उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक बुर्का पहने महिला के साथ सरेआम छेड़छाड़ की घटना ने एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना गोल कोठी वाली गली में हुई, जहां लगे सीसीटीवी कैमरे में पूरी वारदात कैद हो गई।
वीडियो में साफ दिख रहा है कि महिला अकेली चल रही थी तभी पीछे से आरोपी आदिल सैफी आया और जबरन उसके सीने पर हाथ लगाया। जिससे महिला घबरा गई, लेकिन हिम्मत दिखाते हुए उसने विरोध किया और आरोपी को धक्का देकर भगाने में सफल रही। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई और लोग महिलाओं की सुरक्षा की मांग करने लगे।
पुलिस ने की फौरन कार्रवाई, एनकाउंटर के बाद गिरफ्तारी
वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज किया और आरोपी की तलाश शुरू कर दी। पुलिस के मुताबिक, जब आदिल सैफी बाइक से भागने की कोशिश कर रहा था, तो पुलिस से भिड़ंत हुई जिसमें उसे पैर में गोली लगी और फिर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
अस्पताल में उसका एक वीडियो भी बनाया गया, जिसमें वह माफी मांग रहा है और वादा कर रहा है कि आगे ऐसा फिर नहीं करेगा। लेकिन पुलिस ने साफ कहा है कि उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी और किसी तरह की छूट नहीं दी जाएगी।
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जनता का गुस्सा
इस घटना ने एक बार फिर भारत में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने इस शर्मनाक घटना पर नाराजगी जताई और कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सिर्फ पुलिस नहीं, बल्कि समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा।
लोगों ने सोशल मीडिया पर आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और कहा कि महिला सुरक्षा किसी धर्म या वर्ग से जुड़ा मुद्दा नहीं, बल्कि एक मौलिक अधिकार है।
पुलिस प्रशासन की प्रतिक्रिया
जनता के बढ़ते गुस्से को देखते हुए मुरादाबाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर जानकारी साझा की: “नगफनी पुलिस ने वायरल वीडियो पर तुरंत एक्शन लिया। आरोपी को एनकाउंटर के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। महिला सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है।”
पुलिस ने यह भी कहा कि यह मामला ‘नारी सुरक्षा मिशन’ के तहत तेज़ी से आगे बढ़ाया जाएगा और आरोपी के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में कार्यवाही होगी।
हालांकि पुलिस ने इस मामले में जल्दी और सही कार्रवाई की, लेकिन यह घटना दिखाती है कि महिलाएं अभी भी सार्वजनिक जगहों पर पूरी तरह सुरक्षित महसूस नहीं करतीं। यह सिर्फ अपराध होने के बाद सजा देने की बात नहीं है, बल्कि पूरे समाज को हर दिन ऐसी सोच के खिलाफ काम करना होगा। इसके लिए कानून, शिक्षा और समाज की जिम्मेदारी सभी जरूरी हैं।