खालिस्तानी तत्वों से जुड़ाव के आरोप?
पिछले कुछ हफ्तों से सोशल मीडिया पर जस्मीत बैंस पर खालिस्तानी एजेंडा चलाने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। वो खासकर उस विवादित कैलिफोर्निया बिल Assembly Bill 3027 (अब Senate Bill 509) की सह-प्रस्तावक हैं, जो अमेरिका में बसे भारतीय प्रवासी समुदायों की निगरानी और दमन को रोकने का दिखावा करता है लेकिन असल में यह बिल सामान्य हिंदू और भारतीय मूल के लोगों को विदेशी एजेंट के रूप में दिखाने की साजिश है। इस बिल को खालिस्तानी समर्थक लोग खुले दिल से सपोर्ट कर रहे हैं, जो साफ दिखाता है कि बैंस किसकी झोली में हैं।
इसके अलावा, जस्मीत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों को ‘नरसंहार’ करार देने वाला प्रस्ताव भी पास कराया है। यह साफ है कि ऐसे प्रस्तावों के जरिये वह अलगाववादी और खालिस्तानी ताकतों को बढ़ावा दे रही हैं, जो देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय समुदाय के लोगों की तरफ से इसे भड़काऊ और देशविरोधी बताया जा चुका है, लेकिन जस्मीत अपनी गलतियों पर आंखे बंद किए बैठी हैं।
अंतरराष्ट्रीय घटनाओं से गरमाया मामला
2023 में अमेरिकी न्याय विभाग ने एक भारतीय नागरिक पर खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। ठीक उसी वक्त, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी भारत पर खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में सीधे तौर पर शामिल होने का गंभीर आरोप लगाया था।
इन दोनों घटनाओं के बीच, जस्मीत बैंस और उनकी साथी विधायक अन्ना कैबेल्लेरो और एस्मेराल्डा सोरिया ने विवादित SB 509 बिल को आगे बढ़ाया। इससे भारतीय-अमेरिकी समुदाय में भारी चिंता पैदा हो गई कि यह कानून भारतीय मूल के लोगों पर निगरानी और संदेह का नया रास्ता खोल सकता है। हालांकि, सिख अधिकार समूहों ने इस बिल का समर्थन करते हुए इसे हाशिए पर पड़े समुदायों की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया है। लेकिन कई भारतीय-अमेरिकी संगठनों को यह कदम भारत विरोधी और विभाजनकारी नजर आ रहा है।
जस्मीत बैंस को लेकर प्रवासी समुदाय की चिंताएं
जस्मीत बैंस की लोकप्रियता में बढ़ोतरी ने अमेरिका में भारतीय प्रवासी समुदाय के अंदर गहरे मतभेदों को सामने ला दिया है। हिंदू संगठनों का कहना है कि उनके कदम धार्मिक तनाव बढ़ाने वाले हैं और मानवाधिकार के नाम पर चरमपंथी खालिस्तानी सोच को बढ़ावा मिल रहा है। उत्तरी अमेरिका के हिंदुओं के गठबंधन (CoHNA) और हिंदू अमेरिकी फाउंडेशन (HAF) जैसे संगठन इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि राजनीतिक माहौल में हिंदू-विरोधी भावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। हालांकि, इन संगठनों ने सीधे तौर पर जस्मीत बैंस का नाम नहीं लिया है।
कुछ प्रवासी समुदाय के लोगों ने उन्हें ‘अगली इल्हान उमर’ तक कह डाला है। उमर अमेरिका की विवादित कांग्रेस सदस्य हैं और उन पर सांप्रदायिक दंगे भड़काने का आरोप है। सोशल मीडिया और चुनावी मंचों पर ‘हिंदू-विरोधी’, ‘भारत-विरोधी’ और ‘खालिस्तानी एजेंट’ जैसे आरोप भी जस्मीत के खिलाफ जोर पकड़ रहे हैं।
कौन हैं जस्मीत बैंस?
जस्मीत बैंस का जन्म और पालन-पोषण कैलिफोर्निया के सेंट्रल वैली में हुआ। वह एक पहली पीढ़ी की भारतीय-अमेरिकी हैं और एक प्रैक्टिसिंग फैमिली डॉक्टर के रूप में भी काम करती रही हैं। 2022 में उन्होंने कैलिफोर्निया असेंबली का चुनाव जीता और स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और नागरिक अधिकारों पर केंद्रित कानून बनाए।
अपने कांग्रेस अभियान के लॉन्च के दौरान उन्होंने कहा, “मैं डॉक्टर बनी ताकि लोगों को ठीक कर सकूं, और राजनीति में इसलिए आई ताकि समाज को भी ठीक किया जा सके।” उनके समर्थकों का मानना है कि जस्मीत डेमोक्रेटिक राजनीति का एक उभरता सितारा हैं, जो जमीनी मुद्दों पर काम करना चाहती हैं। लेकिन अब खालिस्तान और भारत विरोध जैसे आरोप उनके पूरे एजेंडे को पहचान की राजनीति और अंतरराष्ट्रीय विवादों में उलझा सकते हैं।
अब आगे क्या?
अब तक जस्मीत बैंस ने खालिस्तान को लेकर उठ रहे आरोपों पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, न ही उन्होंने भारत की एकता या अलगाववाद पर अपना रुख स्पष्ट किया है। जैसे-जैसे उनका कांग्रेस अभियान आगे बढ़ेगा, उनके पुराने फैसलों और रुख पर जांच और आलोचना और तेज़ हो सकती है। कैलिफोर्निया के राजनीतिक रूप से सक्रिय भारतीय-अमेरिकी वोटरों के सामने अब बड़ा सवाल है कि क्या जस्मीत बैंस एक प्रगतिशील और समावेशी नेता हैं, या फिर वह एक ऐसी शख्सियत हैं जो भारत-विरोधी और अलगाववादी विचारधारा के साथ जुड़ाव रखती हैं? इस सवाल का जवाब न केवल उनके चुनावी भविष्य को तय करेगा, बल्कि अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी राजनीति की दिशा भी बदल सकता है।