VP जगदीप धनखड़ ने की जज के घर नकदी मामले में FIR की मांग; पूछा- ‘क्या यह काला धन है?’

उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (FILE PHOTO)

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उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से नकदी मिलने के मामले में एक बार फिर सवाल उठाए हैं। धनखड़ ने कहा कि न्यायपालिका की प्रतिष्ठा पर संकट के इस समय में सिर्फ संवैधानिक प्रावधानों के तहत कार्रवाई एक विकल्प हो सकता है लेकिन यह समाधान नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र में जब भी किसी संस्थान की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है, तो निष्पक्ष जांच और जवाबदेही अनिवार्य हो जाती है।

इस संदर्भ में उप-राष्ट्रपति ने ऐतिहासिक उदाहरण का हवाला भी दिया। उन्होंने कहा, “मेरे युवा मित्रों, यदि आपने ‘आइड्स ऑफ मार्च’ के बारे में सुना है, तो आप जानते होंगे कि कैसे एक ज्योतिषी ने सीज़र को चेतावनी दी थी। जब सीज़र ने कहा कि ‘आइड्स ऑफ मार्च’ आ गया है, तो ज्योतिषी ने उत्तर दिया, ‘हां, लेकिन गया नहीं।’ और उसी दिन सीज़र की हत्या हो गई। उसी तरह, हमारी न्यायपालिका के लिए 14-15 मार्च की रात एक अशुभ संकेत बनकर आई है।

जगदीप धनखड़ ने इस बात पर विशेष ज़ोर दिया कि एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के आधिकारिक निवास से भारी मात्रा में नकदी की बरामदगी अब सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध है, जिसकी पुष्टि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी की जा चुकी है। उन्होंने कहा, “ऐसी स्थिति में सबसे पहला कदम यह होना चाहिए था कि इस कृत्य को आपराधिक मानते हुए तत्काल कानूनी कार्रवाई शुरू की जाती। दोषियों की पहचान कर उन्हें न्याय के समक्ष लाया जाता। लेकिन दुर्भाग्यवश, अब तक कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई है।”

उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, “हम एक लोकतंत्र होने का दावा करते हैं, और वास्तव में हैं भी। दुनिया हमें एक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में देखती है, जहां कानून का शासन और कानून के समक्ष समानता होनी चाहिए।” उन्होंने कहा, “इसका सीधा तात्पर्य यह है कि हर अपराध की जांच होनी चाहिए। यदि किसी न्यायाधीश के सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद होती है, तो यह जानना अनिवार्य है कि क्या वह काला धन है? उसका स्रोत क्या है? और वह वहां कैसे पहुंचा? यह धन किसका है?”

उप-राष्ट्रपति ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में कई दंडात्मक प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है, और ऐसी स्थिति में अपेक्षा की जाती है कि एक स्वतंत्र और निष्पक्ष एफआईआर दर्ज हो। जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमें इस मामले की जड़ तक जाना होगा, क्योंकि लोकतंत्र में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “हमारी न्यायपालिका, जिस पर देशवासियों का विश्वास अडिग है, आज इस घटना के कारण उसकी नींव डगमगाई है। यह एक गंभीर चेतावनी है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।”

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