पाकिस्तान-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ ने लॉन्च किया एआई से लैस नया कमांड-कंट्रोल सिस्टम

दुनिया के कई विकसित देश पहले से ही बॉर्डर की सुरक्षा में हाई-टेक तकनीक इस्तेमाल कर रहे हैं और अब भारत भी उसी दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

पाकिस्तान-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ ने लॉन्च किया एआई से लैस नया कमांड-कंट्रोल सिस्टम

भारत की सीमाओं की सुरक्षा को और मज़बूत करने के लिए सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने सोमवार को एक बड़ा कदम उठाया है। पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर लगातार बढ़ते हुए खतरों को देखकर बीएसएफ ने एक नया कमांड-कंट्रोल सिस्टम लॉन्च किया है। इस सिस्टम को डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (DSS) नाम दिया गया है। यह सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML) और जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम (GIS) जैसी आधुनिक तकनीकों पर आधारित है।

इस सिस्टम का उद्घाटन बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल दलजीत सिंह चौधरी ने किया। बीएसएफ का कहना है कि यह सिस्टम सीमा पर तैनात कमांडरों को एक बेहतर ऑपरेशनल पिक्चर देगा। इसका मतलब यह हुआ कि अब सीमा पर जो कुछ भी होगा उसे जल्दी, आसानी से और सही तरीके से समझ पाएंगे।

पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमा से आने वाली चुनौतियाँ

भारत की सीमाएँ लंबे समय से कई तरह की परेशानियों से जूझती रही हैं। पाकिस्तान की ओर से सबसे बड़ी चुनौती है आतंकवाद और घुसपैठ। आए दिन पाकिस्तान की तरफ से  हथियारों की तस्करी होती है और साथ ही पाकिस्तानी अपने आतंकियों को सीमा पार से भारत में भेजने की कोशिशें करते रहते है। वहीं, बांग्लादेश की तरफ से इंसानों की तस्करी और नकली नोटों का धंधा होता रहा है, जो भारत के लिए बड़ी चिंता की बात है।

DSS कैसे काम करेगा?

DSS का लॉन्च सीधे-सीधे इन खतरों से निपटने की ताकत को और बढ़ा देगा। DSS सिस्टम अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) की मदद से डेटा को समझेगा। यह सिस्टम पुराने रिकॉर्ड, बॉर्डर पर लगे सेंसर और बाकी जानकारी को मिलाकर यह समझ सकेगा कि घुसपैठ किस रास्ते से हो सकती है या तस्करी कहाँ चल रही है। यानी खतरे को पहले ही पकड़ लिया जाएगा।”

“स्मार्ट बॉर्डर” की दिशा में बड़ा कदम

बीएसएफ का यह कदम दिखाता है कि भारत अब ‘स्मार्ट बॉर्डर’ की ओर बढ़ रहा है। दुनिया के कई विकसित देश पहले से ही बॉर्डर की सुरक्षा में हाई-टेक तकनीक इस्तेमाल कर रहे हैं और अब भारत भी उसी दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

DSS आने के बाद सीमा की सुरक्षा और बढ़ जाएगी इसका मतलब है कि किसी घटना पर देर से प्रतिक्रिया देने की बजाय तुरंत कार्रवाई हो पाएगी। कमांडरों के पास एक लाइव डैशबोर्ड होगा, जिससे वे तुरंत फ़ैसले लेकर ऑपरेशन और बेहतर ढंग से चला सकेंगे।”

जवानों पर दबाव होगा कम

अब तक सीमा पर तैनात जवानों को निगरानी के लिए लगातार दिन-रात मेहनत करनी पड़ती थी। उन्हें हर छोटी-बड़ी हरकत पर नज़र रखनी होती थी। लेकिन DSS के आने के बाद 24 घंटे निगरानी और पैटर्न समझने का काम मशीनें कर लेंगी। इसका सीधा फायदा यह होगा कि जवानों पर लगातार निगरानी का बोझ कम हो जाएगा। वे अब ज़्यादा जरूरी और रणनीतिक कामों पर ध्यान दे पाएंगे और ऑपरेशन को और अच्छे से अंजाम दे पा

“मेक इन इंडिया” और आत्मनिर्भर भारत

यह सिस्टम भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को मजबूत करने में भी मदद करेगा। आने वाले समय में पता चलेगा कि इसमें कितनी तकनीक और सामान भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप्स ने दी हैं। अगर यह सिस्टम पूरी तरह देश में बनाया गया है, तो इसे ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर रक्षा से जोड़ा जा सकता है। इससे न सिर्फ़ हमारी सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि भारत की तकनीकी ताकत को दुनिया के सामने भी दिखाया जा सकेगा।

सीमा सुरक्षा का भविष्य

भविष्य में DSS को ड्रोन निगरानी, सैटेलाइट डेटा, मौसम की जानकारी और ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) जैसी तकनीकों के साथ जोड़ा जा सकता है। इससे सीमा सुरक्षा और भी मजबूत होगी। जब भारत पूरी तरह से स्मार्ट बॉर्डर सिस्टम की ओर बढ़ेगा, तो DSS इसका सबसे अहम हिस्सा साबित होगा।

बीएसएफ का यह नया कदम सिर्फ़ एक सिस्टम लॉन्च करने का मामला नहीं है। यह भारत की सुरक्षा रणनीति में बड़ा बदलाव है। पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाली चुनौतियों को देखते हुए यह तकनीक भारत के लिए एक ढाल की तरह काम करेगी। यह जवानों का बोझ कम करेगी, सीमाओं को और सुरक्षित बनाएगी और भारत को “स्मार्ट बॉर्डर” के सपने की ओर आगे ले जाएगी।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह DSS आने वाले समय में सीमा सुरक्षा का चेहरा बदल देगा और भारत को नई तकनीकी ऊँचाइयों तक ले जाएगा।

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