पंजाब की बाढ़: जब भाजपा ने जनता का हाथ थामा

भाजपा कार्यकर्ता गांव-गांव पहुंचे। नावें, ट्रैक्टर और राहत सामग्री लेकर उन्होंने लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। खेतों और गलियों में घुटनों तक पानी में उतरकर मदद की गई।

पंजाब की बाढ़: जब भाजपा ने जनता का हाथ थामा

बाढ़ में पंजाब के लोगों के लिए भाजपा ने किया हर प्रकार का सहयोग।

बरसात के बाद पंजाब की धरती दो चेहरों वाली नजर आ रही थी। सतलुज और ब्यास की धाराएं अपने तटों पर लौट रही थीं, लेकिन खेतों में पसरी गाद, टूटे घरों की दीवारें और गलियों में खड़ा पानी लोगों की आंखों में डर और उम्मीद का मिश्रण छोड़ रहे थे। यह केवल पानी का कहर नहीं था, बल्कि प्रशासनिक असहयोग और नेतृत्व की अनुपस्थिति की भी कहानी थी। मुख्यमंत्री भगवंत मान बीमार थे और अरविंद केजरीवाल दिल्ली लौट गए। मोगा के किसान अमनदीप कहते हैं, “सरकार हमारे पास नहीं थी। जो मदद आई, वह भाजपा और मोदी की टीम के रूप में थी।”

भाजपा की जमीनी सक्रियता: नावें, ट्रैक्टर और भरोसा

भाजपा कार्यकर्ता गांव-गांव पहुंचे। नावें, ट्रैक्टर और राहत सामग्री लेकर उन्होंने लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। खेतों और गलियों में घुटनों तक पानी में उतरकर मदद की गई। पटियाला की बुज़ुर्ग बीबी कौर कहती हैं, “सरकार कहीं नहीं दिखी, लेकिन भाजपा वाले हर गली में नजर आए। उनके बिना तो हम अभी भी पानी में फंसे होते।”

किसानों के लिए राहत केवल भोजन तक सीमित नहीं थी। जलमग्न खेतों से पानी निकालने के लिए मोटर और डीज़ल पंप लगाए गए। जसवंत सिंह कहते हैं, “अगर भाजपा के लोग न आते, तो पानी कभी नहीं निकल पाता। अगली बुवाई भी खतरे में पड़ जाती।”

शिवराज सिंह चौहान का खेतों में उतरना

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद खेतों में जाकर किसानों की परेशानियों को सुना। घुटनों तक पानी में खड़े होकर उन्होंने अधिकारियों को मौके पर आदेश दिए। पटियाला के हरदेव सिंह बताते हैं, “पहली बार किसी मंत्री को हमारे साथ पानी और गाद में खड़े देखकर हमारी तकलीफ सुनते देखा। भरोसा हुआ कि हमारी बात सुनी जा रही है।” चौहान ने किसानों के साथ बैठकर राहत वितरण की योजना बनाई और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में पंप और नावें भेजने के निर्देश दिए।

पीएम मोदी का पंजाब दौरा: हेलीकॉप्टर से खेतों तक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रभावित जिलों का दौरा करने आए। उनका दौरा औपचारिक नहीं था, जनता के बीच जाकर सीधे संवाद करने वाला था।

लुधियाना: राहत कैंप में मोदी बच्चों और बुज़ुर्गों के बीच पहुंचे। उन्होंने पूछा कि कोई भूखा या बीमार तो नहीं। बच्चों के हाथ से रोटी लेकर कहा, “तुम्हारा पेट भरा रहना चाहिए, यही हमारी जिम्मेदारी है।”

जालंधर: मोदी सीधे किसानों के बीच गए। खेत के किनारे बैठकर उन्होंने सुना कि फसलें कितनी डूबी हैं और नुकसान कितना हुआ। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र की हर मदद तुरंत उनके पास पहुंचेगी।

फतेहगढ़ साहिब: मोदी मिट्टी पर बैठकर लोगों से बातचीत करते रहे। उन्होंने प्रधानमंत्री राहत कोष से तुरंत पैकेज जारी करने और फसल नुकसान का सर्वे युद्धस्तर पर करने का भरोसा दिलाया।

संगरूर: छोटे गांवों में, जहां बिजली और सड़क बाधित थीं, मोदी की टीम ने हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री गिराई। बच्चे आसमान की ओर देख रहे थे, बुज़ुर्ग हाथ जोड़कर धन्यवाद दे रहे थे।

मोदी के दौरे के दौरान, स्थानीय पत्रकारों ने देखा कि प्रधानमंत्री खुद ग्रामीणों के पास बैठकर उनकी कहानियां सुन रहे थे। किसानों ने कहा कि उनका यह दौरा केवल औपचारिकता नहीं था, बल्कि वास्तविक मदद और आश्वासन लेकर आया।

गुरुद्वारे और महिला मोर्चा: राहत का संगम

अमृतसर और पटियाला के गुरुद्वारे लंगर और शरणस्थल बने रहे। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इन्हीं से राहत सामग्री गांव-गांव तक पहुँचाई। महिला मोर्चा ने बच्चों के लिए दूध और महिलाओं के लिए दवाइयां वितरित की। हरप्रीत कौर कहती हैं, “संकट में औरतों की तकलीफ सबसे बड़ी होती है। हमने कोशिश की कि कोई महिला और बच्चा भूखा न सोए।” गुरुद्वारों से मिली राहत ने लोगों का भरोसा लौटाया। बिना किसी भेदभाव के हर गांव तक सहायता पहुंचाई गई।

आप सरकार की अनुपस्थिति और असहयोग

आप सरकार की गैरमौजूदगी और कई जगह असहयोग ने स्थिति और चुनौतीपूर्ण बना दी। कई जिलों में प्रशासनिक आदेशों के बावजूद राहत में देरी हुई। स्थानीय अफसर बताते हैं कि मुख्यमंत्री और केजरीवाल के निर्देश आने में समय लगा। कई गांवों में भाजपा कार्यकर्ताओं को रास्ता तय करने में संघर्ष करना पड़ा। मोगा के एक किसान कहते हैं, “जब सत्ता हाथ नहीं बढ़ाती और सहयोग नहीं करती, तब जनता को खुद ही मदद जुटानी पड़ती है।”

चुनाव हार के बावजूद सेवा

पंजाब में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा को करारी हार झेलनी पड़ी। वोट शेयर कम हुआ, कई जिलों में उम्मीदें टूट गईं। लेकिन बाढ़ की घड़ी ने दिखा दिया कि हार राजनीति को रोक नहीं सकती। भाजपा ने जमीनी स्तर पर राहत कार्य तेज किया, संकट में लोगों का हाथ थामा और यह संदेश दिया कि सेवा राजनीति से ऊपर है। भाजपा कार्यकर्ता चुनाव हार के बावजूद गांव-गांव में सक्रिय रहे। लोगों का कहना था कि संकट के समय किसी भी राजनीतिक दल के मत नहीं पूछे जाते, केवल मदद की जरूरत होती है।

गांवों और लोगों के दृश्य

लुधियाना: एक बुज़ुर्ग महिला अपने टूटे घर के दरवाजे पर खड़ी थी। उसके बच्चे बारिश और बाढ़ से बचकर उसके पास झुके थे। भाजपा कार्यकर्ताओं ने राहत सामग्री देते हुए कहा, “अब आप सुरक्षित हैं, हम आपके साथ हैं।”

पटियाला: चौहान और मोदी की टीम किसानों के साथ खड़ी थी। किसानों की बातें और उनकी चिंता सुनकर अधिकारियों को तत्काल राहत उपाय करने के निर्देश दिए गए।

जालंधर: बच्चों ने पानी से बचकर मोदी और टीम को देखा, बुजुर्गों ने हाथ जोड़कर धन्यवाद किया।

संगरूर: जहां नहर का पानी खेतों में घुस गया था, मोदी और चौहान ने खुद मिट्टी हटाने में हाथ बंटाया। किसानों ने कहा, “यह पहली बार है जब किसी बड़े नेता ने हमारी तकलीफ खुद देखी और मदद की।

हर गांव में भाजपा कार्यकर्ताओं की सक्रियता ने लोगों का भरोसा लौटाया। राहत कार्य केवल वितरण तक सीमित नहीं था; गांवों में पानी निकालना, घर और फसल बचाना, और लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाना भी शामिल था।

आज, जब पानी उतर चुका है, लोग यही कहते हैं—“जब सत्ता गायब थी और आप सरकार सहयोग नहीं कर रही थी, तब भाजपा और मोदी हमारे बीच थे।” बाढ़ ने यह साबित किया कि राजनीति केवल भाषण और घोषणाओं तक सीमित नहीं होती। संकट की घड़ी में सेवा ही असली परीक्षा है। इस बार पंजाब ने भाजपा को उसी रूप में देखा—एक ऐसी ताकत जिसने लोगों के दुख-दर्द में उनका हाथ थामा।

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