भारतीय सेना ने हाल ही में लद्दाख क्षेत्र में समुद्र तल से 15,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्वदेशी आकाश प्राइम एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण कर एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह परीक्षण सेना की वायु रक्षा इकाई और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में किया गया, जिन्होंने इस मिसाइल प्रणाली को विकसित किया है। यह परीक्षण भारत की रक्षा क्षमताओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, खासकर उन जगहों के लिए जो देश की सुरक्षा के लिहाज़ से बहुत अहम है।
परीक्षण में क्या हुआ?
परीक्षण के दौरान, आकाश प्राइम मिसाइल सिस्टम ने अत्यधिक तेज गति से उड़ने वाले लक्ष्य विमानों को दो बार सीधे और सटीक निशाना बनाया। यह परीक्षण लद्दाख की ऊँची और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में किया गया, जहाँ ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है और मौसम अत्यधिक ठंडा रहता है। इन चुनौतीपूर्ण हालातों में भी इस मिसाइल सिस्टम की सटीकता, क्षमता और विश्वसनीयता ने सैन्य अधिकारियों और रक्षा विशेषज्ञों को अत्यंत प्रभावित किया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह प्रणाली निकट भविष्य में भारतीय सेना की तीसरी और चौथी आकाश रेजिमेंट का हिस्सा बनेगी, जिससे भारत की वायु सुरक्षा प्रणाली को नई मजबूती मिलेगी।
आकाश प्राइम का इतिहास और विशेषताएँ
आकाश प्राइम, DRDO द्वारा विकसित आकाश मिसाइल सिस्टम का एक उन्नत संस्करण है। यह एक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जो दुश्मन के लड़ाकू विमानों, ड्रोन्स और अन्य हवाई लक्ष्यों को ट्रैक करके सटीकता से नष्ट करने में सक्षम है। इस सिस्टम की खासियत यह है कि यह अत्यधिक ऊँचाई वाले इलाकों और बेहद ठंडे मौसम में भी पूरी तरह कार्यशील रहता है। इसकी ऑपरेशनल रेंज, लक्ष्य को ट्रैक करने की क्षमता और सटीक मार की विशेषता इसे भारत की सबसे प्रभावी वायु रक्षा प्रणालियों में से एक बनाती है।
ऑपरेशन सिंदूर में भूमिका और सफलता
ऑपरेशन सिंदूर भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में उत्पन्न तनाव के दौरान संचालित एक अहम सैन्य ऑपरेशन था। इस अभियान में आकाश प्राइम मिसाइल प्रणाली ने रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान दुश्मन द्वारा प्रयोग किए जा रहे चीनी तकनीक से युक्त लड़ाकू विमानों और तुर्की निर्मित ड्रोन्स को सफलतापूर्वक मार गिराया गया। इससे भारत की वायु सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित हुई। इस अभियान की सफलता ने न केवल आकाश प्राइम की ताकत को प्रदर्शित किया, बल्कि विश्व स्तर पर इसकी विश्वसनीयता और दक्षता को भी प्रमाणित किया।
परीक्षण क्यों था महत्वपूर्ण?
- अत्यधिक ऊँचाई पर सफलता- लद्दाख जैसी दुर्गम और चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों में, जहाँ वातावरण दुर्बल और तापमान अत्यधिक निम्न होता है, वहाँ किसी भी मिसाइल प्रणाली का सफल परीक्षण तकनीकी श्रेष्ठता का परिचायक है।
- 100% स्वदेशी तकनीक- यह पूरी प्रणाली भारत में ही विकसित की गई है, जो न केवल ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि भारत को आयात पर निर्भरता से भी मुक्त करती है।
- वायु सुरक्षा में मजबूती- आकाश प्राइम प्रणाली सीमावर्ती इलाकों में दुश्मन के हवाई हमलों, ड्रोन्स और तेज़ रफ्तार विमानों से प्रभावी सुरक्षा प्रदान करती है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भविष्य की तैयारी और तैनाती
परीक्षण की सफलता के बाद, आकाश प्राइम को शीघ्र ही भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा। यह प्रणाली सिर्फ सीमावर्ती क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि देश के भीतर स्थित संवेदनशील सैन्य और सामरिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए भी तैनात की जा सकती है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिस्टम भारत की वायु रक्षा नेटवर्क को आने वाले वर्षों में और अधिक प्रभावी और व्यापक बनाएगा, विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों द्वारा उत्पन्न बढ़ते खतरों के परिप्रेक्ष्य में।
आकाश प्राइम मिसाइल प्रणाली का यह सफल परीक्षण भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह न केवल तकनीकी दृष्टि से भारत की शक्ति को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत आज अपनी सुरक्षा जरूरतों को स्वदेशी तकनीक के माध्यम से पूरा करने में सक्षम है।
यह परीक्षण भारत की सेना के आत्मविश्वास को बढ़ाता है और यह भी दर्शाता है कि उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर है। आने वाले समय में, आकाश प्राइम जैसी प्रणालियाँ भारत को किसी भी हवाई खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद करेंगी।