ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

रियल-टाइम निगरानी और हमला करने की ताकत होगी दोगुनी

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

भारतीय सेना अब अपने युद्ध करने के तरीके में बड़ा बदलाव ला रही है। ऑपरेशन सिंदूर से मिले अनुभव और आज के आधुनिक युद्ध की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, सेना ने फैसला किया है कि अब सभी अग्रिम बटालियनों में ड्रोन और एंटी-ड्रोन तकनीक को स्थायी रूप से शामिल किया जाएगा। फिलहाल ड्रोन का इस्तेमाल सीमित है और इन्हें चलाने वाले सैनिकों को उनकी दूसरी जिम्मेदारियों से हटाकर लाया जाता है, जिससे ऑपरेशन के दौरान दिक्कतें आती हैं।

नई योजना के तहत अब हर इन्फैंट्री, तोपखाना और बख्तरबंद यूनिट में ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम हमेशा मौजूद रहेंगे। हर बटालियन में एक विशेष ड्रोन टीम होगी, जो निगरानी ड्रोन, अटैक ड्रोन और एंटी-ड्रोन तकनीक को चलाएगी। यहां तक कि छोटे स्तर जैसे प्लाटून और कंपनी में भी रीयल-टाइम जानकारी के लिए ड्रोन तैनात किए जाएंगे। इसके लिए करीब 70 सैनिकों को नए काम के लिए दोबारा प्रशिक्षित किया जाएगा।

हल्की ‘भैरव’ कमांडो यूनिट्स से बढ़ेगी मारक क्षमता

सेना 30 नई हल्की कमांडो बटालियन बना रही है, जिन्हें ‘भैरव’ कहा जाएगा। हर बटालियन में लगभग 250 खास तरह से प्रशिक्षित जवान होंगे। इन जवानों को सटीक हमले, खुफिया काम और मुश्किल इलाकों में छोटे-छोटे मिशन करने के लिए तैयार किया जाएगा।
भर्ती और ट्रेनिंग का काम पहले ही शुरू हो चुका है, और कुछ बटालियन आने वाले कुछ हफ्तों में काम करने लगेंगी।

‘रूद्र ब्रिगेड’: हाइब्रिड युद्ध के लिए एकीकृत लड़ाकू इकाइयां

सेना की सबसे बड़ी योजना है ‘रूद्र ब्रिगेड’ बनाना। ये ब्रिगेड ऐसे लड़ाकू समूह होंगे जिनमें पैदल सेना, तोपखाना, बख्तरबंद गाड़ियां, ड्रोन और जरूरी सपोर्ट टीम एक साथ काम करेंगे।
इस बदलाव का मकसद है कि भविष्य की लड़ाइयों में तेज़ी, बेहतर तालमेल और कई तरह के ऑपरेशन करने की जरूरत होगी। रूद्र ब्रिगेड को इस तरह तैयार किया जा रहा है कि इन्हें बाहर से मदद की ज़रूरत न पड़े और ये खुद से किसी भी तरह के मिशन को पूरा कर सकें, चाहे वह सीमा पर हो, पूर्वोत्तर के विद्रोही इलाकों में हो या विदेश में तैनाती हो।

तोपखाने और बख्तरबंद बल होंगे और आधुनिक

सेना के तोपखाने रेजीमेंटों को नई जरूरतों के अनुसार मजबूत किया जा रहा है। हर रेजीमेंट में दो बड़ी गन बैटरियां और एक ड्रोन बैटरी जोड़ी जाएगी। नई ‘दिव्यास्त्र बैटरियां’ भी बनाई जा रही हैं, जिनमें लंबी दूरी की तोपें, घूमने वाले गोले और एंटी-ड्रोन सिस्टम होंगे। ये बैटरियां हमले और रक्षा दोनों में काम आएंगी।
बख्तरबंद और मैकेनाइज्ड यूनिट्स को भी हल्का, तेज और तकनीक से लैस बनाया जा रहा है, ताकि उनकी पुरानी ताकत के साथ आधुनिक गति और ताकत भी जुड़ सके।

भविष्य की जंग के लिए तैयार होती भारतीय सेना

सेना में यह बड़ा बदलाव पूरी तरह भविष्य के खतरों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, चाहे वो ऊंचे पहाड़ी इलाके हों, आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन हों या पारंपरिक युद्ध। ड्रोन का इस्तेमाल, भैरव कमांडो यूनिट्स बनाना और रूद्र ब्रिगेड्स की तैयारी इस बदलाव के मुख्य हिस्से हैं।
यह बदलाव सेना को और ज्यादा तेज, सटीक और मजबूत बनाएगा। एक ऐसी ताकत जो आने वाली लड़ाइयों के लिए पूरी तरह तैयार होगी।

 

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