जैसलमेर में छतरी निर्माण को लेकर मुसलमानों ने जमकर किया बवाल, पत्थरबाजी और लाठीचार्ज में तीन लोग जख्मी

बासनपीर गांव में छतरियों को लेकर विवाद कोई नया नहीं है। इससे पहले वर्ष 2019 में भी इन्हें गिरा दिया गया था, तब भी पुनर्निर्माण का विरोध किया गया था।

जैसलमेर में छतरी निर्माण को लेकर दो पक्षों में जमकर बवाल, पत्थरबाजी और लाठीचार्ज में तीन लोग जख्मी

गांव में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात

राजस्थान जैसलमेर जिले के बासनपीर गांव में गुरुवार की सुबह तालाब किनारे स्थित ऐतिहासिक छतरियों के पुनर्निर्माण को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद हो गया। धीरे-धीरे मामला इतना गरमा गया कि मुस्लिम पक्ष के लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। इसे शांत करने के लिए पुलिस को वहां पर हल्का लाठीचार्ज भी करना पड़ा। इस दौरान पत्थरबाजी और लाठीचार्ज में एक कांस्टेबल समेत तीन लोग घायल हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विरोध कर रहे गुट ने निर्माण कार्य को रोकने के लिए महिलाओं और बच्चों को आगे कर दिया। तभी अचानक पत्थरबाजी शुरू हो गई. जवाब में दूसरे पक्ष ने भी पथराव शुरू कर दिया। इसके बाद कुछ ही पलों में गांव में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

प्रशासन पर लगाया गलतफहमी का आरोप

इस दौरान घायल गणपत सिंह नोडियाला ने पुलिस प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सबकुछ पुलिस की मौजूदगी में ही हुआ, लेकिन समय पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. दूसरी ओर, जैसलमेर के एसपी सुधीर चौधरी ने कहा कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि दोषियों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस के अनुसार, घटना के लगभग छह घंटे बाद फिर से निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया।

लोगों ने पुलिस पर भी किया पथराव

घटनास्थल पर एसपी सुधीर चौधरी ने बताया कि घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस टीम पर भी उपद्रवियों ने पत्थर बरसाए। इस दौरान हालात बिगड़ते देख पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज किया। इसमें पुलिसकर्मी सहित तीन लोग घायल हो गए और कई वाहनों के शीशे टूट गए। घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 22 लोगों को हिरासत में लिया। फिलहाल गांव में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है और लगातार गश्त की जा रही है। उन्होंने कहा कि फिलहाल गांव में कर्फ्यू जैसे हालात हैं।

पहले भी हुआ था विवाद

जानकारी हो कि बासनपीर गांव में छतरियों को लेकर विवाद कोई नया नहीं है। इससे पहले वर्ष 2019 में भी इन्हें गिरा दिया गया था। तब भी पुनर्निर्माण का विरोध किया गया था। मामले में एक पक्ष का कहना है कि ये छतरियां वीर योद्धाओं की स्मृति से जुड़ी हैं और उनका निर्माण गौरव की बात है। वहीं, मुस्लिम पक्ष बिना सामूहिक सहमति के किए जा रहे निर्माण को साम्प्रदायिक संतुलन के लिए खतरा मानता है। मौके पर पूर्व विधायक सांग सिंह भाटी, बीजेपी जिलाध्यक्ष दलपत हिंगड़ा समेत कई जनप्रतिनिधि पहुंचे और दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की। इधर, प्रशासन की ओर से गांव के वरिष्ठ नागरिकों और दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों से बातचीत की जा रही है।

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