BRICS का सख्त संदेश: पहलगाम हमले की निंदा, आतंकवाद पर दोहरे मापदंड अस्वीकार्य

आतंकवाद को 'कतई बर्दाश्त न करने' की नीति पर BRICS की मुहर

BRICS का सख्त संदेश: पहलगाम हमले की निंदा, आतंकवाद पर दोहरे मापदंड अस्वीकार्य

ब्रिक्स देशों ने 6 जुलाई, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की। ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में चल रहे दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के पहले दिन, ब्रिक्स देशों के शीर्ष नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ अपने सख्त रुख को दोहराया। उन्होंने आतंकवाद को ‘कतई बर्दाश्त न करने’ की नीति अपनाने तथा इसके मुकाबले में दोहरे मापदंडों को त्यागने पर जोर दिया। इस दिशा में भारत के दृढ़ रुख को भी समूह ने समर्थन दिया।

आतंकवाद के खिलाफ ब्रिक्स का संयुक्त रुख

ब्रिक्स देशों ने आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही, आतंकवाद के वित्तपोषण और आतंकवादियों को सुरक्षित ठिकाने मुहैया कराने सहित सभी रूपों के आतंकवाद से लड़ने की प्रतिबद्धता जताई। ‘रियो डी जेनेरियो घोषणापत्र’ में इन प्रतिबद्धताओं को दोहराते हुए कहा गया कि आतंकवाद का मुकाबला करने में किसी भी तरह के दोहरे मापदंड बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। इस घोषणापत्र में आतंकवाद के खतरे, पश्चिम एशिया की स्थिति, व्यापार एवं शुल्क जैसे वैश्विक मुद्दों पर समूह के रुख को भी शामिल किया गया।

ब्रिक्स नेताओं ने आतंकवादियों की सीमापार आवाजाही को एक गंभीर समस्या माना और इसका कड़ा मुकाबला करने की बात कही। उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पूरी तरह पालन करने और आतंकवादी खतरों को रोकने के लिए देशों की प्राथमिक जिम्मेदारी पर बल दिया। इस संबंध में, समूह ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की भी मांग की।

सीमा पार आतंकवाद का संदर्भ पाकिस्तान पर

हालांकि घोषणापत्र में किसी देश का नाम नहीं लिया गया, लेकिन सीमा पार आतंकवाद का संदर्भ आमतौर पर पाकिस्तान पर केंद्रित माना जा रहा है। भारत की ओर से इस मुद्दे पर विशेष जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकवादी हमला न केवल भारत, बल्कि पूरी मानवता पर हमला था। उन्होंने इस हमले की निंदा करते हुए विश्व समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने शिखर सम्मेलन में कहा कि आतंकवाद आज मानवता की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। उन्होंने पहलगाम हमले को भारत की आत्मा, पहचान और गरिमा पर हमला बताया। मोदी ने कहा कि इस कठिन समय में भारत को मिले अंतरराष्ट्रीय समर्थन और सहानुभूति के लिए वे सभी देशों के आभारी हैं जिन्होंने साथ दिया। मोदी ने वैश्विक शासन सुधार की भी बात की और कहा कि 20वीं सदी में स्थापित वैश्विक संस्थान आज के समय के हिसाब से पूरी तरह प्रभावी नहीं हैं। उन्होंने वैश्विक दक्षिण देशों को उचित प्रतिनिधित्व न मिलने को वैश्विक संस्थानों की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता के लिए चुनौती बताया।

वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियां

ब्रिक्स समूह ने वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में हो रहे बदलावों और व्यापार में एकतरफा टैरिफ व गैर-टैरिफ उपायों के बढ़ते प्रभाव पर भी चिंता जताई। इसे अमेरिका की नीतियों के संदर्भ में देखा जा रहा है। इसके अलावा, ब्रिक्स नेताओं ने विश्व के कई हिस्सों में चल रहे संघर्षों और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में ध्रुवीकरण और विखंडन की समस्या पर भी गंभीर चिंता प्रकट की।

‘रियो डी जेनेरियो घोषणापत्र’ में कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्रों की स्थिति को लेकर भी ब्रिक्स ने अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। समूह ने इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए सभी पक्षों से बातचीत और सहयोग की अपील की।

ब्रिक्स समूह ने आतंकवाद-रोधी सहयोग को और मजबूत करने का संकल्प लिया। समूह ने आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर ठोस कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह स्पष्ट किया गया कि आतंकवाद को समाप्त करना केवल एक देश का काम नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की सामूहिक जिम्मेदारी है।

 

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