चुनाव आयोग का बड़ा फैसला: अब हर बूथ पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता करेंगी बुर्कानशीं महिलाओं की पहचान की जांच

यह कदम साफ संदेश देता है कि भारत में कानून सबके लिए बराबर है। वोट डालना हर नागरिक का हक है, लेकिन पहचान की पुष्टि करना भी जरूरी है।

चुनाव आयोग का बड़ा फैसला: अब हर बूथ पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता करेंगी बुर्कानशीं महिलाओं की पहचान की जांच

चुनाव आयोग ने एक जरूरी और सख्त फैसला लिया है, यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि चुनाव सही और सुरक्षित तरह से हो सके। चुनाव आयोग ने कहा है कि जो महिलाएं बुर्का पहनकर वोट देती है, उन सभी महिलाओं की जांच की जाएगी और उनकी जांच दूसरी महिलाओं द्वारा ही की जाएगी। ऐसी इसलिए होगा  ताकि कानून का पालन हो सके और महिलाओं का सम्मान भी बना रहे। जांच करने वाली महिलाएं आंगनबाड़ी से होंगी और उन्हे हर बूथ पर तैनात किया जाएगा।

बुर्का पहनकर फर्जी मतदान पर सख्त कार्रवाई

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हर मतदान केंद्र पर आंगनवाड़ी की महिला कार्यकर्ता रहेंगी। ये कार्यकर्ता बुर्का पहनने वाली महिलाओं की पहचान जांचेंगी। अगर किसी वोटर की पहचान पर शक होता है तो उनका बुर्का हटाकर उनकी पहचान की जाएगी।

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि यह प्रक्रिया कानून के अनुसार ही होगी और किसी को भी कानून के नियम से ऊपर नहीं माना जाएगा। इससे वोटिंग सही तरह से हो पाएगी और महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान भी बना रहेगा।

कानून और सम्मान दोनों का ख्याल

चुनाव आयोग का यह कदम बताता है कि लोकतंत्र में अधिकार के साथ-साथ जिम्मेदारी भी जरूरी है। आयोग ने कहा कि हर नागरिक की पहचान की जानना उनका कर्तव्य है, और इसे धर्म या कपड़े के आधार पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

बूथों पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को तैनात करना खास और जरूरी इसलिए है ताकि महिलाओं का सम्मान बना रहे। यह तरीका संवेदनशील और सम्मानजनक माना जा रहा है, खासकर उन इलाकों में जहां बहुत सारी बुर्का पहनने वाली महिलाएँ वोट डालती हैं।

बिहार से शुरू हुई मांग

यह मामला तब चर्चा में आया जब बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने चुनाव आयोग से कहा कि बुर्का पहनकर वोट देने वाली महिलाओं की पहचान उनके वोटर कार्ड (ईपीआईसी) से मिलाई जाए। उनका कहना था कि सिर्फ असली मतदाता ही वोट डालें, ताकि फर्जी वोटिंग न हो।

जायसवाल ने बताया कि वोट डालना लोकतंत्र का सबसे बड़ा अधिकार है, लेकिन अगर कोई फर्जी पहचान बनाकर वोट डाले, तो यह लोकतंत्र और कानून दोनों के खिलाफ है। इसके बावजूद, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इस प्रस्ताव का विरोध किया और कहा कि यह धार्मिक भावना से जुड़ा मामला है, इससे महिलाओं को परेशानी भी हो सकती है।

चुनाव आयोग का संतुलित रुख

इन विरोधों के बीच, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि “हर काम की एक प्रक्रिया होती है। बुर्का पहनने वाली महिलाओं की पहचान के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हर बूथ पर मौजूद रहेंगी, और अगर जरूरत पड़ी तो पहचान की जांच की जाएगी।”

उन्होंने साफ किया कि यह कदम किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि सभी मतदाताओं की समान जांच सुनिश्चित करने का तरीका है। आयोग ने कहा कि किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा, लेकिन फर्जी मतदान या पहचान छिपाने की कोशिश पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

फर्जीवाड़े पर रोक, भरोसे में बढ़ोतरी

चुनाव आयोग का यह फैसला लोकतंत्र में पारदर्शिता बढ़ाने और मतदाता का भरोसा मजबूत करने में अहम माना जा रहा है। अब हर बूथ पर महिला कार्यकर्ताओं की होने से फर्जी मतदान कम होगा और महिलाओं का सम्मान भी सुरक्षित रहेगा।

यह कदम साफ संदेश देता है कि भारत में कानून सबके लिए बराबर है। वोट डालना हर नागरिक का हक है, लेकिन पहचान की पुष्टि करना भी जरूरी है।

यह फैसला न सिर्फ फर्जी वोटिंग रोकने में मदद करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि हर महिला मतदाता सुरक्षित और सम्मान के साथ अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सके।
कानून का पालन, पारदर्शिता और सम्मान  यही इस बदलाव की असली पहचान है।

Exit mobile version