भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लंबे समय से लंबित राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया के अंतिम चरण के लिए तैयार है। हालांकि, अभी राज्य स्तरीय नेतृत्व में लगातार बदलाव किये जा रहे हैं। मंगलवार का दिन पार्टी के लिए महत्वपूर्ण होगा। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का मार्ग प्रशस्त होगा। जानकारी हो कि बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी हो सकता है, जब पार्टी की कम से कम आधी राज्य इकाइयां अपने अध्यक्ष पद की नियुक्तियां कर लें। ये चुनाव, जो काफी हद तक प्रतीकात्मक प्रकृति के होते हैं। आमतौर पर सर्वसम्मति से ही चुनाव होता है।
राज्य स्तरीय नियुक्तियों में तेजी
जानकारी हो कि पिछले कुछ हफ्तों से बीजेपी अपनी राज्य इकाइयों को सक्रिय रूप से पुनर्गठित कर रही है। सोमवार को वीपी रामलिंगम और के बेइचुआ को पुडुचेरी और मिजोरम के लिए नए पार्टी प्रमुख के रूप में निर्विरोध चुना गया। इसके अलावा महाराष्ट्र, उत्तराखंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश सहित कई प्रमुख राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध नामांकन प्रस्तुत किए गए हैं, जहां मंगलवार को औपचारिक घोषणा होने की उम्मीद है। इन अतिरिक्त पदों के साथ बीजेपी ने अब तक कम से कम 16 राज्यों में या तो प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की है या उन्हें फिर से चुना है, जो राष्ट्रीय स्तर के चुनाव शुरू करने के लिए जरूरी हैं। कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी आने वाले दिनों में नेतृत्व परिवर्तन की उम्मीद जतायी जा रही है।
राष्ट्रीय नेतृत्व परिवर्तन क्षितिज पर
जानकारी हो कि वर्तमान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2023 में ही समाप्त हो गया था। इसके बाद से कार्यकाल का विस्तार कर उन्हें अब तक इसी पर इसी पद पर रखा गया है। उन्होंने पहले ही अपना नियमित तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व और आरएसएस के बीच चर्चा तेज हो गई है और नड्डा के उत्तराधिकारी पर जल्द ही आम सहमति बन सकती है।
रेस में हैं कई केंद्रीय मंत्री
बीजेपी के राष्ट्रीय कई केंद्रीय मंत्री कथित तौर पर शीर्ष संगठनात्मक भूमिका के लिए रेस में हैं। इस कारण राजनीतिक पर्यवेक्षकों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल की भी उम्मीद है। अगर किसी मौजूदा मंत्री को पार्टी अध्यक्ष बनाया जाता है तो इसका प्रभाव बीजेपी शासित राज्यों में मंत्रिमंडल में परिवर्तन को भी बढ़ावा दे सकता है, जहां प्रमुख राज्य विधानसभा चुनावों से पहले संगठनात्मक और शासन संबंधी प्राथमिकताओं को पुनर्गठित करने की आशंका है।
तेलंगाना में प्रदेश अध्यक्ष के लिए तनाव
इस बीच, तेलंगाना बीजेपी के भीतर आंतरिक मतभेद तब सामने आए जब विधायक टी राजा सिंह ने एन रामचंदर राव को प्रदेश पार्टी अध्यक्ष पद के लिए मनोनीत करने के विरोध में इस्तीफा दे दिया। जानकारी हो कि पूर्व विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) राव इस पद के लिए नामांकन दाखिल करने वाले एकमात्र उम्मीदवार हैं और उनके निर्विरोध चुने जाने की उम्मीद भी है। एक तरफ जहां पार्टी नेतृत्व वरिष्ठ ब्राह्मण नेता राव को आंतरिक मतभेदों को दूर करने और राज्य में पार्टी को मजबूत करने में सक्षम व्यक्ति के रूप में देखता है, वहीं सिंह के इस्तीफे ने जमीनी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं के बीच असंतोष को उजागर किया है।
चुनावों की तैयारियों पर भी दिखेगा असर
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की सीमा लगभग पूरी हो जाने के बाद पार्टी अब अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने की ओर अग्रसर है। पार्टी के इस कदम का प्रभाव न केवल उसके आंतरिक संगठन बल्कि आगामी राज्य और राष्ट्रीय चुनावों की तैयारियों पर भी पड़ सकता है। इधर, बताया जा रहा है कि पार्टी पर्यवेक्षक आने वाले दिनों में घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रखेंगे, जिसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल में संभावित बदलाव और राज्य स्तर पर पुनर्गठन भी शामिल है, क्योंकि बीजेपी राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चरण से पहले अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है।