ट्रंप का एक और टैरिफ बम: अमेरिका और वैश्विक व्यापार को झटका

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक व्यापार में फिर एक बड़ा झटका दिया है। उन्होंने पहले जिन सामानों को टैरिफ मुक्त करने का निर्णय लिया था, अब उन पर भारी दरों में टैरिफ लगाने की घोषणा की है।

ट्रंप का एक और टैरिफ बम: अमेरिका और वैश्विक व्यापार को झटका

टैरिफ युद्ध ने वैश्विक व्यापार की जटिलता को और बढ़ा दिया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक व्यापार में फिर एक बड़ा झटका दिया है। उन्होंने पहले जिन सामानों को टैरिफ मुक्त करने का निर्णय लिया था, अब उन पर भारी दरों में टैरिफ लगाने की घोषणा की है। दवाइयों पर 100 प्रतिशत, किचन कैबिनेट और बाथरूम वैनिटी पर 50 प्रतिशत, फर्नीचर पर 30 प्रतिशत और भारी ट्रकों पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया गया है। इस कदम से अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदारों के बीच तनाव बढ़ गया है और वैश्विक सप्लाई चेन पर असर पड़ने लगा है।

टैरिफ युद्ध की शुरूआत

सबसे पहले टैरिफ युद्ध की शुरुआत 2018 में हुई, जब अमेरिका ने चीन से आने वाले लाखों डॉलर के सामान पर भारी दरों का शुल्क लगाने की घोषणा की। ट्रंप का कहना था कि अमेरिका का घरेलू उद्योग और रोजगार सुरक्षित रहना चाहिए और चीन समेत अन्य देशों के “अन्यायपूर्ण व्यापारिक प्रथाओं” का जवाब देना जरूरी है। इस अभियान के तहत अमेरिका ने इस्पात और एल्युमिनियम सहित कई उत्पादों पर टैरिफ लगाया।

चीन ने इसका जवाब भी समान मुद्रा में दिया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ा। इसके बाद यह टैरिफ युद्ध धीरे-धीरे अन्य देशों तक फैल गया, जिनमें यूरोपीय देश, मेक्सिको और भारत शामिल थे।

भारत पर प्रभाव

भारत अमेरिकी टैरिफ युद्ध में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुआ। अमेरिकी बाजार भारत का प्रमुख निर्यात बाज़ार है। ट्रंप के निर्णयों से भारतीय उद्योगों को अब अधिक लागत और प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। दवाइयों, फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात पर विशेष दबाव पड़ा। इसके बावजूद भारत ने शांत और मजबूती भरी नीति अपनाई, अपने निर्यातकों को राहत देने और वैकल्पिक बाजारों की खोज में जुट गया।

ट्रंप का नया फैसला

सितंबर 2025 में ट्रंप ने टैरिफ को और बढ़ा दिया। दवाइयों पर 100 प्रतिशत, किचन कैबिनेट और बाथरूम वैनिटी पर 50 प्रतिशत, फर्नीचर पर 30 प्रतिशत और भारी ट्रकों पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया। यह कदम अमेरिका की घरेलू उद्योग नीति का हिस्सा है, लेकिन वैश्विक व्यापार और सहयोग पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप का यह कदम वैश्विक व्यापार में “शक्ति प्रदर्शन” का संकेत भी है। अमेरिका अपने लाभ को सर्वोपरि मानकर अन्य देशों को आर्थिक दबाव में रखने की रणनीति अपना रहा है।

भारत की दृष्टि से यह एक चुनौती है, लेकिन इसे अवसर में बदलने की क्षमता भी उसके पास है। भारत ने हमेशा अपनी औद्योगिक और उत्पादन शक्ति को बढ़ाया है। अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित क्षेत्रों में भारत ने अपनी क्षमता बढ़ाने और वैकल्पिक बाजार खोजने की पहल की है। यह समय भारत के स्वदेशी उद्योगों और निर्यात बढ़ाने के लिए एक सुनहरा अवसर है।

राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह दिखाता है कि भारत को अपनी आर्थिक रणनीति और उत्पादन आत्मनिर्भरता को मजबूत करना चाहिए। अमेरिकी टैरिफ से भारत के लिए यह संदेश स्पष्ट है कि वैश्विक दबावों के सामने अपनी ताकत बढ़ाना ही दीर्घकालिक सुरक्षा और विकास का मार्ग है।

टैरिफ युद्ध ने वैश्विक व्यापार की जटिलता को और बढ़ा दिया है। ट्रंप का नया फैसला दुनिया भर के निर्यातकों के लिए चेतावनी है, लेकिन भारत के लिए यह अवसर भी है। भारत ने हमेशा वैश्विक दबावों के सामने अपने उद्योगों और व्यापार को मजबूत किया है। यही रणनीति भविष्य में भारत को न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भी उसकी स्थिति को और सुदृढ़ करेगी।

अमेरिका का टैरिफ वार, चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, भारत जैसी उभरती हुई शक्ति के लिए चुनौती और अवसर दोनों का मिश्रण है। भारत पर इसका कोई असर नहीं होने वाला। भारत को अब अपने घरेलू उद्योग, निर्यात और वैकल्पिक बाजारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आत्मनिर्भर बनना होगा।

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