मेरे जीजा को 10 सालों से परेशान कर रही सरकार: ज़मीन घोटाले के आरोपी रॉबर्ट वाड्रा के समर्थन में आए राहुल गांधी

कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार ने इन आरोपों को 'राजनीतिक प्रतिशोध' बताकर खारिज करती रही है

राहुल गांधी, रॉबर्ट वाड्रा, प्रियंका वाड्रा और सोनिया गांधी (बाएं से दाएं)

राहुल गांधी, रॉबर्ट वाड्रा, प्रियंका वाड्रा और सोनिया गांधी (बाएं से दाएं)

कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने जीजा रॉबर्ट वाड्रा और बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के समर्थन में एक बयान जारी किया है। इससे पहले गुरुवार (17 जुलाई) को वाड्रा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चार्जशीट दायर की थी और यह पहली बार था कि किसी जांच एजेंसी ने वाड्रा के खिलाफ किसी आपराधिक मामले में चार्जशीट दायर की है। यह मामला हरियाणा के मानेसर-शिकोहपुर (अब सेक्टर 83), गुरुग्राम में विवादित भूमि सौदे से जुड़ा है। चार्जशीट में कई अन्य व्यक्तियों और फर्मों के नाम भी शामिल हैं। कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार ने इन आरोपों को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ बताकर खारिज करती रही है और अब राहुल गांधी ने भी इस पर बयान जारी किया है।

राहुल गांधी ने रॉबर्ट वाड्रा पर क्या कहा?

राहुल गांधी ने अपने आधिकारिक ‘X’ हैंडल पर लिखा, “मेरे जीजा को पिछले दस सालों से यह सरकार परेशान कर रही है। हालिया आरोपपत्र उसी साजिश का एक और हिस्सा है। मैं रॉबर्ट, प्रियंका और उनके बच्चों के साथ खड़ा हूं, क्योंकि उन्हें दुर्भावनापूर्ण, राजनीतिक रूप से प्रेरित बदनामी और उत्पीड़न का एक और हमला झेलना पड़ रहा है।” उन्होंने आगे कहा, “मुझे पता है कि वे सभी किसी भी तरह के उत्पीड़न का सामना करने के लिए पर्याप्त बहादुर हैं और वे इसे गरिमा के साथ जारी रखेंगे। सच्चाई आखिरकार सामने आएगी।”

शिकोहपुर मामला क्या है?

यह मनी लॉन्ड्रिंग मामला गुरुग्राम के शिकोहपुर में फरवरी 2008 में हुए एक भूमि सौदे से जुड़ा है, जिसमें स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी नामक कंपनी, जिसकी निदेशक वाड्रा थे, ने ₹7.5 करोड़ में 3.5 एकड़ जमीन ऑनकारेश्वर प्रॉपर्टीज से खरीदी थी। उस समय भूपिंदर सिंह हुड्डा की कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। चार साल बाद, सितंबर 2012 में, कंपनी ने यह जमीन रियल्टी दिग्गज डीएलएफ को ₹58 करोड़ में बेच दी।

यह सौदा अक्टूबर 2012 में विवादास्पद हो गया, जब हरियाणा के भूमि समेकन एवं अभिलेख महानिदेशक और रजिस्ट्रेशन के निरीक्षक-जनरल अशोक खेमका ने इस म्यूटेशन को रद्द कर दिया। उन्होंने इसे राज्य समेकन अधिनियम और संबंधित प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताया। स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी और डीएलएफ ने 2008 में तीन एकड़ प्लॉट ₹58 करोड़ में डीएलएफ को बेचने का समझौता किया था। बिक्री विलेख डीएलएफ के नाम दर्ज किया गया।

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