बांग्लादेश की राजधानी ढाका में अमेरिकी अधिकारी Terrence Arvelle Jackson की अचानक मौत ने भारतीय खुफिया तंत्र को झकझोर कर रख दिया है। शुरू में यह केवल एक रहस्यमयी घटना लग रही थी, लेकिन जब खुफिया जानकारी का विश्लेषण किया गया, तो यह स्पष्ट हुआ कि यह भारत के पीएम मोदी को निशाना बनाने वाले बड़े अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का हिस्सा था।
सबसे पहले इससे संबंधित खबर आरएसएस से जुड़ी संस्था organiser ने इस पर खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद ही अमेरिकी एजेंसी सीआईए और भारतीय गुप्तचर एजेंसी रॉ की नजर में ये मामला सामने आया। Jackson केवल एक साधारण अधिकारी नहीं थे। उनका काम दक्षिण एशिया में भारत की सैन्य और राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखना और विदेशी एजेंसियों के लिए रिपोर्ट तैयार करना था। उनकी मौत ने यह संकेत दिया कि या तो साजिश बीच में विफल हो गई थी या उन्हें चुप कराना आवश्यक हो गया। उनके संपर्कों और नेटवर्क में कई ऐसे तत्व शामिल थे, जो भारत विरोधी गतिविधियों में संलग्न थे। इसके साथ स्थानीय कट्टरपंथी समूह, पाकिस्तानी ISI के एजेंट और कुछ राजनीतिक तत्त्व भी शामिल थे।
पीएम मोदी को निशाना बनाना उन शक्तियों के लिए आवश्यक था, जो भारत को अपनी पकड़ में रखना चाहती थीं। मोदी ने भारत को वैश्विक मंच पर सशक्त और स्वतंत्र शक्ति के रूप में स्थापित किया। उन्होंने रूस से तेल खरीदने का निर्णय लिया, चीन के साथ सीमा पर मजबूत रुख अपनाया, बालाकोट एयरस्ट्राइक की और अनुच्छेद 370 को निरस्त किया। उनकी विदेश नीति ने यह साबित कर दिया कि भारत अब किसी विदेशी दबाव में नहीं आएगा।
इन कदमों ने Modi को अमेरिका, चीन और पाकिस्तान जैसी शक्तियों के लिए चुनौतीपूर्ण नेता बना दिया। अमेरिका के लिए भारत की बढ़ती स्वतंत्रता चिंताजनक थी, जबकि चीन ने सीमा पर उनकी कड़ी नीति और Indo-Pacific में भारत की सक्रियता को अपने हितों के लिए खतरा माना। पाकिस्तान के लिए मोदी की कूटनीति और कठोर सुरक्षा रुख ने उनकी रणनीति को बाधित किया।
साजिश की बुनावट बहुत जटिल थी। बांग्लादेश में Jackson और उनका नेटवर्क प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के दौरान उनकी सुरक्षा में कमजोर बिंदुओं की पहचान कर रहा था। ASEAN शिखर सम्मेलन, दक्षिण-पूर्व एशिया में आयोजित एक बहुपक्षीय मंच, उनके लिए आदर्श अवसर था। यात्रा मार्ग, होटल सुरक्षा, venue की vulnerabilities और संभावित हमले के तरीके हर चीज़ पर ध्यान दिया जा रहा था।
लेकिन भारतीय खुफिया तंत्र ने सक्रियता दिखाई। RAW, IB और NSA ने Jackson के नेटवर्क की निगरानी शुरू की, उनके संचार पर नजर रखी और संदिग्ध मुलाकातों का पता लगाया। SPG ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा को और कड़ा किया और ASEAN यात्रा की रणनीति पूरी तरह से फिर से बनाई गई। प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बजाय वर्चुअल माध्यम अपनाया, जिससे साजिश पूरी तरह विफल हो गई। यह केवल सुरक्षा का कदम नहीं था, बल्कि रणनीतिक सफलता थी।
साजिश में शामिल थे कई अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय तत्व। अमेरिकी खुफिया का rogue segment, चीनी MSS, पाकिस्तानी ISI, और बांग्लादेश के कुछ कट्टरपंथी संगठन—सभी का उद्देश्य था प्रधानमंत्री को निशाना बनाना। Jackson तकनीकी और logistical support का अहम हिस्सा थे। हथियार, विस्फोटक, सुरक्षा तंत्र की जानकारी और escape routes—सब कुछ इस ऑपरेशन में शामिल था।
यह घटना मोदी की वैश्विक भूमिका को भी रेखांकित करती है। उनका नेतृत्व न केवल भारत की सुरक्षा और विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी प्रभाव डालता है। यदि उन्हें निशाना बनाया गया होता, तो भारत में राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक झटके और वैश्विक मंच पर उसकी आक्रामक नीति कमजोर पड़ सकती थी।
साजिश सिर्फ physical हमले तक सीमित नहीं थी। इसमें cyber threats, armed drones और biological या chemical agents का इस्तेमाल भी शामिल हो सकता था। यह कोई साधारण आतंकवादी योजना नहीं थी, बल्कि state-sponsored, professionally executed operation थी। इतिहास इस बात का उदाहरण भरपूर देता है। Operation Condor, Patrice Lumumba, Mohammad Mosaddegh, Saddam Hussein इन मामलों ने दिखाया कि powerful intelligence agencies inconvenient leaders को eliminate करने में हिचकिचाती नहीं हैं।
भारत ने भी ऐसे खतरों का सामना किया है। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या, Mumbai, Pathankot, Uri और Pulwama हमले—सभी में विदेशी और घरेलू तत्वों की भूमिका स्पष्ट रही। अब मोदी के नेतृत्व में, जब भारत ने एक assertive posture अपनाया है, तो विरोधी forces ने अपना focus बदलकर leadership को निशाना बनाना शुरू किया।
भविष्य में खतरे खत्म नहीं हुए हैं। Intelligence apparatus को सतत सतर्क रहना होगा। Cybersecurity, neighboring countries में intelligence sharing, और मजबूत diplomatic channels आवश्यक हैं। भारत को अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और आक्रामक सुरक्षा नीति में कोई compromise नहीं करना चाहिए।
ASEAN summit में वर्चुअल भागीदारी केवल tactical retreat नहीं थी, बल्कि strategic victory थी। Conspirators ने महीनों planning की, resources invest किए, networks बनाए और एक निर्णय ने सबकुछ बेकार कर दिया। Jackson की death ढाका में हुई, लेकिन संदेश पूरी दुनिया में गया—India vigilant है, India prepared है और India intimidated नहीं होता।
प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा सिर्फ व्यक्तिगत मामला नहीं है। यह India की stability, progress और global standing से सीधे जुड़ा है। उनका सुरक्षित रहना सुनिश्चित करता है कि भारत का transformational journey बिना किसी रुकावट के जारी रहे। यह घटना यह भी दिखाती है कि जब सुरक्षा और रणनीति बुद्धिमानी से मिलकर काम करती है, तो भारत किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम है।



























