जैश के बाद लश्कर ने भी खोली पाकिस्तान की पोल, आतंक की फैक्ट्री का सच उजागर, देखें वीडियो

पाकिस्तान की सरकार और सेना ने जिस कार्रवाई को “भारतीय प्रोपेगेंडा” कहकर नकार दिया था, उसका सच अब पाकिस्तान के अपने आतंकी नेताओं की जुबान से सामने आ रहा है।

जैश के बाद अब लश्कर के आतंकी ने खोली पाकिस्तान की पोल

इस पूरी कहानी में सबसे बड़ा झटका पाकिस्तान की सेना और आईएसआई को है।

भारतीय सेना का 7 मई का हमला पाकिस्तान के लिए सिर्फ एक सैन्य झटका नहीं था, यह उसकी दशकों पुरानी रणनीति की पोल खोलने वाला प्रहार भी साबित हुआ। पाकिस्तान की सरकार और सेना ने जिस कार्रवाई को “भारतीय प्रोपेगेंडा” कहकर नकार दिया था, उसका सच अब पाकिस्तान के अपने आतंकी नेताओं की जुबान से सामने आ रहा है। लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर कासिम कैमरे के सामने खड़ा होकर कबूल करता है कि “मैं मुरिदके में मरकज तैयबा के खंडहरों पर खड़ा हूँ, जिसे भारत ने तबाह कर दिया था।”

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यह बयान जितना बड़ा है, उतना ही गहरा झटका पाकिस्तान के उस नैरेटिव को है, जिसमें वह लगातार दुनिया से कहता आया है कि भारत झूठा प्रचार कर रहा है। कासिम ने न सिर्फ तबाही कबूल की, बल्कि यह भी माना कि मुरिदके का शिविर लश्कर का प्रशिक्षण अड्डा था। वह वीडियो में यह भी कहता है कि “यहाँ से कई मुजाहिद और तलबा निकले, जिन्होंने जंग लड़ी।” यह वही ठिकाना है जिसे पाकिस्तान बार-बार “धार्मिक स्थल” या “खाली पड़ी इमारत” बताता रहा।

ऑपरेशन सिंदूर का महत्व यहीं समझ आता है। भारतीय सेना ने उस रात पाकिस्तान और पाकिस्तान-आधिकृत कश्मीर में फैले नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इनमें बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का केंद्र, सियालकोट में हिज्बुल का ठिकाना और मुरिदके में लश्कर का मरकज शामिल था। पाकिस्तान सरकार ने इसे नकार दिया और दावा किया कि भारत घरेलू राजनीति के लिए “फर्जी ऑपरेशन” का प्रचार कर रहा है। लेकिन अब कासिम का कबूलनामा पाकिस्तान की पूरी कूटनीतिक रणनीति को ध्वस्त कर देता है।

यहां देखें वीडियो

वीडियो में साफ दिखाई देता है कि मरकज तैयबा का इलाका मलबे और अधूरे निर्माण कार्य से भरा पड़ा है। कासिम खुले तौर पर कह रहा है कि पुनर्निर्माण का काम चल रहा है और “यह मस्जिद पहले से बड़ी बनाई जाएगी।” यह वह पल है जब पाकिस्तान का झूठ, उसकी अपनी ज़मीन पर पला आतंकी, खुलेआम सामने लाता है। यही नहीं, लश्कर के उप प्रमुख सैफुल्लाह कसूरी का एक और वीडियो भी सामने आया है, जिसमें वह स्वीकार करता है कि पाकिस्तान सरकार और सेना ने इस मरकज को दोबारा खड़ा करने के लिए पैसा दिया है।

इस कबूलनामे ने पाकिस्तान की दोहरी चाल को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है। एक ओर वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को आतंकवाद का शिकार बताता है, दूसरी ओर अपनी सेना और खुफिया एजेंसियों के जरिए उन्हीं संगठनों को पोसता है जो भारत में खून बहाते हैं। भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर में जिस ठिकाने को ध्वस्त किया था, वह वही मरकज है जिसने 26/11 जैसे हमलों के लिए आतंकियों को तैयार किया। पाकिस्तान की कोशिश थी कि दुनिया इस कार्रवाई को न माने, लेकिन अब उसके अपने आतंकी यह साबित कर रहे हैं कि भारत झूठ नहीं, बल्कि सच बोल रहा था।

रणनीतिक दृष्टि से यह भारत के लिए एक बड़ा कूटनीतिक अवसर है। जिस देश की सरकार अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने के लिए लगातार झूठ पर झूठ बोलती रही, उसके आतंकी ही अब कैमरे पर आकर भारत की कार्रवाई को वैधता दे रहे हैं। यह न सिर्फ पाकिस्तान की वैश्विक छवि को चोट पहुँचाता है, बल्कि आतंकवाद पर भारत के नैरेटिव को और मजबूत करता है। जब भारत कहता है कि पाकिस्तान की जमीन पर आतंकवाद के कारखाने चलते हैं, तो अब इसका सबूत भारत को नहीं, बल्कि खुद पाकिस्तान के आतंकी संगठन दे रहे हैं।

इस पूरी कहानी में सबसे बड़ा झटका पाकिस्तान की सेना और आईएसआई को है। वे वर्षों से यह छवि गढ़ते रहे कि आतंकवाद से उनका कोई लेना-देना नहीं, लेकिन कसूरी का बयान यह स्वीकार करता है कि मुरिदके के पुनर्निर्माण के लिए पैसा सरकार और सेना से आया। इसका अर्थ साफ है-जो राज्य आतंकवाद को नकारता है, वही उसे पाल-पोस रहा है। भारत के लिए यह बयानबाज़ी किसी भी राजनयिक मंच पर एक सशक्त हथियार है। चाहे वह संयुक्त राष्ट्र हो या द्विपक्षीय बातचीत, भारत अब यह दिखा सकता है कि पाकिस्तान का चेहरा उसका अपना आतंकी उघाड़ रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया कि भारत न सिर्फ सीमा पार आतंकी ढांचों को ध्वस्त करने की क्षमता रखता है, बल्कि उसका नैरेटिव अब दुश्मन की जुबान से प्रमाणित हो रहा है। यह वही पल है जिसकी भारतीय सुरक्षा रणनीतिकारों को वर्षों से तलाश थी—जहां पाकिस्तान का झूठ, पाकिस्तान के ही आतंकी नेताओं से बेनकाब हो रहा है।

पाकिस्तान अब चाहे जितना शोर मचाए, दुनिया की आंखों से सच छिपाना मुश्किल होगा। क्योंकि इस बार यह सच भारत ने नहीं, बल्कि लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर ने कहा है। और जब दुश्मन की जुबान से निकले शब्द भारत की सच्चाई को साबित करें, तो वह जीत किसी भी बम या गोली से बड़ी होती है।

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