उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और योगी आदित्यनाथ का सक्रिय नेतृत्व

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उत्तर प्रदेश में किसी भी तरह का जबरन धर्मांतरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका संदेश सख्त था-“हम हिंदू समाज और इसकी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करेंगे।

उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और योगी आदित्यनाथ का सक्रिय नेतृत्व

जबरन धर्मांतरण से भारतीय संस्कृति पर किया जा रहा हमला।

कानपुर के बाहरी इलाके की गलियों में पुलिस की टुकड़ी एक मिशनरी संगठन के ठिकानों पर पहुंची। गरीब और कमजोर हिंदू परिवारों को झूठे वादों में फंसाकर धर्म बदलने की साजिश सामने आई। बच्चों और महिलाओं को मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा का लालच दिया जा रहा था। यह कोई अलग-थलग घटना नहीं थी, बल्कि पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश के कई जिलों में लगातार सामने आई ऐसी गतिविधियों का हिस्सा थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उत्तर प्रदेश में किसी भी तरह का जबरन धर्मांतरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका संदेश सख्त था-हम हिंदू समाज और इसकी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करेंगे। जो भी इस पर चोट करेगा, उसके खिलाफ प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई होगी।”

योगी सरकार ने लागू किया धर्मांतरण विरोधी कानून

सरकार ने 2020 में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया। इसके साथ ही प्रशासनिक मशीनरी को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि मिशनरी नेटवर्क पर निगरानी रखी जाए और दोषियों को कड़ी सजा दिलाई जाए। द टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस छापे की रिपोर्ट में लिखा-सरकार ने मिशनरी नेटवर्क को खुला संदेश दिया कि अब उत्तर प्रदेश में हिंदू समाज को कमजोर करने की साजिश बर्दाश्त नहीं होगी।”

उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण का स्वरूप बदल चुका है। अब मिशनरी संगठन शहर और गांव दोनों में सक्रिय हैं। सेवा, हॉस्टल और शिक्षा के बहाने लोगों को धीरे-धीरे प्रभावित किया जा रहा है। हिंदुस्तान टाइम्स ने रिपोर्ट किया कि रणनीति का केंद्र गरीब और कमजोर हिंदू परिवारों को निशाना बनाना है, जिनकी शिक्षा और आर्थिक स्थिति कमज़ोर है।

योगी आदित्यनाथ ने इसके जवाब में केवल कानून ही नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता अभियान भी शुरू किया। मंदिरों, गुरुकुलों और स्थानीय सभाओं को अभियान का केंद्र बनाया गया। मथुरा, काशी और अयोध्या के मंदिरों में आयोजित सभाओं में उन्होंने कहा—“हिंदू समाज की सुरक्षा केवल कानून से नहीं होती। हर नागरिक की जागरूकता, हर परिवार की सजगता और हर मंदिर का सक्रिय योगदान ही इसे सुरक्षित रख सकता है।”

उत्तर प्रदेश सरकार ने सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का भी उपयोग किया। NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन ने “स्मार्ट जागरूकता अभियान” चलाया, जिसमें धर्मांतरण के गिरोहों की पहचान और उनके तरीकों की जानकारी जनता तक पहुंचाई जा रही है। युवाओं और ग्रामीणों में सवाल पूछने की हिम्मत बढ़ी है और समुदाय स्वयं सजग होने लगा है।

हो रही अंतरराष्ट्रीय फंडिंग

धर्मांतरण के पीछे बड़ी अंतरराष्ट्रीय फंडिंग और नेटवर्क की भूमिका भी है। कई मिशनरी संगठन विदेशों से पैसा लेकर उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं। योगी के नेतृत्व में प्रशासन ने इन नेटवर्क्स पर निगरानी बढ़ाई और कई संगठनों का FCRA लाइसेंस रद्द किया। द पायनियर की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम धर्मांतरण की गतिविधियों को रोकने में निर्णायक साबित हुआ।

उत्तर प्रदेश, जिसे हिंदू सभ्यता की जन्मभूमि कहा जाता है, में धर्मांतरण केवल आस्था का मामला नहीं बल्कि राष्ट्रीय पहचान पर भी हमला है। ऑर्गनाइज़र की रिपोर्ट बताती है कि धर्मांतरण का असली उद्देश्य हिंदू समाज को कमजोर करना और उसकी एकता तोड़ना है। योगी आदित्यनाथ ने इसे साफ शब्दों में कहा- उत्तर प्रदेश हमारी संस्कृति और पहचान की धरोहर है। इसे कोई चुनौती नहीं दे सकता। हम हर स्तर पर इसका बचाव करेंगे।” इस पूरे अभियान का असर अब दिखने लगा है। प्रशासन और पुलिस सतर्क हैं, मंदिर और गुरुकुल सक्रिय हैं, और समाज स्वयं जागरूक हो रहा है। धर्मांतरण के मामले तेजी से पकड़े जा रहे हैं और लोगों में अपनी संस्कृति और पहचान को बचाने का विश्वास लौट रहा है

पूरे देश के लिए उदाहरण  

उत्तर प्रदेश का यह अनुभव पूरे भारत के लिए उदाहरण है। कानून और प्रशासनिक कार्रवाई केवल पहला कदम है। इसके साथ-साथ सामूहिक जागरूकता, मंदिर-केंद्रित रणनीति और डिजिटल अभियान ही धर्मांतरण की आग को रोक सकते हैं। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह मॉडल स्पष्ट संदेश देता हैसंस्कृति, पहचान और समाज की रक्षा के लिए दृढ़ नेतृत्व और सक्रिय भागीदारी अनिवार्य है।

आज उत्तर प्रदेश में हिंदू समाज जागरूक है। मंदिर, गुरुकुल और परिवार सक्रिय हैं। धर्मांतरण की आग को केवल कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई से नहीं, बल्कि सामूहिक जागरूकता और राष्ट्रवाद के बल पर रोका जा सकता हैयह केवल उत्तर प्रदेश का उदाहरण नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए संदेश हैसंस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए नेतृत्व और जागरूकता ज़रूरी है

Exit mobile version