शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में तियानजिन से जो तस्वीर निकली, उसने वैश्विक राजनीति की धारा मोड़ दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का एक ही कार में बैठकर द्विपक्षीय बैठक के लिए जाना कोई औपचारिक शिष्टाचार नहीं था, बल्कि यह एक सशक्त राष्ट्रवादी संदेश था—भारत आज अपने हितों के लिए निर्णायक कदम उठाने वाला देश है और उसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दृढ़ता के साथ कर रहे हैं।
मोदी-पुतिन की सवारी: दोस्ती और संकल्प का प्रतीक
रूस की स्वदेशी लग्ज़री कार Aurus Sedan में मोदी और पुतिन का साथ बैठना केवल दो नेताओं की मित्रता का दृश्य नहीं था, बल्कि यह भारत की विदेश नीति के आत्मविश्वास की तस्वीर थी। मोदी ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत और रूस की साझेदारी पर किसी तीसरे का दबाव असर नहीं डाल सकता।
अमेरिकी दबाव के बीच भारत का साहस
अमेरिका ने हाल ही में भारत पर 50% तक का टैरिफ थोप दिया क्योंकि भारत ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना जारी रखा। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने साफ कर दिया कि हमारी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हित सबसे पहले हैं।
मोदी-पुतिन की यह सवारी वही संदेश दोहराती है-भारत किसी विदेशी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है।
मोदी की विदेश नीति: संतुलन और आत्मसम्मान
तियानजिन में मोदी ने न सिर्फ पुतिन संग दोस्ताना रिश्ता दिखाया, बल्कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी 50 मिनट लंबी बातचीत की। यह मोदी की कूटनीति का अनूठा संतुलन है-सीमा विवाद पर सख्ती और भविष्य के लिए संवाद। यानी, मोदी वह नेता हैं जो न टकराव से भागते हैं और न दबाव में झुकते हैं।
पाकिस्तान का अपमान, भारत का उत्थान
जैसे ही मोदी और पुतिन आपस में गहरी बातचीत करते हुए आगे बढ़े, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ पीछे अकेले खड़े रह गए। यह दृश्य बताता है कि SCO में अब पाकिस्तान हाशिए पर है और भारत केंद्र में है।
भारत की नई पहचान: एजेंडा सेट करने वाला राष्ट्र
आज भारत केवल बैठकों में शामिल होने वाला देश नहीं रहा। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे उस मुकाम पर ला दिया है जहां भारत ही एजेंडा तय करता है। चाहे रूस हो, चीन हो या अमेरिका-हर बड़ा देश अब भारत के फैसलों को ध्यान से सुनता है।
तियानजिन से निकला भारत का संदेश
मोदी और पुतिन की साझा कार सवारी ने दुनिया को तीन स्पष्ट बातें बताईं—
भारत-रूस की दोस्ती अडिग है।
भारत किसी भी विदेशी दबाव के आगे नहीं झुकेगा।
मोदी के नेतृत्व में भारत आत्मविश्वास के साथ वैश्विक राजनीति का निर्णायक खिलाड़ी बन चुका है।