बिहार में बज गया चुनावी बिगुल: जानें विधानसभा चुनाव 2025 का पूरा शेडयूल

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि राज्य में दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण के लिए 6 नवंबर और दूसरे के लिए 11 नवंबर की तारीख तय की गई है।

बिहार में बज गया चुनावी बिगुल: जानें विधानसभा चुनाव 2025 का पूरा शेडयूल

इस बार के चुनाव में आयोग 17 नए प्रयोग करने जा रहा है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का आखिरकार एलान हो गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि राज्य में दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण के लिए 6 नवंबर और दूसरे के लिए 11 नवंबर की तारीख तय की गई है। मतगणना 14 नवंबर को होगी। इस घोषणा के साथ ही बिहार की सियासत में चुनावी तापमान तेजी से बढ़ गया है।

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राज्य की 243 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। आयोग ने बताया कि इस बार मतदान प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक पारदर्शी और तकनीकी रूप से सुरक्षित होगी। हर बूथ पर वेबकास्टिंग की व्यवस्था की जाएगी, ताकि मतदान पर निगरानी बनी रहे। मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा कि इस बार 22 साल बाद मतदाता सूची का शुद्धिकरण किया गया है और हर पोलिंग स्टेशन पर औसतन 818 वोटर होंगे।

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग लोकतंत्र के इस पर्व को शांति और निष्पक्षता से संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है। अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, वहीं बुजुर्गों और दिव्यांग मतदाताओं के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस बार के चुनाव में आयोग 17 नए प्रयोग करने जा रहा है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की महत्वपूर्ण जानकारी

कुल सीटें: 243
SC रिजर्व सीट: 38
ST रिजर्व सीट: 2
कुल पंजीकृत मतदाता: 7,42,00,000
पुरुष मतदाता: लगभग 3,92,70,804
महिला मतदाता: लगभग 3,49,82,828
85 वर्ष से ऊपर के वोटर: 4,03,985
18 से 19 साल के नए वोटर: 14,01,050
दिव्यांग मतदाताः 7,20,709
थर्ड डेंजर मतदाताः 17254
ड्राफ्ट रोल से बाहर: 65,64,075
फाइनल वोटर लिस्ट से बाहर: 3,66,742
दावा और आपत्ति के दौरान जुड़े नाम: 21,53,343
मुख्य राजनीतिक दल: JDU, BJP, RJD, कांग्रेस, लेफ्ट पार्टियां (CPI, CPIML), जन सुराज पार्टी, LJP (राम विलास- चिराग पासवान गुट), RLJP (पशुपति पारस गुट), AIMIM, RLJP, HAM, VIP

एनडीए में उत्साह, विपक्ष में बेचैनी

चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी रणनीति पर जोर लगाना शुरू कर दिया है। एनडीए खेमे में इसे जनता के विश्वास की पुनः परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है। अब वो दौर गया जब बूथ लूटे जाते थे और मतदाताओं को धमकाया जाता था। आज का बिहार पारदर्शिता और जनविश्वास पर टिका है।

वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि SIR पर जो लोग अफवाह फैला रहे हैं, उन्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए। चुनाव आयोग की दया है कि उन पर एफआईआर नहीं हुई। ये लोग बांग्लादेशी वोटरों को बचाने के लिए भ्रम फैला रहे हैं।

उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी कहा कि “यह चुनाव लोकतंत्र की मजबूती की खूबसूरती होगा। बिहार का यह चुनाव पूरे देश के लिए नजीर पेश करेगा।”

बदलते बिहार का संदेश

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि 2025 का यह चुनाव जंगलराज बनाम सुशासन के नैरेटिव को फिर से परखेगा। 1990 से 2005 तक के अराजक दौर की तुलना में पिछले डेढ़ दशक में बिहार ने प्रशासन, सड़क, बिजली, शिक्षा और उद्योग के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया है। यह चुनाव यह भी तय करेगा कि जनता इस स्थायित्व को जारी रखना चाहती है या फिर अतीत के उसी अंधेरे रास्ते पर लौटना।

सीमांचल, मिथिला और मगध जैसे इलाके इस बार भी निर्णायक भूमिका में रहेंगे। सीमांचल में पिछले कुछ वर्षों में केंद्र और राज्य की योजनाओं के ज़रिए तेज़ी से बदलाव देखा गया है  प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला, आयुष्मान भारत और किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं ने यहां पहली बार विकास की असली अनुभूति कराई है। यही कारण है कि एनडीए इस क्षेत्र को ‘परिवर्तन की प्रयोगशाला’ बताकर जनता तक पहुंच बनाने की कोशिश में है।

लोकतंत्र का पर्व, तकनीक की निगरानी

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि इस बार हर वोट की गिनती और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वीवीपैट और फॉर्म 17सी का मिलान होगा। अगर किसी बूथ पर मतगणना में मिसमैच हुआ तो उस स्थान की वीवीपैट गिनती अनिवार्य रूप से की जाएगी। साथ ही ECINet प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए मतदाताओं को मतदान केंद्र, उम्मीदवार और निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ी सभी जानकारियाँ एक क्लिक पर मिलेंगी।

बिहार का भविष्य तय करेगी जनता

चुनावी ऐलान के साथ ही एनडीए ने अपने प्रचार अभियान की रूपरेखा को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त रैलियों के ज़रिए बिहार के हर क्षेत्र में विकास कार्यों का ब्यौरा पेश करेंगे, जबकि विपक्षी दल ‘महागठबंधन’ एकजुटता की कोशिशों में जुटा है।

लेकिन ज़मीनी माहौल कुछ और ही कहानी कह रहा है। लंबे समय से स्थिर प्रशासन और केंद्र-राज्य की साझेदारी ने लोगों में भरोसा जगाया है कि बिहार अब पिछड़ेपन का पर्याय नहीं रहा। मतदाताओं के बीच एक व्यापक भावना है कि “बदलते बिहार” को वापस अराजकता में नहीं जाने दिया जाएगा।

अब सबकी निगाहें 6 और 11 नवंबर पर हैं, जब बिहार एक बार फिर साबित करेगा कि लोकतंत्र की जननी सिर्फ इतिहास का विषय नहीं, बल्कि आज भी भारत की राजनीतिक आत्मा की सबसे सशक्त आवाज़ है।

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