DUSU चुनाव 2025: Gen Z ने अपने वोट से दिया राष्ट्रवाद का संदेश

ABVP और संघ परिवार ने यह संदेश स्पष्ट किया कि राष्ट्रवाद केवल नारों या डिजिटल पोस्ट तक सीमित नहीं है। युवा अब जमीन पर काम करने वाले और राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्ध नेताओं का समर्थन करते हैं।

DUSU चुनाव 2025: Gen Z ने अपने वोट से राष्ट्रवाद का संदेश दिया

कांग्रेस की सोशल मीडिया और प्रचार-आधारित रणनीति असफल रही, जबकि ABVP ने स्पष्ट दृष्टि और सक्रिय संपर्क के बल पर यह जीत हासिल की।

दिल्ली विश्वविद्यालय का कैंपस इस साल भी राजनीति की हलचलों से भरा रहा। गलियां, कॉलेज की बेंचें और छात्रावास—हर जगह चुनावी चर्चाएं चल रही थीं। DUSU (Delhi University Students Union) चुनाव 2025 न केवल पदों की लड़ाई था, बल्कि यह दिखाने का मंच था कि Gen Z किस तरह सोचती है, किसे समर्थन देती है और किसे अपनी युवा शक्ति का प्रतिनिधि मानती है। इस साल के नतीजों ने यह संदेश दे दिया कि ABVP, RSS की छात्र शाखा और भाजपा के युवा दृष्टिकोण को अपनाने वाले छात्र संगठन Gen Z का भरोसा जीतने में सफल रहे। Aryan Mann के नेतृत्व में ABVP ने तीन मुख्य पदों पर कब्जा जमाया, जबकि NSUI, कांग्रेस का छात्र संगठन, केवल एक ही मुख्य पद पर सिमटकर रह गया।

चुनावी माहौल: मैदान से लेकर सोशल मीडिया तक

चुनाव से कुछ हफ्ते पहले ही दिल्ली विश्वविद्यालय में माहौल गरमा गया था। ABVP और NSUI ने दोनों अपने-अपने प्रचार अभियान शुरू कर दिए थे। ABVP का अभियान जमीन पर आधारित था। उनके कार्यकर्ता हर कॉलेज में छात्रों से मिलते, उनके सवाल सुनते, चुनाव प्रक्रिया समझाते और मतदान का महत्व बताते। Aryan Mann ने छात्रों से संवाद करने के लिए छोटी-छोटी बैठकें रखी, जहां छात्रों ने सीधे अपने विचार रखे।

इसके विपरीत, NSUI और कांग्रेस ने सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर अधिक भरोसा किया। राहुल गांधी Gen Z को ट्वीट्स और इंस्टाग्राम संदेशों के जरिए जोड़ने की कोशिश कर रहे थे, जिसमें “वोट चोरी” और चुनाव में सजग रहने की चेतावनी शामिल थी। लेकिन युवा छात्रों ने यह स्पष्ट कर दिया कि केवल डिजिटल अभियान और लोकप्रियता के आधार पर जीत नहीं होती।

मतदान का दिन: संघर्ष और उत्साह

चुनाव का दिन दिल्ली विश्वविद्यालय में उत्साह और प्रतिस्पर्धा से भरा हुआ था। सुबह-सुबह छात्र कॉलेज की ओर बढ़े, चुनाव आयोग के बूथों पर लंबी कतारें लगीं। ABVP कार्यकर्ता हर बूथ पर छात्रों की मदद कर रहे थे, मतदाता सूची की जांच कर रहे थे और वोटिंग प्रक्रिया को सुचारु बना रहे थे। NSUI कार्यकर्ता अधिकतर डिजिटल और सोशल मीडिया गतिविधियों में व्यस्त थे। उनके कुछ कार्यकर्ता छात्रों को बूथ पर आने के लिए प्रेरित करने में असफल रहे। इस असंतुलन ने मतदाता समर्थन में फर्क डाला।

ABVP की निर्णायक जीत

DUSU चुनाव में ABVP ने राष्ट्रपति पद पर 16,196 वोटों से जीत दर्ज की। सचिव पद पर 7,662 और संयुक्त सचिव पद पर 4,445 वोटों का अंतर रहा। यह केवल चुनावी सफलता नहीं थी, बल्कि Gen Z का विश्वास और स्पष्ट संदेश था कि युवा नेताओं और संगठनों को उनकी जमीन पर की गई मेहनत और राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्धता के आधार पर आंकते हैं।

Joslyn Chaudhary, NSUI की प्रेसिडेंट पद की उम्मीदवार, जिन्हें इंस्टाग्राम पर 2.2 लाख फॉलोअर्स थे, ABVP से हार गई। सोशल मीडिया पर युवा मतदाताओं ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी, यह दिखाते हुए कि भारत के Gen Z छात्र केवल डिजिटल लोकप्रियता से प्रभावित नहीं होते।

Gen Z की राजनीतिक परिपक्वता

DUSU में वोट देने वाले अधिकांश छात्र Gen Z हैं, जिनकी उम्र 18 से 28 वर्ष के बीच है। ये युवा डिजिटल दुनिया में बड़े हुए हैं, लेकिन राजनीतिक मुद्दों, राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद पर गहन समझ रखते हैं। JNU में पहले हुए चुनावों में भी ABVP ने पारंपरिक Left-leaning छात्र संगठन पर भारी जीत हासिल की थी। यह संकेत देता है कि भारत के विश्वविद्यालयों में राजनीतिक धाराओं का संतुलन बदल रहा है और युवा सक्रिय रूप से राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को समर्थन दे रहे हैं।

चुनाव के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कई उपयोगकर्ताओं ने कांग्रेस की डिजिटल रणनीति का मज़ाक उड़ाया। X पर कई पोस्ट में यह स्पष्ट किया गया कि Reels और फॉलोअर्स से चुनाव नहीं जीता जा सकता। ABVP के जीतने वाले उम्मीदवारों ने यह संदेश दिया कि जमीन पर काम, छात्रों की समस्याओं को समझना और संगठनात्मक दृढ़ता ही युवा मतदाताओं को प्रभावित करती है।

राष्ट्रवाद और संगठनात्मक प्रतिबद्धता

ABVP और संघ परिवार ने यह संदेश स्पष्ट किया कि राष्ट्रवाद केवल नारों या डिजिटल पोस्ट तक सीमित नहीं है। युवा अब जमीन पर काम करने वाले और राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्ध नेताओं का समर्थन करते हैं। BJP और इसके सहयोगी संगठनों के लिए यह जीत राजनीतिक रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह न केवल कांग्रेस की “वोट चोरी” और युवाओं को भड़काने वाली नीतियों को चुनौती देता है, बल्कि यह दिखाता है कि भारतीय युवा अब राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को अपनाने में सक्रिय हैं।

चुनाव में शामिल छात्रों का कहना था कि उन्हें नेताओं के विचार, उनके काम करने का तरीका और राष्ट्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता मायने रखती है। एक छात्र ने कहा: “हम केवल सोशल मीडिया पोस्ट देखकर नेता नहीं चुनते। हमें चाहिए कि नेता हमारी समस्याओं को समझे और उसके लिए काम करे। ABVP ने यही किया।” दूसरी तरफ, NSUI समर्थकों ने कहा कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर सक्रिय रहना भी जरूरी है, लेकिन जमीन पर उनकी टीम कमजोर रही।

DUSU चुनाव 2025 केवल छात्र राजनीति का परिणाम नहीं था। यह Gen Z की राजनीतिक समझ, परिपक्वता और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण का प्रमाण था। ABVP ने यह दिखाया कि जमीन पर काम करने वाला, छात्रों की समस्याओं को समझने वाला और राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्ध संगठन ही युवा पीढ़ी के बीच जीत हासिल कर सकता है।

कांग्रेस की सोशल मीडिया और प्रचार-आधारित रणनीति असफल रही, जबकि ABVP ने स्पष्ट दृष्टि और सक्रिय संपर्क के बल पर यह जीत हासिल की। DUSU और JNU के नतीजों ने यह संकेत दिया कि युवा अब केवल लोकप्रियता, इंस्टाग्राम फॉलोअर्स या डिजिटल लाइक्स से प्रभावित नहीं होते। वे ऐसे नेताओं और संगठनों का समर्थन करते हैं जो उनके विचारों, सुरक्षा, राष्ट्रीय गौरव और संगठनात्मक प्रतिबद्धता को महत्व देते हैं।

Exit mobile version