लंदन में गांधी की प्रतिमा का अपमान- कोई नई बात नही, पहले भी हो चुके कई हमले! गांधीविरोध की क्या है वजह?

उपद्रवियों ने पेंट से "गांधी", "मोदी" और "हिंदुस्तानी" को आतंकी लिखा। भारतीय उच्चायोग ने इस घटना पर नाराजगी जताई और कहा कि यह सिर्फ प्रतिमा पर हमला नहीं, बल्कि गांधी के अहिंसा और शांतिपूर्ण विचारों पर भी हमला है।

लंदन में गांधी की प्रतिमा का अपमान- कोई नई बात नही, पहले भी हो चुके कई हमले! गांधीविरोध की क्या है वजह?

महात्मा गांधी की प्रतिमा के अपमान की कई कहानियां हम पहले भी सुनते आये है। यह कोई नई बात नही है लेकिन एक बार फिर लंदन के टैविस्टॉक स्क्वायर में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर सोमवार, 29 सितंबर 2025 को आपत्तिजनक नारे लिखे गए। उपद्रवियों ने पेंट से “गांधी”, “मोदी” और “हिंदुस्तानी” को आतंकी लिखा। भारतीय उच्चायोग ने इस घटना पर नाराजगी जताई और कहा कि यह सिर्फ प्रतिमा पर हमला नहीं, बल्कि गांधी के अहिंसा और शांतिपूर्ण विचारों पर भी हमला है।

उच्चायोग ने बताया कि स्थानीय अधिकारियों को इस घटना की सूचना दी गई और अब पुलिस इसकी जांच कर रही है। उच्चायोग ने कहा कि यह बहुत ही दुखद घटना है और यह अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस से सिर्फ तीन दिन पहले हुई है अब इसे बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है। प्रतिमा की मरम्मत और देखभाल करने के लिए वे स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

गांधी की प्रतिमा का इतिहास

महात्मा गांधी की यह कांस्य प्रतिमा 1968 में बनी थी। इसे प्रसिद्ध पोलिश-भारतीय प्रतिमाकार फ्रेडा ब्रिलियंट ने बनाया था। यह प्रतिमा यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) के पास के गार्डन में लगी है। गांधी 1888-1891 में UCL में कानून के छात्र थे, इसलिए यह प्रतिमा गांधीजी के लंदन में बिताए गए समय और उनकी दुनिया भर में उनकी प्रेरणा और योगदान को याद करने का तरीका है।  हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर यहां समारोह आयोजित किए जाते हैं।

दुनिया में गांधी की प्रतिमाओं पर हमले

यह कोई पहला मामला नही है, इससे पहले भी महात्मा गांधी की प्रतिमाओं पर हमले के मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि टैविस्टॉक स्क्वायर में यह पहला मामला है, और यह गांधी जयंती से सिर्फ तीन दिन पहले हुआ, इसलिए यह और भी संवेदनशील माना जा रहा है। दुनियाभर में गांधी की प्रतिमाओं पर हमले की जो घटनाएं हुई हैं, वो दिखाती हैं कि कुछ लोग उनके विचारों और उनके योगदान से असहमत हैं। ये घटनाएं कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और भारत जैसे देशों में सामने आई हैं।

कनाडा: 13 जुलाई 2022 को रिचमंड हिल, ओंटारियो में महात्मा गांधी की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया गया। भारतीय कांसुलेट जनरल ने इसे “घृणास्पद अपराध” बताया और स्थानीय पुलिस से कार्रवाई की मांग की थी। इस घटना को एक नफरत भरा अपराध माना गया था। जिसका मकसद भारतीय समुदाय को डराना और उनके धार्मिक प्रतीकों का अपमान करना था।

अमेरिका: 2 और 3 जून 2020 की रात, वाशिंगटन डी.सी. में भारतीय दूतावास के पास गांधी की प्रतिमा को तोड़ा गया। यह घटना जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के दौरान हुई थी। प्रतिमा पर अपशब्द लिखे गए और उसे रंग से पोत दिया गया।

ब्रिटेन: जून 2020 में, लंदन के संसद चौक में गांधी की प्रतिमा पर “रैसिस्ट” शब्द लिखे गए और उसे सफेद रंग से पोत दिया गया। यह ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के दौरान हुआ था।

भारत: 2020 में, पटना के गांधी मैदान में प्रतिमा को अज्ञात लोगों ने तोड़ा। यह घटना उस समय हुई जब राज्य में जातीय और राजनीतिक तनाव बढ़ा हुआ था।

साउथ अफ्रीका: 2003, डर्बन और 2015, जोहान्सबर्ग – प्रदर्शनकारियों ने गांधी को नस्लीय बताते हुए प्रतिमा हटाने की मांग की और #GandhiMustFall अभियान के तहत तोड़फोड़ की।

नीदरलैंड्स और ऑस्ट्रेलिया: 2020, नीदरलैंड्स – लाल पेंट से “रेसिस्ट” लिखा गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कुछ लोगों का मानना था कि दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए गांधी के शुरुआती विचार नस्लीय थे। इसी वजह से उन्होंने प्रतिमा को निशाना बनाया।

गांधीविरोध के कारण

गांधी जी पर हमले और विरोध कई वजहों से होते हैं। सबसे बड़ी वजह उनके अहिंसा और शांति के सिद्धांत हैं, जो हिंसा और उग्रता पर भरोसा करने वालों को खटकते हैं। कुछ लोग राजनीतिक या सामाजिक कारणों से उनके विचारों को पसंद नहीं करते। धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेद भी कारण बनते हैं, जैसे खालिस्तान समर्थक समूहों ने अमेरिका और कनाडा में उनकी मूर्तियों को निशाना बनाया।

गांधी जी की मूर्तियों पर हमले अक्सर लोगों के गुस्से और असहमति से जुड़े होते हैं। यह दिखाने का एक तरीका होता है कि वे गांधी के अहिंसा और शांति के संदेश को मानते नहीं हैं। मूर्ति तोड़ना एक तरह का प्रतीकात्मक हमला है, जिससे यह जताया जाता है कि उनके विचारों को कमजोर करना है। पश्चिमी देशों में कई बार इसमें नस्लभेद और भारतीयों के खिलाफ भेदभाव भी जुड़ जाता है। इसलिए गांधी का विरोध सिर्फ किसी की निजी नफरत नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक मतभेद भी शामिल होते हैं।

क्या है गांधी के विरोध की मानसिकता?

गांधी को कई लोग सिर्फ एक इंसान नहीं, बल्कि एक राजनीतिक प्रतीक मानते हैं। इसलिए उनकी मूर्तियों पर हमला करके विरोधी लोग अपने गुस्से या संदेश को दिखाना चाहते हैं। ऐसे हमले अक्सर घृणा अपराध (hate crime) कहे जाते हैं, क्योंकि इनमें किसी खास विचार या समुदाय को निशाना बनाया जाता है। जैसे कनाडा के रिचमंड हिल वाली घटना को पुलिस ने “hate-motivated incident” कहा था।

इन विरोधों के पीछे कई वजहें होती हैं- कभी नस्लवाद, कभी धार्मिक या सांप्रदायिक मतभेद, तो कभी खालिस्तान समर्थक राजनीति। हमले कई बार खास मौके पर किए जाते हैं। जैसे गांधी जयंती या अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के ठीक पहले, ताकि उनका असर और ज्यादा हो। इस तरह की तोड़फोड़ से विरोधी ये दिखाना चाहते हैं कि वे गांधी के अहिंसा और शांति के विचारों को मानते नहीं हैं, बल्कि उन्हें चुनौती देना चाहते हैं।

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