शैक्षणिक सत्र 2025-26 में NCERT ने फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा के जीवन और बलिदान पर आधारित पाठ स्कूल की किताबों में शामिल किए हैं। ये पाठ क्रमशः कक्षा 8वीं (उर्दू), 7वीं (उर्दू) और 8वीं (अंग्रेज़ी) के छात्रों के लिए जोड़े गए हैं। इसका मकसद छात्रों को बहादुरी, कर्तव्य और देशभक्ति की प्रेरणादायक कहानियों से परिचित कराना है।
फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ
फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के पहले अधिकारी थे जिन्हें “फील्ड मार्शल” की उपाधि मिली। वे अपने बेहतरीन नेतृत्व और सोच के लिए जाने जाते हैं। 1971 के भारत-पाक युद्ध में उनके नेतृत्व में भारत को बड़ी जीत मिली, जिससे बांग्लादेश बना। उनके जीवन पर आधारित पाठ से छात्र यह सीख सकते हैं कि समझदारी से लिया गया फैसला, अनुशासन और अच्छा नेतृत्व देश को सही दिशा में ले जा सकता है।
ब्रिगेडियर उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा भारतीय सेना के ऐसे वीर सैनिक थे जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की कुर्बानी दी। ब्रिगेडियर उस्मान को मरने के बाद महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। 1947-48 के भारत-पाक युद्ध में बहादुरी से लड़ने पर उन्हें ‘नौशेरा का शेर’ कहा गया।
मेजर सोमनाथ शर्मा 1947 में कश्मीर में युद्ध के दौरान शहीद हुए और उन्हें भी मरने के बाद परम वीर चक्र दिया गया। वे यह सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार पाने वाले पहले सैनिक थे। इन दोनों की कहानियाँ युवाओं को कर्तव्य और निःस्वार्थ सेवा की प्रेरणा देती हैं।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को पाठ्यक्रम से जोड़ने की पहल
रक्षा मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी के साथ मिलकर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (NWM) और उससे जुड़ी जानकारी को स्कूलों के पाठ्यक्रम में जोड़ने की पहल की है। इसका मकसद यह है कि छात्र भारत के सैन्य इतिहास को जानें और समझें कि देश की सेवा करना कितना जरूरी है। इस पहल से बच्चे सिर्फ इतिहास नहीं सीखेंगे, बल्कि वे सहानुभूति, भावनाओं को समझना, मुश्किलों में मजबूत रहना और देश के विकास में योगदान देने जैसे अच्छे गुण भी सीखेंगे।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास ‘सी हेक्सागन’ क्षेत्र में बने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को देश को समर्पित किया। यह स्मारक उन सभी सैनिकों की याद में बनाया गया है जिन्होंने देश की सेवा करते हुए अपनी जान दी। इसका मकसद लोगों में देशभक्ति, बलिदान, अच्छे नैतिक मूल्य और एकता की भावना को मजबूत करना है। यह जगह हमें हमारे सैनिकों की बहादुरी और समर्पण की याद दिलाती है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती है।
इसलिए इन वीरों पर आधारित अध्यायों को एनसीईआरटी की किताबों में जोड़ना एक अच्छा कदम है, जिससे बच्चों को न केवल इतिहास की जानकारी मिलेगी बल्कि वे जीवन के जरूरी मूल्यों को भी सीख सकेंगे।