रूसी समाचार एजेंसी Interfax के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने बताया है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की तारीख लगभग तय हो चुकी है। यह यात्रा भारत-रूस वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के तहत होगी।
डोभाल ने कहा, “भारत और रूस के बीच बहुत पुराना और खास रिश्ता है, जिसे हम बहुत अहम मानते हैं। दोनों देशों के नेताओं की बातचीत और मुलाकातों से यह रिश्ता और मजबूत हुआ है। हमें यह जानकर खुशी है कि राष्ट्रपति पुतिन भारत आ रहे हैं, और उनकी यात्रा की तारीख लगभग तय हो गई है।”
डोभाल की हालिया मॉस्को यात्रा ऐसे समय हुई है जब भारत और अमेरिका के संबंधों में तनाव बढ़ रहा है। यह तनाव उस समय और बढ़ गया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 50% शुल्क लगा दिया। माना जा रहा है कि यह कदम भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के जवाब में उठाया गया है।
अमेरिका का 50% टैरिफ, भारत-रूस संबंधों को लेकर असहजता
अमेरिका ने हाल ही में कुछ भारतीय सामानों पर 50% तक का ज्यादा टैक्स (शुल्क) लगा दिया है। जानकारों का मानना है कि यह फैसला भारत द्वारा रूस के साथ तेल और रक्षा के मामलों में रिश्ता बनाए रखने की वजह से लिया गया है। अमेरिका पहले भी कई बार यह चिंता जता चुका है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदता जा रहा है, जबकि रूस पर यूक्रेन युद्ध के कारण पश्चिमी देशों ने सख्त पाबंदियां लगा रखी हैं।
यह टैक्स बढ़ाना अमेरिका की सख्त होती सोच को दिखाता है। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से दूरी बनाए और पश्चिमी देशों के साथ कदम मिलाकर चले। इस वजह से भारत और अमेरिका के रिश्तों पर असर पड़ सकता है, खासकर तब जब भारत रूस और पश्चिम के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है।
पुतिन की दिसंबर 2021 के बाद पहली भारत यात्रा संभव
अगर यह यात्रा तय हो जाती है, तो यह राष्ट्रपति पुतिन की दिसंबर 2021 के बाद पहली भारत यात्रा होगी। इस शिखर बैठक में रणनीति, रक्षा और व्यापार जैसे अहम मुद्दों पर बात होने की उम्मीद है। खाने-पीने की चीजों और फर्टिलाइज़र की सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा हो सकता है, क्योंकि हाल ही में पुतिन ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर रूस ने भारत को फर्टिलाइज़र की सप्लाई बढ़ाई है।
रक्षा के क्षेत्र में सहयोग इस बैठक का एक और बड़ा मुद्दा होगा। रूस से मिले S-400 मिसाइल सिस्टम और भारत-रूस की ब्रह्मोस मिसाइल साझेदारी ने हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाई। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के उन सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया जो ज़्यादातर चीन की मदद से बने थे। रिपोर्टों के मुताबिक, इस ऑपरेशन से पहले पुतिन ने भारत के आतंकवाद के खिलाफ कदमों का समर्थन किया था।
एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी-पुतिन की एक और बैठक संभव
द्विपक्षीय सम्मेलन के अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भी हो सकती है, जो चीन में होने वाला है। हालांकि, इस मुलाकात को लेकर अभी कोई पक्की जानकारी नहीं है।
दुनिया की राजनीति में जैसे-जैसे बदलाव हो रहे हैं, ऐसे समय में पुतिन की भारत यात्रा यह दिखाती है कि भारत और रूस के बीच का रणनीतिक रिश्ता आज भी बहुत जरूरी है। यह दौरा दोनों देशों के रिश्ते को और मजबूत बना सकता है, खासकर तब जब भारत को रूस और पश्चिमी देशों के बीच संतुलन बनाए रखना है।