जिन्हें अक्सर पुराने पाठ्यक्रमों में हाशिए पर रखा जाता था। ऐसा करते हुए, यह शिक्षार्थियों में सहानुभूति, आलोचनात्मक सोच और सौंदर्यबोध को विकसित करती है और साथ ही राष्ट्रीय गौरव का संचार करती है।

‘पूर्वी’ सांस्कृतिक प्रतिध्वनि का एक राग

पूर्वी नाम का अपने आप में सांस्कृतिक महत्व है। एक भारतीय शास्त्रीय राग के नाम पर रखा गया यह शब्द शांति और आत्मनिरीक्षण का आह्वान करता है। पाठ्यपुस्तक में लिखा है कि “भारतीय संगीत में प्रत्येक राग का अपना भावनात्मक महत्व होता है, जो शिक्षार्थियों की यात्रा में शांति और चिंतन की भावना जगाता है।” भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ यह जुड़ाव, परंपरा को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ने की पुस्तक की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

जानकारी हो कि पूर्वी का शुभारंभ एक व्यापक, चरणबद्ध पाठ्यक्रम परिवर्तन का हिस्सा है। 2023 में कक्षा 1 और 2 के लिए और 2024 में कक्षा 3 और 6 के लिए नई पुस्तकें शुरू करने के बाद, वर्ष 2025 में कक्षा 4, 5, 7 और 8 के लिए पाठ्यपुस्तकें शुरू की जाएंगी। यह सुधार केवल शैक्षणिक ही नहीं, बल्कि वैचारिक भी है। यह ऐसे शैक्षिक दर्शन पर ज़ोर देता है जो भारत के सभ्यतागत मूल्यों को अपने मूल में रखता है।

राष्ट्रवादी और सत्यनिष्ठ शिक्षा की ओर

पूर्वी का प्रकाशन भारतीय शिक्षा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अब छात्रों को इतिहास के एकतरफा संस्करण का सामना नहीं करना पड़े,गा जो आक्रमणकारियों की प्रशंसा करता है और वास्तविक भारतीय नायकों की उपेक्षा करता है। अब वीरता, ज्ञान, विज्ञान और सेवा पर ध्यान केंद्रित करते हुए, पूर्वी भारतीयों की एक नई पीढ़ी की नींव रखती है, जो अपनी जड़ों को समझती और सराहती हैं। यह केवल साहित्य या भाषा शिक्षा के बारे में नहीं है। यह राष्ट्रीय पहचान और गौरव के बारे में है। जैसे-जैसे भारत अमृत काल की ओर आत्मविश्वास से आगे बढ़ रहा है, पूर्वी जैसे शैक्षिक सुधार यह सुनिश्चित करेंगे कि युवा एक सत्यनिष्ठ, प्रेरणादायक और भारत-केंद्रित विश्वदृष्टि को आगे बढ़ाएं।

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