टेक्सास में भगवान श्री हनुमान की 90 फ़ीट की प्रतिमा का अपमान, USA में ईसाईयत के नाम पर बजरंगबली के लिए ज़हर क्यों उगल रहे हैं कट्टरपंथी?

अमेरिका में बीते कुछ दिनों से जिस प्रकार की तस्वीरें और कैम्पेन सामने आए हैं, वो कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। नस्लवाद और रंगभेद पर आधारित हिंसाओं को छोड़ भी दें तो भी टेक्सास में जिस प्रकार हिंदुओं के आराध्य बजरंगबली की प्रतिमा के ख़िलाफ़ कट्टर ईसाई तबका कैम्पेन चला रहा है, वो अमेरिका के इसी दोहरे चरित्र को दर्शा रहा है।

टेक्सास में भगवान श्री हनुमान की 90 फ़ीट की प्रतिमा का अपमान, USA में ईसाईयत के नाम पर बजरंगबली के लिए ज़हर क्यों उगल रहे हैं कट्टरपंथी?

टेक्सास में जो इन दिनों चल रहा है वो चिंताजनक है।

पश्चिमी देश-खासकर अमेरिका दशकों से ख़ुद को मानवतावाद और बहुलतावाद के चैंपियन और सेक्युलिरिज्म के मसीहा के रूप में पेश करता रहा है। प्राय: वो भारत जैसे सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता वाले लोकतांत्रिक देशों को लोकतंत्र, ‘सेक्युलिरिज्म’ और ‘सहिष्णुता’ का पाठ पढ़ाना भी अपना नैतिक कर्तव्य समझता है।

लेकिन, अमेरिका में बीते कुछ दिनों से जिस प्रकार की तस्वीरें और कैम्पेन सामने आए हैं, वो कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। नस्लवाद और रंगभेद पर आधारित हिंसाओं को छोड़ भी दें तो भी टेक्सास में जिस प्रकार हिंदुओं के आराध्य बजरंगबली की प्रतिमा के ख़िलाफ़ कट्टर ईसाई तबका कैम्पेन चला रहा है, वो अमेरिका के इसी दोहरे चरित्र को दर्शा रहा है। हिंदू समाज न सिर्फ जीवंत है, बल्कि अन्य पंथों व विचारधाराओं से उलट हिंदू दुनिया के जिस भी देश या हिस्से में हैं, वहां उन्होने न सिर्फ उस देश की संस्कृति-सभ्यता के साथ समरसता स्थापित की, बल्कि स्वयं को उनके अनुरूप ढाला और उस देश के सामाजिक, सांस्कृति और आर्थिक विकास में बहुत बड़ा योगदान भी दिया।

ख़ासकर अमेरिका में भरतवंशी हिंदू समाज न सिर्फ अमेरिका के मूल्यों और संस्कृति के साथ प्रतिबद्धता रखते हुए आगे बढ़ा, बल्कि अपनी सांस्कृति पहचान भी बनाए रखी- वो भी बिना किसी टकराव के।

परंतु टेक्सास में जो इन दिनों चल रहा है वो चिंताजनक है। वहां रिपब्लिकन नेता और 2026 के सीनेट उम्मीदवार अलेक्ज़ेंडर डंकन ने भगवान श्री हनुमान की 90 फुट ऊँची दिव्य ‘स्टैच्यू ऑफ यूनियन’ को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर जगह उगला है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उसने लिखा, “हम टेक्सास में एक झूठे हिंदू भगवान की झूठी मूर्ति क्यों लगने दे रहे हैं? हम एक ईसाई राष्ट्र हैं!”

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यह बयान न सिर्फ हिंदू सभ्यता और भारतीय अस्मिता पर सीधा हमला है, बल्कि अमेरिका के समाज में फैल रही असहिष्णुता के बारे में भी बताता है। 35 वर्षीय डंकन की यह जहरीली टिप्पणी ने अमेरिका में बसे करोड़ों हिंदुओं और भारतीय मूल के लोगों की भावनाओं को आहत किया है। जिस प्रतिमा को श्रद्धा और सांस्कृतिक सौहार्द का प्रतीक माना जा रहा था, उसी पर प्रहार कर रिपब्लिकन नेता ने हिंदुओं की आस्था का उपहास किया है। अब बड़ा सवाल यह है कि अमेरिकी राजनीति में हिंदुओं और भारतीयों को वोट बैंक की तरह देखने वाली रिपब्लिकन पार्टी क्या इस अपमानजनक बयान पर सार्वजनिक माफ़ी मांगेगी, या फिर आगे भी ऐसे नेताओं को संरक्षण देती रहेगी? जबकि स्वयं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प ने न सिर्फ हिंदुओं को दिवाली की शुभकामनाएं दी थीं, बल्कि वाइट हाउस में बीते काफी वक्त से दिवाली मनाने की परंपरा भी है।

डंकन ने हनुमान प्रतिमा के बारे में क्या कहा?

20 सितंबर को डंकन तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर टेक्सास में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनियन को दिखाने वाली एक पोस्ट पर प्रतिक्रिया दी। इस पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने लिखा: “हम टेक्सास में एक झूठे हिंदू देवता की झूठी प्रतिमा को क्यों अनुमति दे रहे हैं? हम एक ईसाई राष्ट्र हैं!”

इसके आगे उन्होंने X पर लिखा: “मैं तो बस इसे वही कह रहा हूँ जो यह है—एक मूर्ति।” उन्होंने बाइबिल का हवाला भी दिया और लिखा: “तुम्हारा कोई और ईश्वर नहीं होना चाहिए, केवल मैं ही। तुम अपने लिए किसी भी प्रकार की मूर्ति या स्वर्ग, धरती या समुद्र की किसी भी चीज़ की छवि नहीं बनाओगे।” (निर्गमन 20:3-4) उनके “झूठे हिंदू देवता” वाले बयान के तुरंत बाद लोगों ने उनकी आलोचना शुरू कर दी।

हिंदू अमेरिकन फ़ाउंडेशन (HAF) ने एक पोस्ट में कहा: “नमस्ते @TexasGOP, क्या आप अपने सीनेट उम्मीदवार पर कार्रवाई करेंगे, जो खुलेआम आपके ही भेदभाव-विरोधी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रहा है और घृणित रूप से हिंदू-विरोधी नफ़रत फैला रहा है साथ ही पहले संशोधन (First Amendment) की Establishment Clause का भी अनादर कर रहा है?”

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