नीतीश कुमार की ‘सब्जी क्रांति’: बिहार में खेती-किसानी का नया रास्ता

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसानों के लिए नयी योजना बनाई है, ताकि उन्हें उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके।

नीतीश कुमार की ‘सब्जी क्रांति’: बिहार में खेती—किसानी का नया रास्ता

नीतीश कुमार की यह घोषणा बिहार को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

बिहार लंबे समय से खेती-किसानी पर निर्भर राज्य रहा है। यहां की अधिकांश आबादी कृषि पर ही निर्भर है। लेकिन, किसानों की विडंबना यह रही कि उन्हें उनकी मेहनत का उचित मूल्य कभी नहीं मिल पाया। खेतों में सब्जियां उगाने वाले किसान अक्सर मंडियों में दलालों और बिचौलियों के शिकार बनते रहे। उनकी मेहनत की फसल शहर की मंडियों में महंगी बिकती, लेकिन किसानों को उसके पसीने की सही कीमत नहीं मिलती थी। यही कारण है कि बिहार कृषि प्रधान राज्य होते हुए भी यहां के किसान गरीब ही बने रहे। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसानों के लिए नयी योजना बनाई है, ताकि उन्हें उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके। इसके लिए नीतीश कुमार ने राज्य के सभी 534 प्रखंडों में आधुनिक सब्जी केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है। इससे किसानों को आर्थिक संबल तो मिलेगा ही, उन्हें खेती की नयी तकनीक भी सिखाई जाएगी।

सनद रहे कि यह योजना सिर्फ सरकारी घोषणा नहीं है, बल्कि यह बिहार की कृषि व्यवस्था में एक बड़े बदलाव का संकेत देती है। अब तक बिहार के किसान अपनी सब्जियां बेचने के लिए मंडियों या स्थानीय बाजारों पर निर्भर रहे हैं। अब यह बात तो सभी जानते हैं कि मंडियों में कीमतें बिचौलिये तय करते हैं। किसान भी मजबूर रहते हैं कि अगर उनकी सब्जी समय से न बिक पाई तो खराब हो जाएगी। इस कारण वे मजबूरन उसी दर पर अपनी उपज बेचते हैं। कई बार फसल खराब होने या समय पर बिक न पाने की स्थिति में किसान घाटे में चले जाते हैं। अब आधुनिक सब्जी केंद्र किसानों की इसी समस्या का सीधा समाधान बन सकते हैं, क्योंकि यहां किसानों को अपनी उपज सीधे लाने और उचित मूल्य लेने का मौका मिल सकेगा।

नीतीश सरकार की इस पहल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें सिर्फ बिक्री की व्यवस्था नहीं होगी, बल्कि पूरी सप्लाई चेन तैयार की जाएगी। कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउसिंग जैसी सुविधाएं किसानों को अपनी फसल को सुरक्षित रखने की शक्ति भी देंगी। अब तक बिहार के किसान इस कारण भी नुकसान उठाते रहे कि समय पर सब्जी न बिकने से वह खराब हो जाती थीं। इस कारण किसान औने-पौने दामों में अपनी सब्जी बेचने को विवश हो जाते थे। यहीं पर किसान मार खा जाते थे। लेकन, अब सब्जी केंद्रों पर भंडारण की आधुनिक व्यवस्था होगी तो किसान अपनी उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रख पाएंगे और उचित समय पर उसे बेच सकेंगे। यह किसानों की आय बढ़ाने में सबसे बड़ा कदम होगा। बशर्ते योजना को सही तरीके और ईमानदारी से लागू किया जाए।

किसानों तक पहुंचेगी खेती की नई तकनीक

इस योजना का दूसरा बड़ा असर यह होगा कि किसानों तक नई खेती की तकनीकें पहुंचेंगी। याद रहे कि बिहार का कृषि ढांचा अब भी पारंपरिक ही है। अधिकतर किसान आधुनिक तकनीकों के बारे में जानते ही नहीं। अब सब्जी केंद्रों के माध्यम से उन्हें गुणवत्ता वाले बीज, उन्नत किस्मों की जानकारी और प्रशिक्षण भी मिलेगा। इससे जब पैदावार बढ़ेगी और उपज की गुणवत्ता सुधरेगी, तब बाजार में उनकी पकड़ भी मजबूत होगी। यही नहीं, इन केंद्रों के माध्यम से किसान अपनी उपज को न सिर्फ स्थानीय बाजार तक, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक भी पहुंचा सकेंगे। इसका अर्थ यह होगा कि बिहार के किसान वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बन सकेंगे।

नीतीश कुमार की यह पहल केवल कृषि उत्पादन तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी नई जान डालेगी। जब सब्जी केंद्रों पर भंडारण, पैकेजिंग और मार्केटिंग जैसी गतिविधियां शुरू होंगी तो गांवों में नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। युवा वर्ग, जो अब तक शहरों की ओर पलायन को मजबूर रहा, उसे गांव में ही काम मिल सकता है। यदि इस योजना का सही ढंग से क्रियान्वयन हुआ तो यह योजना पलायन की समस्या पर भी अंकुश लगाने में मदद करेगी।

यह भी ध्यान देने की बात है कि बिहार की राजनीतिक संस्कृति में किसान हमेशा अहम मुद्दा रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस योजना को दुर्गा पूजा जैसे अवसर पर घोषित करके यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी राजनीति केवल शहरी विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण जीवन को भी केंद्र में रखती है। वे यह भी बताना चाहते हैं कि उनकी इस पहल से हर घर तक ताज़ा सब्जियां पहुंचेंगी और हर किसानों को अपनी मेहनत का सही मूल्य मिलेगा। यह सीधा जुड़ाव जनता के बीच उनके प्रति भरोसा बढ़ा सकता है।

हालांकि, हर योजना की तरह इस पहल की भी कुछ चुनौतियां हैं। यह महत्वपूर्ण है कि बिहार की नौकरशाही और प्रशासनिक ढांचा अक्सर योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधक रहा है। आधुनिक सब्जी केंद्र स्थापित करना और उन्हें सुचारु रूप से चलाना आसान नहीं होगा। इसमें पर्याप्त पूंजी निवेश, प्रशिक्षित मानव संसाधन और पारदर्शी प्रबंधन की आवश्यकता होगी। यदि ये केंद्र भ्रष्टाचार या कुप्रबंधन का शिकार हो गए तो किसानों को लाभ मिलने के बजाय यह योजना बोझ बन सकती है। इसके अलावा किसानों को नई व्यवस्था के प्रति जागरूक करना भी बड़ी चुनौती होगी। कई बार किसान पारंपरिक तरीकों को छोड़ने में हिचकिचाते हैं। इसे देखते हुए सरकार को व्यापक प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान चलाने होंगे।

एक और पहलू यह भी है कि सब्जी केंद्रों पर यदि मूल्य निर्धारण पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में रहा तो यह बाजार की प्रतिस्पर्धा को प्रभावित कर सकता है। इसलिए संतुलन बनाए रखना आवश्यक होगा। किसानों को उचित मूल्य भी मिले और उपभोक्ताओं को ताज़ी व सस्ती सब्जियां भी।

नीतीश कुमार की यह घोषणा बिहार को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यदि यह योजना सफल होती है तो बिहार न केवल अपनी आंतरिक सब्जी की जरूरतों को पूरा कर सकेगा, बल्कि बाहर के राज्यों में भी आपूर्ति कर पाएगा। यह ‘सब्जी क्रांति’ बिहार को केवल उत्पादक राज्य ही नहीं, बल्कि कृषि निर्यातक राज्य के रूप में भी स्थापित कर सकती है।

पूरे मामले का सारांश यह है कि नीतीश कुमार का यह कदम किसानों की दशकों पुरानी समस्याओं का हल प्रस्तुत करता है। इसमें किसानों की आय बढ़ाने, उपभोक्ताओं को राहत देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की क्षमता है। लेकिन, यह तभी संभव होगा जब योजना सिर्फ घोषणा बनकर न रह जाए, बल्कि ज़मीनी स्तर पर पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ लागू की जाए। नीतीश कुमार की छवि एक ऐसे नेता की रही है, जो ठोस काम करने में विश्वास रखते हैं। यदि उन्होंने इस बार भी उसी शैली में इसे अमल में लाया, तो यह योजना बिहार की राजनीति और समाज दोनों में दूरगामी असर डाल सकती है।

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