रशियन दिखाने के लिए उज्बेक सेक्स वर्कर्स की कराई जा रही जबरन सर्जरी: ‘गुलामी’ की दिल दहलाने वाली दास्तां

महीने लखनऊ में जब एक देह व्यापार का रैकेट पकड़ा गया तो उसमें उज्बेक मूल की दो महिलाएं भी थीं जिन्होंने दर्द भरी आपबीती सुनाई है

ज़्यादा पैसों के लालच में रशियन जैसा लुक दिया जा रहा है

ज़्यादा पैसों के लालच में रशियन जैसा लुक दिया जा रहा है

उज्बेकिस्तान से नौकरी के लालच में भारत आई कई लड़कियां को जबरन सेक्स सलेव बना दिया गया और इन्हें ‘रशियन’ जैसी दिखने के लिए जबरन इनकी सर्जरी करवाई गई ताकि उन्हें एक महंगे ब्रैंड की तरह देह बाज़ार में पेश किया जा सके। जिन्हें इंसान समझा जाना था, उन्हें किसी कैटलॉग का हिस्सा बना दिया गया। भारत भर में कई ऐसे गिरोह सक्रिय हैं जो इन उज्बेक महिलाओं को जबरन सेक्स के कारोबार में धकेलने पर तुले हुए हैं। पिछले महीने लखनऊ में जब एक देह व्यापार का रैकेट पकड़ा गया तो उसमें उज्बेक मूल की दो महिलाएं भी थीं जिन्होंने दर्द भरी आपबीती सुनाई है।

‘दैनिक भास्कर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इन महिलाओं को भारत लाने वाली गैंग की लीडर लोला कायूमोवा है और उसके नेटवर्क में 50 से ज्यादा उज्बेक लड़कियां हैं। लोला कायूमोवा एक उज्बेक महिला है जो 15 साल पहले भारत आई थी। अब उसका नेटवर्क दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, मुंबई, गोवा से लेकर थाईलैंड तक फैला है। अब खुफिया एजेंसियां उसे ढूंढ रही हैं लेकिन लोला पकड़ से बाहर ही है। उज्बेकिस्तान से लड़कियों को ये कहकर बुलाया जाता है कि उन्हें दुबई या दिल्ली में कोई अच्छी नौकरी दिलवाई जाएगी। लेकिन जैसे ही वो इंडिया पहुंचती हैं, उनका पासपोर्ट छीन लिया जाता है और फिर उनका सौदा शुरू हो जाता है। एक से दूसरे दलाल को, 5-7 दिन या दो हफ्ते में बार-बार बेचा जाता है। मजबूरी में उन्हें देह व्यापार में धकेल दिया जाता है।

क्यों कराई जाती है सर्जरी?

इन लड़कियों पर जबरदस्त दबाव डाला जाता है कि वे रशियन या यूरोपियन जैसे दिखें, क्योंकि ऐसा लुक होने पर ग्राहक उनकी सेवाओं के लिए कई गुना ज़्यादा पैसे देने को तैयार रहते हैं। सिर्फ दिखावा ही नहीं, बल्कि उन्हें इस लुक को पाने के लिए जबरन प्लास्टिक सर्जरी भी करवाई जाती है। नाक, होंठ, गाल, हर एक हिस्सा बदलवाया जाता है ताकि वे पूरी तरह से यूरोपियन या रशियन जैसे लगें। यह सब इसलिए किया जाता है ताकि ग्राहक को लगे कि वे महंगे ब्रांड की चीज़ें हैं और उनकी कीमत बढ़ जाए। वे अपनी असली पहचान से दूर हो जाती हैं और एक नकली चेहरा पहनने को मजबूर हो जाती हैं

दैनिक भास्कर के मुताबिक, कस्टमर उज्बेकिस्तान से आने वाली लड़कियों की मजबूरी जानते हैं और उनके लिए 5-6 हजार रुपए तक ही देते हैं जबकि रशियन या यूरोपियन दिखने वाली कॉल गर्ल्स के लिए 15-20 हजार रुपए खर्च कर दिए जाते हैं। उज्बेक लड़कियों को ना तो अच्छी अंग्रेजी आती है और ना हिंदी, इसलिए वे शिकायत तक नहीं कर पातीं। दलाल इन्हें 10-15 दिन के लिए लाखों में खरीदते हैं और कस्टमर से मिली रकम का केवल एक छोटा हिस्सा ही उन्हें देते हैं। यदि कोई लड़की उज्बेकिस्तान लौटना चाहे तो उस पर 4-5 लाख रुपए लौटाने का दबाव बनाया जाता है। इसलिए वे रशियन या यूरोपियन लुक पाने के लिए सर्जरी भी करवा रही हैं ताकि काम के पैसे ज्यादा मिल सकें।

जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ लड़कियों के पास भारत का आधार कार्ड तक है। 15 साल पहले उज्बेकिस्तान से आई एक महिला अब दिल्ली, जयपुर, लखनऊ, मुंबई जैसे बड़े शहरों में एक बड़े नेटवर्क की अगुवाई करती है, जिसमें खिलाड़ी, नेता और फिल्मी हस्तियां भी जुड़ी हैं। इस नेटवर्क के दलाल लड़कियों को तस्करी के जरिए भारत लाते हैं और कई लड़कियों के पास भारतीय आधार कार्ड भी बनाए जाते हैं, खासकर उन लड़कियों के लिए जो नेपाल के रास्ते अवैध तरीके से भारत आती हैं और जिनके पास कोई पहचान पत्र नहीं होता। ये आधार कार्ड उन्हें बड़े होटल या काम के दौरान पहचान दिखाने के लिए जरूरी होते हैं।

दो उज्बेक महिलाओं की खौफनाक दास्तां

उज्बेकिस्तान की दो महिलाओं ने कोर्ट में अपनी दर्दनाक कहानियां बयान कीं, जो भारत में सेक्स रैकेट में फंसी हुई थीं। पहली महिला (उम्र 26 साल) ने बताया कि वह उज्बेकिस्तान में सब्जी बेचती थी और मई 2021 में एक दोस्त के झांसे में आकर भारत आई थी, जहां उसे नौकरी का वादा किया गया था। लेकिन दिल्ली पहुंचते ही उसे एक फ्लैट में रखा गया और उसे जिस्मफरोशी के लिए मजबूर किया गया। पासपोर्ट छीन लिया गया और उसे जयपुर, दिल्ली के अलग-अलग होटल में ग्राहकों के पास भेजा गया। उसने कोर्ट में कहा कि उसे 1 हजार डॉलर में बेचा गया था और अगर वह घर लौटना चाहती है तो पूरी रकम वापस करनी होगी, जो उसके पास नहीं थी।

दूसरी महिला ने बताया कि फरवरी 2019 में एक दोस्त के कहने पर भारत आई, जहां उसे अस्पताल में नौकरी का झांसा दिया गया। लेकिन वहां भी उसे जबरन सेक्स वर्क में डाल दिया गया और विरोध करने पर पिटाई भी हुई। वह दो बार गर्भवती हुई, दोनों बार जबरन अबॉर्शन कराया गया और तब भी काम पर लौटना पड़ा। प्रेग्नेंसी में भी कस्टमर के पास भेज दिया गया था और वहां जब ब्लीडिंग हो रही थी, तो 10 दिनों तक अस्पताल में रखा और अबॉर्शन करा दिया गया। उसका कहना है कि उसका पासपोर्ट छीन लिया गया और उसे विभिन्न शहरों में भेजा गया। दोनों महिलाओं ने बताया कि उन्हें पैसे की वजह से मजबूर किया गया और पुलिस या डॉक्टरों से भी मदद नहीं मिली। यह दोनों कहानियां उस खौफनाक जाल की सच्चाई बयान करती हैं, जिसमें मासूम लड़कियां धोखे, जबरदस्ती और शोषण का शिकार बनती हैं।

Exit mobile version