किसानों की ज़मीन पर सेलिब्रिटी की नज़र! एग्रीकल्चरल लैंड की खरीद के बाद जांच के घेरे में आईं शाहरुख खान की बेटी सुहाना

क्या कानून का पालन आम किसानों और आम नागरिकों पर ही लागू होता है, या फिर सेलिब्रिटी और अमीर लोग आसानी से नियमों को दरकिनार कर सकते हैं।

किसानों की ज़मीन पर सेलिब्रिटी की नज़र: सुहाना खान ज़मीन डील के बाद घेरे में

बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख़ खान की बेटी और एक्ट्रेस सुहाना खान इन दिनों एक जमीन सौदे को लेकर सुर्खियों में हैं। खबर है कि उन्होंने महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले के अलीबाग के थल गांव में जमीन खरीदी है। यह जमीन दरअसल सरकार ने किसानों को खेती के लिए दी थी। ऐसे में इस जमीन को खरीदकर सुहाना खान कानूनी मुश्किलों में फंसती दिख रहीं है।

करोड़ों की डील पर उठे सवाल

रिपोर्ट्स के अनुसार, सुहाना ने यह जमीन मुंबई के कफ परेड में रहने वाले खोटे परिवार से खरीदींं थी। जमीन की कीमत करीब 12.91 करोड़ रुपये थी, और खरीदते समय उन्होंने 77.46 लाख रुपये स्टांप ड्यूटी के तौर पर दिए थे। यह सौदा 30 मई 2023 को स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के जरिए पूरा हुआ।

लेकिन अब अधिकारियों का कहना है कि इस जमीन को खरीदने के लिए किसी तरह की अनुमति और पेपर वर्क पूरा नही किया गया। किसी भी जमीन को खरीदने के कुछ नियम होते है, जो जमीन खेती के लिए सरकार द्वारा किसानों को दी जाती है, उसे ऐसे ही नही खरीदा जा सकता।

स्टार किड को क्यों चाहिए किसान का नाम?

मामला थोड़ा उलझा हुआ है। सुहाना खान, जो एक स्टार किड हैं और हमेशा ऐशो-आराम में रही हैं, अचानक दस्तावेज़ों में “किसान” कैसे दिखने लगीं, यह बड़ा सवाल है। क्या उन्हें सच में कोई खेती की जमीन विरासत में मिली थी? या फिर किसान का सर्टिफिकेट गलत तरीके से बना? या फिर नियमों को दरकिनार करने के लिए प्रभाव का इस्तेमाल हुआ? इन सब सवालों के जवाब अब अलीबाग तहसीलदार और रायगढ़ प्रशासन की जांच से ही मिलेंगे।

असल में यह विवाद सिर्फ सुहाना खान तक सीमित नहीं है। यह एक बड़ा मुद्दा है, जो दिखाता है कि क्या अमीर और फिल्मी लोग अक्सर कानून की खामियों का फायदा उठाकर किसानों की जमीनें खरीद लेते हैं और बाद में उन्हें रिसॉर्ट, फार्महाउस या मुनाफे वाली प्रॉपर्टी में बदल देते हैं।

जांच की मांग और प्रशासन की कार्रवाई

मुंबई पुलिस के रेजिडेंट डिप्टी कमिश्नर ने इस मामले की जांच के लिए अलीबाग तहसीलदार से रिपोर्ट मांगी है। अधिकारियों ने बताया कि जमीन खरीदने के लिए सभी कागज़ात और कलेक्टर की मंजूरी होना ज़रूरी था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि जांच में गड़बड़ियां सामने आती हैं तो इस डील को रद्द किया जा सकता है या फिर खरीदार यानी की सुहाना खान पर जुर्माना लगाया जा सकता है। इस पूरे मामले में अभी तक सुहाना खान और उनके परिवार में से किसी ने कोई प्रतिक्रिया नही दी है।

इस केस ने यह बड़ा सवाल भी खड़ा कर दिया कि क्या कानून का पालन आम किसानों और आम नागरिकों पर ही लागू होता है, या फिर सेलिब्रिटी और अमीर लोग आसानी से नियमों को दरकिनार कर सकते हैं। अब प्रशासन की कार्रवाई से यह साफ संदेश मिलता है कि कानून सबके लिए समान है। चाहे वो किसान हो, आम इंसान या फिर बॉलीवुड का बड़ा नाम, कोई भी पैसों के दम पर नियमों को तोड़ नही सकता।

कलेक्टर की मंजूरी क्यों ज़रूरी?

अगर सरकार ने किसी किसान परिवार को खेती करने के लिए जमीन दी है, तो उस जमीन को सीधे बेचा नहीं जा सकता। यह सिर्फ कलेक्टर की मंजूरी और तहसीलदार से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेने के बाद ही उस जमीन को बेचा जा सकता है। इस प्रक्रिया में जमीन खरीदने वाले और जमीन बेचने वाले दोनों लोगों को कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करनी होती हैं। यह नियम इसलिए बनाया गया ताकि किसानों को दी गई जमीन का गलत इस्तेमाल न हो और उनका हक़ सुरक्षित रहे।

अधिकारियों का मानना है कि सुहाना खान की तरफ से इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और इसी वजह से पूरे मामले ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।

किसानों की जमीन पर कड़े नियम

महाराष्ट्र कृषि भूमि अधिनियम, 1961 के तहत खेती की जमीन खरीदने के लिए कुछ सख्त नियम हैं।

यानि अगर कोई सेलिब्रिटी, बिज़नेसमैन या आम गैर-किसान खेती की जमीन लेना चाहे, तो उसे पहले कलेक्टर से अनुमति लेनी होगी।

ये विवाद सिर्फ जमीन की खरीद-बिक्री तक सीमित नहीं है। जब किसान देखते हैं कि उनकी जमीन, जो उनके जीने का सहारा है, अमीर लोगों के सौदों में फंस जाती है, तो उन्हें डर लगता है। लोगों को भी लगता है कि पैसे और ताकत वाले लोग कानून तोड़कर भी बच सकते हैं। इसलिए इस मामले का असर सिर्फ सुहाना खान की छवि या करियर पर नहीं पड़ेगा, बल्कि इससे किसानों के हक़ और कानून पर लोगों का भरोसा पर भी असर पडे़गा।

 

Exit mobile version