इंडिगो थप्पड़ विवाद में कोई हिंदू शामिल नही, फिर भी कांग्रेस ने फैलाया ‘मुस्लिम विक्टिमहुड’ का नैरेटिव

इंडिगो थप्पड विवाद में दोनों व्यक्ति निकले मुस्लिम, कांग्रेस ने फैलाया झूठा सांप्रदायिक एजेंडा

इंडिगो थप्पड़ विवाद में कोई हिंदू शामिल नही, फिर भी कांग्रेस ने फैलाया 'मुस्लिम विक्टिमहुड' का नैरेटिव

हाल ही में इंडिगो की एक उड़ान में हुई एक घटना को सोशल मीडिया पर शुरू में एक सांप्रदायिक झगड़े के रूप में पेश किया गया। दावा किया गया कि एक हिंदू यात्री ने एक मुस्लिम सहयात्री पर हमला किया, जिससे सोशल मीडिया पर आक्रोश फैल गया और ‘मुस्लिम विक्टिमहुड’ की कहानी को हवा मिलने लगी। लेकिन बाद में यह पुष्टि हो गई कि घटना में शामिल दोनों व्यक्ति मुस्लिम थे, और यह किसी दो धर्मों के बीच का मामला नहीं था।

फर्जी नैरेटिव का प्रसार

1 अगस्त, शुक्रवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर, खासकर X (जिसे पहले ट्विटर कहा जाता था), पर तेजी से फैल गया। इसमें एक मुस्लिम यात्री को उसके साथ सफर कर रहे एक यात्री द्वारा थप्पड़ मारे जाते हुए देखा गया। कुछ जाने-माने सोशल मीडिया अकाउंट्स, जो आमतौर पर वामपंथी और इस्लामिक विचारधारा से जुड़े माने जाते हैं, ने इस घटना को सांप्रदायिक रूप देकर यह दावा किया कि हमलावर हिंदू था।

इन पोस्ट्स में ‘संघी’ जैसे शब्दों का उपयोग किया गया और भारत में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ने का हवाला देते हुए इसे एक और उदाहरण बताया गया कि कैसे मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है। इस फर्जी जानकारी के आधार पर सोशल मीडिया पर उबाल आ गया।

कांग्रेस से जुड़े कई नेता जैसे कि ऋतु चौधरी, सलमान निज़ामी और शमा मोहम्मद भी इस ‘मुस्लिम विक्टिमहुड’ के नैरेटिव को बिना पुष्टि किए आगे बढ़ाते नजर आए।

घटना की असली सच्चाई

मामले की सच्चाई सामने तब आई जब एविएशन पत्रकार जागृति चंद्रा ने इसकी जांच की और बताया कि घटना में शामिल दोनों व्यक्ति मुस्लिम समुदाय से हैं। पीड़ित यात्री की पहचान हुसैन अहमद मज़ूमदार, निवासी असम के कछार जिले के रूप में हुई, जबकि हमलावर का नाम हफीजुल रहमान है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, हुसैन को कोलकाता एयरपोर्ट पर फ्लाइट के दौरान घबराहट का दौरा (पैनिक अटैक) आया, जिससे उड़ान में देरी हुई। इस देरी से परेशान होकर रहमान ने उससे भिड़ंत की और उसे थप्पड़ मार दिया। वीडियो में एक सहयात्री को यह कहते सुना गया – “आपने उसे थप्पड़ क्यों मारा? आपको किसी को मारने का कोई हक़ नहीं है।”

घटना के बाद रहमान को फ्लाइट से उतार कर CISF के हवाले कर दिया गया। इंडिगो ने उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की और उसके व्यवहार की निंदा की।

इंडिगो का आधिकारिक बयान

इंडिगो ने शुक्रवार को एक बयान जारी करते हुए कहा- “हम अपने एक विमान में हुई मारपीट की घटना से अवगत हैं। ऐसा दुर्व्यवहार पूरी तरह से अस्वीकार्य है और हम यात्रियों और क्रू की सुरक्षा और गरिमा से समझौता करने वाले किसी भी व्यवहार की कड़ी निंदा करते हैं। संबंधित व्यक्ति को अनुशासनहीन घोषित कर सुरक्षा अधिकारियों को सौंपा गया है।”

एयरलाइन ने आगे कहा कि मानक प्रक्रिया का पालन करते हुए घटना की जानकारी नियामक एजेंसियों को दे दी गई है।

फेक न्यूज़ का असर

इस घटना को गलत ढंग से प्रस्तुत करना यह दिखाता है कि जानबूझकर भ्रामक सूचना के ज़रिये सांप्रदायिक एजेंडा फैलाया जा रहा है। जैसे ही यह साफ हुआ कि हमलावर हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम था, कई सोशल मीडिया अकाउंट्स ने चुपचाप अपने ट्वीट हटा दिए या सफाई देने से बचते रहे।

यह कोई पहली घटना नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के जल्दबाज़ी में लगाए गए आरोप और एजेंडा-आधारित नैरेटिव समाज में नफरत बढ़ाने के साथ-साथ मीडिया पर से भरोसा भी कमजोर करते हैं।

यह घटना एक सतर्कता संदेश है कि डिजिटल युग में गलत सूचना कितनी खतरनाक हो सकती है। जब तक सटीक और सत्यापित जानकारी सामने न आ जाए, तब तक किसी भी घटना को धार्मिक या सांप्रदायिक रंग देने से बचना चाहिए।

जैसा कि यह मामला साफ़ दर्शाता है, शुरुआत में जिसे सांप्रदायिक हमला बताया गया, वह वास्तव में एक आंतरिक समुदायिक घटना थी — और इससे ज़्यादा नैरेटिव फैलाने वालों के इरादे सामने आए, न कि असली घटना की गंभीरता।

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