प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देश को संबोधित करते हुए भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाया और आने वाले समय के लिए अपने सपनों का भारत कैसे बने, इसका खाका पेश किया। उन्होंने “हर घर तिरंगा” अभियान की अहमियत बताई, संविधान बनाने वाले महान नेताओं को नमन किया, सेना के जवानों को सम्मान दिया और रक्षा, तकनीक और ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की जरूरत पर ज़ोर दिया।
स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण की शुरुआत 1947 में आज़ादी के समय भारत के सामने खड़ी चुनौतियों और उस समय छिपी संभावनाओं को याद करते हुए की। उन्होंने महात्मा गांधी के सिद्धांतों और संविधान निर्माताओं जैसे डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अंबेडकर, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका को याद किया।
प्रधानमंत्री ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी 125वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी और कहा कि उन्होंने संविधान की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था। उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने को डॉ. मुखर्जी को समर्पित एक कदम बताया। इसके साथ ही, उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 साल पूरे होने पर संगठन और देश सेवा में जीवन समर्पित करने वाले स्वयंसेवकों को भी सम्मान दिया।
प्रधानमंत्री ने “लखपति दीदी” योजना से जुड़ी महिलाओं और पंचायत प्रतिनिधियों की मौजूदगी को भारत के मजबूत जमीनी लोकतंत्र, यानी “लघु भारत” का प्रतीक कहा।
राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य उपलब्धियां
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में हाल ही में उत्तरकाशी में हुई घटना का ज़िक्र किया और बताया कि राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर राहत और बचाव का काम किया। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ़ करते हुए कहा कि हमारे सैनिकों ने पहलगाम हमले के बाद दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब भारत परमाणु धमकियों या आतंकवाद से डरने वाला नहीं है। जो देश आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, उन्हें अब इंसानियत का दुश्मन माना जाएगा। उन्होंने इसे भारत की नई सोच या ‘नया सामान्य’ बताया।
सिंधु जल संधि पर बात करते हुए उन्होंने साफ कहा कि भारत को मिलने वाला पानी देश के किसानों का हक है और इस पर कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने दोहराया – “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”
आत्मनिर्भर भारत की ओर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भरता ही देश की ताकत है। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया कि अब भारतीय सेना के पास “मेड इन इंडिया” यानी भारत में बनी तकनीक की ताकत है।
तकनीकी आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में प्रगति:
- सेमीकंडक्टर मिशन: छह यूनिट शुरू हो चुकी हैं और चार को मंजूरी मिल गई है। लक्ष्य है कि साल के अंत तक भारत में ही बने चिप्स तैयार हों।
- ऊर्जा क्षेत्र: पिछले 11 सालों में सौर ऊर्जा में 30% की बढ़ोतरी हुई है। नए बांध बनाए जा रहे हैं, ग्रीन हाइड्रोजन मिशन शुरू हुआ है, 10 नए परमाणु रिएक्टर लगाए जा रहे हैं और तेल-गैस जैसे पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता कम की जा रही है।
- अंतरिक्ष: भारत गगनयान मिशन और अपने खुद के स्पेस स्टेशन की तैयारी कर रहा है। साथ ही 300 से ज्यादा स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन मिल रहा है।
स्वास्थ्य और फार्मा क्षेत्र में:
Bio 3 नीति के तहत भारत में वैक्सीन तैयार की जा रही हैं। फिनटेक में UPI को दुनिया भर में पहचान मिली है। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों (EV), और खाद-उर्वरक क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता पर काम हो रहा है।
आर्थिक सुधार और विकास पहल
प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ने 1500 से ज़्यादा पुराने और बेकार हो चुके कानूनों को हटा दिया है। आयकर प्रणाली को नए Income Tax Act 2025 के ज़रिए बदला गया है, और जल्द ही नए GST सुधार भी लागू किए जाएंगे।
रोज़गार और महिलाओं की ताकत बढ़ाने के लिए कदम:
- युवाओं के लिए: प्रधानमंत्री विकसित भारत रोज़गार योजना शुरू की गई है ताकि उन्हें नौकरी के अच्छे मौके मिलें।
- महिलाओं के लिए: मुद्रा लोन और लखपति दीदी जैसी योजनाओं से महिलाओं को आर्थिक रूप से मज़बूत बनाया जा रहा है।
कृषि और मत्स्य क्षेत्र में तरक्की:
भारत अब मछली, चावल, गेहूं और तिलहन के उत्पादन में दुनिया में दूसरे नंबर पर है। पशुओं के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है और पीएम धन धान्य कृषि योजना से 100 ज़िलों में खाने की सुरक्षा को मज़बूती मिल रही है।
सामाजिक न्याय और समावेशी विकास
प्रधानमंत्री ने महात्मा ज्योतिबा फुले की 200वीं और गुरु तेग बहादुर की 350वीं जयंती को याद किया। उन्होंने बताया कि सरकार पिछड़े वर्गों, आदिवासियों और वंचित लोगों के लिए कई योजनाएं चला रही है ताकि उनका विकास हो सके।
नक्सल प्रभावित इलाकों में सुधार:
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में पहले 125 ज़िले नक्सल प्रभावित थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर 20 रह गई है। इन क्षेत्रों को अब “ग्रीन कॉरिडोर” यानी विकास और शांति वाले क्षेत्रों में बदला जा रहा है।
जनसंख्या और सुरक्षा:
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के संसाधनों की रक्षा और समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए एक खास जनसंख्या मिशन शुरू किया जाएगा।
सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय गौरव
उन्होंने भारत की भाषाई, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत की तारीफ की- जैसे शास्त्रीय भाषाएं, प्राचीन पांडुलिपियां और ज्ञान को डिजिटल तरीके से सुरक्षित करने की योजनाएं। उन्होंने “एकता में अनेकता” का मतलब समझाया और श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवा और समर्पण के सिद्धांतों को प्रेरणा बताया।
स्वास्थ्य, शासन और नागरिक केंद्रित पहल
उन्होंने “डोर-टू-डोर” तरीके से शासन करने की बात कही- जैसे जन धन खाते, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम स्वनिधि योजना और सीधे लाभ मिलने वाली योजनाओं से गरीबी कम करने पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने आर्थिक अनुशासन और “नेशन फर्स्ट” नीति का ज़िक्र किया। जहां महंगाई काबू में है, विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत है, और भारत की वित्तीय स्थिति दुनिया में अच्छी मानी जा रही है।
खेल, पर्यावरण और भविष्य की तैयारी
खेलों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खेल नीति और खेलो भारत अभियान शुरू किए गए हैं।
पर्यावरण के लिए:
तेल की खपत कम करने, हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मजबूत कदम उठाए जा रहे हैं।
भविष्य की सुरक्षा के लिए:
तकनीक का उपयोग करते हुए भविष्य की तैयारी की जा रही है। जैसे युद्ध की पूर्व जानकारी पाने वाली प्रणाली और 2035 तक महत्वपूर्ण जगहों की सुरक्षा का योजना बनाई गई है।
2047 के लिए प्रधानमंत्री मोदी का विज़न: विकसित भारत
प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2047 तक भारत को ऐसा देश बनाना है जो आत्मनिर्भर, सुरक्षित, तकनीकी रूप से मजबूत, सभी लोगों को साथ लेकर चलने वाला और दुनिया में सम्मानित हो। उन्होंने “रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म” यानी सुधारो, अच्छा करो और बदलो का नारा दिया और हर नागरिक से इस सफर में साथ देने की अपील की।
उन्होंने बताया कि भारत की असली ताकत उसकी एकता, विश्वास और मिलकर काम करने की क्षमता में है। हम सब मिलकर ऐसा भारत बनाएंगे जो मजबूत, नए विचारों से भरा, सबके लिए न्यायपूर्ण और दुनिया में गर्व का कारण बने।