क्या होता है, जब पश्चिमी उदारवादी अपराधबोध खालिस्तानी अलगाववादियों के खतरनाक प्रचार से मिलता है? आपको एक ऐसी व्यवस्था मिलती है, जहां धोखेबाज़ और अपराधी खामियों का फायदा उठाते हैं। खालिस्तान कार्ड खेलते हैं और विदेशों में निर्दोष लोगों की जान खतरे में डालते हैं। फ्लोरिडा की दुखद दुर्घटना, जिसमें लापरवाह ट्रक चालक हरजिंदर सिंह की वजह से तीन लोगों की जान चली गई, सिर्फ़ एक दुर्घटना नहीं है। यह इस बात की भयावह याद दिलाती है कि कैसे अलगाववादी सहानुभूति को हथियार बनाकर शरण हासिल की जाती है। आव्रजन कानूनों को दरकिनार किया जाता है और पश्चिम में फर्जी जीवन बसाया जाता है। यह कोई अकेला मामला नहीं है, यह एक बड़े गठजोड़ का हिस्सा है जो भारत और मेज़बान देशों दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है।
12 अगस्त को फ्लोरिडा में भयानक दुर्घटना हुई, जिसमें तीन निर्दोष की मौत हो गई। पंजाब के तरनतारन निवासी 28 वर्षीय ट्रक चालक हरजिंदर सिंह ने अपने 18 पहियों वाले ट्रेलर के साथ अवैध रूप से यू-टर्न लेने की कोशिश की। दुर्घटना का वायरल वीडियो दर्शकों को न केवल इस हिंसक टक्कर से, बल्कि राजमार्ग अवरुद्ध करने के बाद इंजन बंद करते समय सिंह के बेहद शांत व्यवहार से भी हैरान कर गया।
जानकारी हो कि हरजिंदर सिंह कुख्यात डंकी रूट से अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल हुआ था, अब वाहन से हत्या करने के तीन मामलों में जेल में है। उसे ज़मानत देने से इनकार कर दिया गया है और उसे “अनधिकृत विदेशी” और “भागने का जोखिम” दोनों करार दिया गया है। लेकिन यह मामला सिर्फ़ लापरवाही से गाड़ी चलाने से कहीं ज़्यादा है। इसने अमेरिका की शरण प्रणाली के व्यवस्थित शोषण को उजागर कर दिया है, जहां फर्जी उत्पीड़न के दावों और खालिस्तानी सहानुभूति का इस्तेमाल स्थायी निवास के टिकट के रूप में किया जाता है।
खालिस्तान कार्ड का किया इस्तेमाल
हरजिंदर सिंह की शरण की कहानी इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे हज़ारों पंजाबी प्रवासी व्यवस्था का दुरुपयोग करते हैं। 2019 में ट्रम्प प्रशासन के दौरान शुरुआत में शरण से वंचित रहे हरजिंदर सिंह को बाद में बाइडेन के कार्यकाल में इसका लाभ मिला। उसे काम करने की अनुमति मिली और उसने ट्रक ड्राइवर के रूप में अपना जीवन शुरू किया।
यहां संदेह स्पष्ट है कि हरजिंदर सिंह ने संभवतः खालिस्तान कार्ड का इस्तेमाल किया होगा और खालिस्तान समर्थक होने के नाते भारत में उत्पीड़न के डर का दावा किया होगा। यह संदेह तब और बल पकड़ता है, जब कोई उनके टिकटॉक अकाउंट की जांच करता है, जो खुले तौर पर उन्हें सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) से जोड़ता है, जो एक प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकवादी संगठन है। इसका नेतृत्व गुरपतवंत सिंह पन्नू करता है। वह भारत में राजद्रोह और आतंकवाद से जुड़े होने के आरोप में वांछित है।
हरजिंदर सिंह ने पोस्ट किया था खालिस्तानी वीडियो
हरजिंदर सिंह ने सैन फ्रांसिस्को में SFJ के तथाकथित “खालिस्तान जनमत संग्रह” का एक वीडियो भी पोस्ट किया था और 1980 के दशक में 1,000 से ज़्यादा हत्याओं के लिए ज़िम्मेदार खालिस्तानी आतंकवादी गुरबचन सिंह मनोचहल का महिमामंडन करने वाली सामग्री शेयर की थी।
यह कोई अकेला मामला नहीं है। पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान ने एक बार पंजाबी प्रवासियों के लिए शरण याचिकाओं के समर्थन में 50,000 पत्र जारी करने का दावा किया था, बदले में उन्हें झूठे तरीके से प्रमाणित किया गया था कि वे सताए गए खालिस्तानी समर्थक थे। इस रैकेट ने उत्पीड़न को एक वस्तु बना दिया है, एक झूठी कहानी जिसे विदेशी शरण दिलाने के लिए बेचा जाता है।
डुंकी रूट: फर्जी शरण का प्रवेश द्वार
हरजिंदर सिंह की अमेरिका यात्रा प्रसिद्ध डुंकी रूट से हुई, जो एक तस्करी का जाल है। यह प्रवासियों को दुबई, निकारागुआ और मैक्सिको होते हुए अमेरिका ले जाता है और फिर उन्हें दक्षिणी सीमा के रास्ते अमेरिका में घुसा देता है। हरजिंदर ने कथित तौर पर एजेंटों को ₹22 लाख का भुगतान किया और डेढ़ महीने की यात्रा के बाद अवैध रूप से कैलिफ़ोर्निया में प्रवेश कर गया। यहां यह बात महत्वपूर्ण है कि हरजिंदर सिंह गरीबी से भाग नहीं रहा था। उसके परिवार के पास पंजाब में 12-13 एकड़ कृषि भूमि है, जो एक आरामदायक जीवन के लिए पर्याप्त है। हज़ारों अन्य लोगों की तरह, प्रवास का उसका फ़ैसला विशुद्ध रूप से “अमेरिकी सपने” को किसी भी कीमत पर पूरा करने की आकांक्षा से प्रेरित था।
लेकिन, इस अवैध प्रवास की क़ीमत दूसरों को चुकानी पड़ती है। परिवार कर्ज़ में डूब जाते हैं, युवा अपनी जान जोखिम में डालते हैं और अमेरिका पहुंचने के बाद कई लोग शरण का कार्ड खेलते हैं। अक्सर फ़र्ज़ी राजनीतिक या धार्मिक उत्पीड़न की कहानियां गढ़ते हैं। हरजिंदर सिंह इस सूची में बस एक और नाम था, जब तक कि लापरवाही से गाड़ी चलाने की वजह से वह एक हत्यारा नहीं बन गया।
ट्रंप के शासनकाल में रखा गया था हिरासत में
ट्रंप के शासनकाल में हरजिंदर सिंह की शरण और कार्य प्राधिकरण को अस्वीकार कर दिया गया था। 2019 तक उसे त्वरित निर्वासन की भी प्रक्रिया में डाल दिया गया था और ज़मानत पर रिहा होने से पहले हिरासत में रखा गया था। लेकिन, बाइडेन के सत्ता में आते ही उसकी किस्मत पलट गई। उसे वर्क परमिट दिया गया, जिससे लाइसेंस, नौकरी और अंततः उस ट्रक चलाने का रास्ता खुल गया, जिससे तीन मौतें हुईं।
यह मामला एक लापरवाह ड्राइवर का नहीं है, यह शरण कानूनों के दुरुपयोग के ख़तरनाक परिणामों का है। अक्सर बेबुनियाद आधारों पर उत्पीड़न का दावा करके, सिंह जैसे लोग उदारवादी सरकारों से सहानुभूति हासिल करते हैं जो खुद को अल्पसंख्यकों का रक्षक बताने के लिए बेताब हैं। असली नतीजा? अमेरिका जैसे मेज़बान देशों को अपराधी, अलगाववादी समर्थक और सुरक्षा जोखिम विरासत में मिलते हैं। निर्दोष नागरिक इसकी कीमत चुकाते हैं।
पश्चिम के लिए चेतावनी
हरजिंदर सिंह का मामला न केवल अमेरिका के लिए, बल्कि उन सभी देशों के लिए चेतावनी है, जिन्होंने शरण को शोषण का साधन बनने दिया है। हज़ारों पंजाबी युवाओं को एजेंटों और वकीलों द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है, जिनके उत्पीड़न का उन्हें शिकार होना पड़ता है।