हरियाणा के नूंह जिले से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां दो नाबालिग लड़कों ने सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स बढ़ाने की चाह में एक मुस्लिम महिला सांसद की गरिमा के साथ ही खिलावाड़ कर दिया है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से उत्तर प्रदेश के कैराना से समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा मुनव्वर हसन का अश्लील वीडियो बना डाला और फर्जी फेसबुक अकाउंट से उसे पोस्ट भी कर दिया।
यह वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया और आखिरकार खुद सांसद तक भी पहुंच गया। वीडियो में उन्हें एक युवक के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था। जब सांसद इकरा हसन ने इसकी सच्चाई जाननी चाही तो उन्हें पता चला कि वीडियो हरियाणा के नूंह जिले से बनाया गया है। उन्होंने तुरंत कांग्रेस की महिला जिलाध्यक्ष रजिया बानो को फोन कर इसकी जानकारी दी।
रजिया बानो ने देर रात सामाजिक संगठनों के साथ आमका गांव पहुंचकर मामले की तह तक जाने की कोशिश की। गांव में खोजबीन के बाद दो लड़कों की पहचान हुई। पता चला कि दोनों अनपढ़ हैं और तकनीक की सतही समझ रखते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने यह वीडियो सिर्फ ‘फॉलोअर्स बढ़ाने’ के लिए बनाया। लड़कों ने सांसद के नाम से फेसबुक अकाउंट बनाकर दो फर्जी वीडियो अपलोड किए थे। गांव में रात को पंचायत बुलाई गई। पंचायत में जब दोनों लड़कों से सवाल पूछे गए, तो उन्होंने सिर झुकाकर अपनी गलती कबूल की। सरपंच और गांववालों की मौजूदगी में दोनों से कान पकड़वा कर माफी मंगवाई गई। कुछ लोगों ने नाराज़गी में उन्हें पीट भी दिया। उनके परिवार वालों ने भी माफी मांगी और भरोसा दिलाया कि ऐसा दुबारा नहीं होगा।
जब यह बात सांसद इकरा हसन तक पहुंची, तो उन्होंने साफ शब्दों में नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि “मैं मेवात समाज की बेटी हूं और मेरे साथ ऐसा व्यवहार न केवल मेरे लिए, बल्कि पूरे समाज की बेइज्जती है।” शुरुआत में उन्होंने इस मामले में कार्रवाई की बात कही। गांव के एक वकील ने सांसद से बात करते हुए बताया कि लड़के बहुत छोटी उम्र के हैं। उन्होंने समाज की ओर से माफी मांगी और शर्मिंदगी जताई। सांसद ने भी सद्भावना दिखाते हुए दोनों लड़कों को माफ कर दिया है।
पुलिस से की गई थी शिकायत
इकरा हसन के एक समर्थक इमरान नदवी ने X पर इसकी शिकायत पुलिस से की थी। नदवी ने ‘इकरा हसन चौधरी एमपी’ नाम के उस फर्जी अकाउंट पर भी कार्रवाई की मांग की जिससे यह वीडियो अपलोड किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, DGP के आदेश के बाद शामली पुलिस ने मामले की जिम्मेदारी साइबर सेल को सौंप दी है। साथ ही, वीडियो और फर्जी अकाउंट्स की जांच भी की गई थी। शामली के एसपी रामसेवक गौतम ने कहा है कि आरोपियों की पहचान होते ही गिरफ्तारी कर सख्त कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, पुलिस इस मामले पर कुछ भी कहने से बच रही है।
दावा किया गया है दोनों युवक मुस्लिम थे और सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि इस तरह दोनों को माफ कर दिए जाने का क्या मतलब है? जब एक सांसद की आपत्तिजनक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाली जाए और उसके जवाब में बस माफीनामा स्वीकार कर लिया जाए तो क्या यह भारत के कानून के हिसाब से भी सही है? क्या देश की अदालतों द्वारा बनाए गए नियमों के तहत इन दोनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए थी?
क्या देश की अदालतों के द्वारा बनाए गए कानून किसी की निजी अदालतों से भी छोटे हो सकते हैं? ऐसी घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि तकनीक का इस्तेमाल अगर गलत हाथों में चला जाए तो कितना नुकसानदायक हो सकता है। यह घटना केवल एक सांसद की आपत्तिजनक वीडियो की कहानी नहीं है यह उस समाज की तस्वीर भी है जहां सस्ती लोकप्रियता के लिए इंसानियत की सीमाएं पार कर दी जाती हैं।