भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

आईएनएस त्रिकंद इससे पहले मिस्र में हुए ब्राइट स्टार 2025 में हिस्सा ले चुका था, जिसमें अमेरिका, मिस्र, सऊदी अरब, कतर, ग्रीस और इटली जैसे देश शामिल थे।

भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

आईएनएस त्रिकंद की तैनाती यह संदेश देती है कि भारत किसी भी क्षेत्र में अब “बाहरी ताक़त” नहीं, बल्कि “निर्णायक साझेदार” बन रहा है।

जब भारतीय नौसेना का युद्धपोत आईएनएस त्रिकंद भूमध्यसागर की लहरों पर उतरा, तो यह सिर्फ एक साधारण तैनाती नहीं थी। यह उस भारत की पहचान थी जो हिंद महासागर से निकलकर अब भूमध्यसागर, अटलांटिक और इंडो-पैसिफिक तक अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है। यह संदेश था कि नया भारत सिर्फ अपनी सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक समुद्री राजनीति का भी सक्रिय खिलाड़ी है।

हिंद महासागर से भूमध्यसागर तक – भारत की रणनीतिक छलांग

दशकों तक भारतीय नौसेना को हिंद महासागर तक सीमित मानने की आदत पड़ चुकी थी। लेकिन 21वीं सदी का भारत उस पुराने ढांचे को तोड़ रहा है। अफ्रीका के पश्चिमी तट से लेकर जापान के सागर तक और अब भूमध्यसागर तक उसकी मौजूदगी यह बताती है कि भारत वैश्विक स्तर पर शक्ति संतुलन का हिस्सा बनना चाहता है।

आईएनएस त्रिकंद का ग्रीस की सलामिस खाड़ी पहुंचना सिर्फ कूटनीतिक संकेत नहीं, बल्कि रणनीतिक छलांग भी है। भूमध्यसागर यूरोप, अफ्रीका और एशिया—तीनों महाद्वीपों का संगम है। यहां उपस्थिति दर्ज कराना यह साबित करता है कि भारत वैश्विक समुद्री व्यापार और सुरक्षा ढांचे का अहम स्तंभ बनना चाहता है।

भारत-ग्रीस के रिश्ते: इतिहास से वर्तमान तक

भारत और ग्रीस के संबंध नए नहीं हैं। प्राचीन काल में सिकंदर का भारत आगमन दोनों सभ्यताओं के संपर्क का शुरुआती बिंदु था। सांस्कृतिक और व्यापारिक रिश्ते समय-समय पर बने रहे। आधुनिक दौर में ग्रीस यूरोप का वह देश है, जिसने कश्मीर और सीमा विवाद जैसे मुद्दों पर भारत की स्थिति को समझा और समर्थन दिया। अब जब दोनों देश समुद्र में हाथ मिला रहे हैं, तो यह संबंधों का नया अध्याय है। यह अभ्यास सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि सभ्यता से सभ्यता तक बने रिश्तों का पुनर्जीवन है।

ग्रीस क्यों अहम है?

ग्रीस की स्थिति भूमध्यसागर के लिए बेहद रणनीतिक है।

यह यूरोप के प्रवेश द्वार पर है।

नाटो और यूरोपीय संघ का सदस्य है।

तुर्की और मध्य-पूर्व के तनावपूर्ण माहौल से जुड़ा है।

भारत के लिए ग्रीस एक ऐसा साझेदार है जो यूरोप की रक्षा संरचना से जुड़ा हुआ है, लेकिन भारत के साथ नई दोस्ती गढ़ने को तैयार है। इससे भारत को भूमध्यसागर और यूरोप की समुद्री राजनीति में सीधी हिस्सेदारी मिलती है।

बहुराष्ट्रीय अभ्यास से द्विपक्षीय साझेदारी तक

आईएनएस त्रिकंद इससे पहले मिस्र में हुए ब्राइट स्टार 2025 में हिस्सा ले चुका था, जिसमें अमेरिका, मिस्र, सऊदी अरब, कतर, ग्रीस और इटली जैसे देश शामिल थे। वहां भारत की थलसेना और वायुसेना ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। अब ग्रीस के साथ द्विपक्षीय अभ्यास यह दिखाता है कि भारत सिर्फ भीड़ में शामिल होने से संतुष्ट नहीं है। वह चुनिंदा देशों के साथ गहरे रणनीतिक रिश्ते बना रहा है। इससे भारत की कूटनीतिक छवि भी और मज़बूत होती है।

दुश्मनों के लिए सख़्त संदेश

भारत की इस बढ़ती उपस्थिति को उसके विरोधी बारीकी से देख रहे हैं।

चीन – जिसने भूमध्यसागर में ग्रीस के पिरायस पोर्ट पर भारी निवेश किया है, भारत-ग्रीस की साझेदारी को अपनी बेल्ट एंड रोड स्ट्रेटेजी के लिए चुनौती मान सकता है।

पाकिस्तान – जो तुर्की के साथ मिलकर भारत को घेरने का सपना देखता है, उसके लिए ग्रीस-भारत की नजदीकी एक झटका है।

पश्चिम एशिया के अस्थिर हालात – जिनके बीच भारत अपनी नौसैनिक मौजूदगी से एक भरोसेमंद ताक़त के रूप में उभर रहा है।

आईएनएस त्रिकंद की तैनाती यह संदेश देती है कि भारत किसी भी क्षेत्र में अब “बाहरी ताक़त” नहीं, बल्कि “निर्णायक साझेदार” बन रहा है।

सांस्कृतिक कूटनीति की ताक़त

ग्रीस के सलामिस बे में सिर्फ सैन्य अभ्यास नहीं होगा। वहां सांस्कृतिक आदान-प्रदान, अधिकारियों की बातचीत और क्रॉस-डेक विज़िट जैसे कार्यक्रम भी होंगे। यह सिर्फ हथियारों की ताक़त नहीं, बल्कि भारत की सभ्यता और सांस्कृतिक शक्ति का भी प्रदर्शन है। युद्धपोत पर ग्रीक समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों का स्वागत इस बात का संकेत है कि भारत अपने रक्षा संबंधों को जनता-से-जनता रिश्तों तक ले जाना चाहता है।

यूरोप की राजनीति पर असर

यूरोप की राजनीति रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से बदल रही है। नाटो देशों के बीच सुरक्षा सहयोग और मज़बूत हो रहा है। भारत ग्रीस जैसे देश के साथ संबंध बढ़ाकर यह दिखा रहा है कि वह सिर्फ एशिया तक सीमित नहीं, बल्कि यूरोपीय सुरक्षा ढांचे से भी जुड़ रहा है। यह कदम फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय साझेदारों के साथ भारत की पहले से बनी रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करेगा।

नया भारत – नई नौसैनिक ताक़त

भूमध्यसागर की लहरों पर आईएनएस त्रिकंद की मौजूदगी यह साबित करती है कि भारत अब सीमा-सुरक्षा केंद्रित नौसेना से आगे बढ़कर वैश्विक शक्ति प्रक्षेपण की दिशा में बढ़ चुका है। यह सिर्फ एक युद्धपोत की यात्रा नहीं, बल्कि उस नए भारत की पहचान है जो आत्मनिर्भर है, आत्मविश्वासी है और विश्व मंच पर अपनी अलग पहचान बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है।

Exit mobile version