हिंदू त्योहारों पर बढ़ती हिंसा: कर्नाटक के मद्दुर में गणेश विसर्जन के दौरान पथराव से तनाव

ये घटनाएँ केवल कुछ पलों की हिंसा नहीं हैं, बल्कि यह साफ़ दिखाती हैं कि हिंदू त्योहारों के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था पर कितना दबाव होता है।

हिंदू त्योहारों पर बढ़ती हिंसा: कर्नाटक के मद्दुर में गणेश विसर्जन के दौरान पथराव से तनाव

बिहार, कर्नाटक या महाराष्ट्र, भारत के अलग-अलग हिस्सों में हिंदू त्योहारों के दौरान बार-बार पत्थरबाजी और हिंसा की घटनाएँ सामने आती रही हैं। हाल ही में कर्नाटक के मंड्या जिले के मड्डुर में गणेश विसर्जन जुलूस के दौरान हुई पत्थरबाजी ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर क्यों हिंदू त्योहारों के दौरान ऐसी घटनाएँ लगातार होती रहती हैं।  इस घटना में कम से कम आठ लोग घायल हुए और 20 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया। जुलूस के रास्ते में पत्थरबाजी के बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और लोगों के बीच तनाव का माहौल बन गया।

घटना का पूरा मामला

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार की शाम जुलूस राम रहीम नगर में मस्जिद के पास से गुजर रहा था, तभी कुछ लोगों ने जुलूस में शामिल लोगों पर पत्थर फेंके। इसके बाद लोग प्रतिक्रिया करने लगे, लेकिन जुलूस के साथ मौजूद पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया और दोनों समुदायों के बीच हिंसा बढ़ने से रोकते हुए उन्हें अलग किया।

विसर्जन के बाद, मंगलवार सुबह करीब 10 बजे बड़ी संख्या में लोग, ज्यादातर पुरुष, तालुक कार्यालय के सामने जमा हो गए और पुलिस और प्रशासन से कार्रवाई की मांग करने लगे। स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें कई लोग घायल भी हुए।

भीड़ तब शांत हुई जब उपायुक्त कुमार और पुलिस अधीक्षक मल्लिकार्जुन बलदंडी से बैठक हुई। इस बैठक में JD(S) नेता निखिल कुमारस्वामी और पूर्व बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा भी मौजूद रहे। मंड्या जिले के पुलिस अधीक्षक मल्लिकार्जुन बलदंडी ने बताया कि कुल 21 लोगों को हिरासत में लिया गया है। घटना में शामिल अन्य पांच से छह बदमाशों की पहचान हो गई है और उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिशें जारी हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

बीजेपी ने इस घटना की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से कराने की मांग की है। वहीं, विपक्ष के नेता आर अशोक ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से जनता के सामने माफी मांगने को कहा। उन्होंने सवाल उठाया कि मड्डुर में हुई पत्थरबाजी के लिए क्यों सिर्फ हिंदुओं पर ही हमले होते हैं और FIR दर्ज होती हैं। उनका कहना था कि गणेश उत्सव मनाने के लिए बहुत सारी शर्तें लगाई जाती हैं और हिंदू लोग खुलकर जुलूस नहीं निकाल पाते।

आर अशोक ने पिछले साल मंड्या जिले के नागमंगला में हुई घटनाओं का भी जिक्र किया, जब वहां हनुमान ध्वज हटाया गया और गणेश की मूर्ति को पुलिस वाहन में रखा गया। इतिहास में देखें तो यह कोई नई बात नहीं है। उदाहरण के लिए:

भिवंडी, महाराष्ट्र (सितंबर 2024): भिवंडी में गणेश विसर्जन के दौरान मस्जिद के पास पत्थरबाजी हुई। इस कारण भगवान गणेश की मूर्ति टूट गई और दोनों समुदायों में तनाव बढ़ गया। पुलिस ने लाठीचार्ज कर स्थिति को काबू में किया।

बेंगलुरु, 2023: बेंगलुरु में गणेश विसर्जन के दौरान इदगाह मैदान के पास पत्थरबाजी हुई। इस घटना के बाद शहर में तनाव फैल गया और पुलिस को कड़े कदम उठाने पड़े।

गोवा, 2022: राम नवमी के जुलूस के दौरान गोवा में पत्थरबाजी हुई। जुलूस के मार्ग के पास मस्जिदों से पत्थर फेंके जाने की खबरें आईं, जिससे हिंसा भड़क गई।

मुंबई, 2021: मुंबई में गणेश पूजा पंडालों पर तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएँ हुईं। इसके बाद प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ाई और कड़े कदम उठाए।

उमरखेड, महाराष्ट्र (सितंबर 2016): उमरखेड में गणेश विसर्जन के समय मस्जिद के पास पत्थरबाजी हुई। इस घटना में 35 लोग घायल हुए और 29 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया। इससे स्थानीय समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया।

मिराज, महाराष्ट्र (सितंबर 2009): मिराज में गणेश चतुर्थी के दौरान शिवाजी महाराज की तस्वीर के कारण विवाद हुआ। इससे दंगे भड़क गए और कर्फ्यू लगाना पड़ा। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हुई और कई लोग घायल हुए।

ये घटनाएँ केवल कुछ पलों की हिंसा नहीं हैं। बार-बार ऐसी घटनाएँ ये संदेश देती हैं कि हिंदू त्योहार और जुलूस अब सुरक्षित महसूस नहीं होते। इसलिए सरकार को इस मामले में सख्त कदम उठाने चाहिए। केवल पुलिस या सुरक्षा उपाय ही काफी नहीं हैं। दोनों समुदायों के बीच शांति बनाए रखने के लिए संवाद और जागरूकता भी जरूरी है। स्थानीय लोग, धार्मिक और सामाजिक संगठन भी जिम्मेदार हैं कि वे किसी भी तरह की हिंसा को रोकें और त्योहारों को पूरी तरह से शांतिपूर्ण और खुशहाल बनाएं।

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