हवा, पानी और जमीन तीनों सेनाएं एक साथ: मेचुका में ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ से चीन के इरादों को कड़ा जवाब

‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ सीमा पर सामरिक संदेश भी है। मेचुका अरुणाचल प्रदेश में है, जो सीधे-सीधे चीन की नज़दीकी में है। यहां पर होने वाले अभ्यास यह इंगित करते हैं कि भारत न केवल रक्षा तकनीक में सुधार कर रहा है, बल्कि औपचारिकताएं तोड़कर वास्तविक ताकत का प्रदर्शन करने को तैयार है।

हवा, पानी और जमीन तीनों सेनाएं एक साथ: मेचुका में ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ से चीन के इरादों को कड़ा जवाब

मेचुका अरुणाचल प्रदेश में स्थित है, जो सीधे-सीधे चीन की नज़दीकी में है।

मंच पर अभ्यास का नाम छोटा नहीं है ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’। यह एक संकेत है कि भारत ने अब सीमाओं की रक्षा को सधे संयोजन, तकनीक और निर्णायकता के साथ आगे बढ़ा दिया है। मेचुका की ऊंची पहाड़ियां सिर्फ़ स्थल नहीं, बल्कि अब रणनीतिक प्रयोगशाला बन रही हैं, जहां थल, वायु और नौसेना एक साथ मिलकर आधुनिक युद्ध की जटिलताओं का अभ्यास कर रहे हैं। यह अभ्यास केवल तात्कालिक युद्ध कौशल का ही परीक्षण नहीं, यह संदेश भी है हवा, पानी और जमीन पर दुश्मन जहां भी टूट पड़ने की कोशिश करेगा, भारत की तैयारियां उससे पहले ही उसे रोकने और पीछे धकेलने के लिए तैयार हैं।

सबसे पहले, ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ अभ्यास की प्रमुख विशेषता यह है कि यह बहु-डोमेन समन्वय का व्यावहारिक नमूना है। विशेष बल, मानव रहित प्लेटफ़ॉर्म, सटीक हड़ताल प्रणालियां और नेटवर्क-आधारित संचालन केन्द्र इनके समन्वित उपयोग से केवल सेना की ताकत ही नहीं बढ़ेगी, बल्कि निर्णय लेने की गति और निशानदेही भी तेज़ होगी। ऊंचाई पर सैन्य संचालन का अभ्यास किसी भी सेना के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यहीं वास्तविक संघर्ष होने की गुंजाइश सबसे अधिक रहती है। आपूर्ति शृंखला, मौसम में उड़ान, ऊंचाई पर हथियारों की कार्यक्षमता और मानव सहनशक्ति ये सभी कारक इस अभ्यास में परखे जा रहे हैं।

चीन को सामरिक संदेश

दूसरा, ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ सीमा पर सामरिक संदेश भी है। यहां बता दें कि मेचुका अरुणाचल प्रदेश में स्थित है, जो सीधे-सीधे चीन की नज़दीकी में है। यहां पर लगातार होने वाले अभ्यास यह इंगित करते हैं कि भारत न केवल अपनी रक्षा तकनीक में सुधार कर रहा है, बल्कि उससे भी बढ़कर औपचारिकताएं तोड़कर वास्तविक ताकत का प्रदर्शन करने को तैयार है। यह केवल प्रतिवाद नहीं, बल्कि deterrence का सक्रिय रूप है। दुश्मन को यह एहसास कराना कि किसी भी प्रकार की जल्दबाज़ी या घुसपैठ का परिणाम उसके लिए भारी होगा।

तीसरा, ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ में मानव रहित प्लेटफ़ॉर्म्स और नेटवर्क संचालन का समावेश यह दिखाता है कि आधुनिक युद्ध में मनुष्य और मशीन का जोड़ा निर्णायक होगा। ड्रोन और अनमैन्ड सिस्टम्स का उपयोग निगरानी, निशाना लगाने और आपूर्ति तक सीमित नहीं रहेगा, वे जोखिम कम करके तीव्र निर्णय और कम मानवीय हानि सुनिश्चित करेंगे। नेटवर्क ऑपरेशन से सूचना के प्रवाह की गति बढ़ती है।रियल टाइम सेंसर-फीड और केंद्रीकृत निर्णय लेने से प्रतिक्रिया भी तत्काल और सटीक होगी।

चौथा और सबसे महत्वपूर्ण, ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ अभ्यास तीनों सेनाओं का मनोबल और जॉइंटनेस बढ़ाएगा। पिछले वर्षों में अलग-अलग सेवा-क्षेत्रों के बीच तालमेल पर जो चुनौतियां रही हैं, उन पर यह अभ्यान एक जवाब है। अब ऑपरेशन प्लानिंग, रसद और कम्युनिकेशन का एकीकृत तंत्र बनना अनिवार्य है और मेचुका इसका व्यावहारिक परीक्षण है। सेना, वायुसेना और नौसेना जब साझा जानकारी पर एक साथ निर्णय ले सकेंगी, तभी वास्तविक संघर्ष में सफल समेकित कार्रवाई संभव होगी।

जो चुनौतियां भारत को इस पथ पर मिल सकती हैं, वे भी स्पष्ट हैं। ऊंचाई पर लॉजिस्टिक सपोर्ट, ईंधन और उपकरणों की रख-रखाव क्षमता, मौसम संबंधी जोखिम और मनोवैज्ञानिक थकान, इन पर निरंतर काम करना होगा। साथ ही यह अभ्यास तभी सार्थक होगा जब इसे नियमित अंतराल पर और वास्तविक परिदृश्यों के साथ दोहराया जाए, न कि केवल प्रदर्शन उत्सव तक सीमित रखा जाए।

नीति और सामरिक स्तर पर भी ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ कुछ ठोस निहितार्थ हैं। पहला, भारत को सीमा क्षेत्रों में infrastructure और रसद नेटवर्क को और मजबूत करना होगा ताकि किसी भी त्वरित अभियानी कार्रवाई को समुचित सहारा मिले। दूसरा, सशस्त्र बलों के आधुनिककरण में निवेश जारी रहना चाहिए। विशेषकर मानव रहित प्रणालियों, सटीक हथियारों और संचार तंत्रों में। तीसरा, सातत्यपूर्ण प्रशिक्षण और इंटेलिजेंस-फ्यूज़न—यानी विभिन्न स्रोतों से मिली जानकारी का एकीकृत विश्लेषण—को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। और चौथा, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के साथ रक्षा अभियांत्रिकी का मेल आवश्यक है ताकि सैन्य तैयारियों का राजनैतिक लाभ भी हासिल किया जा सके।

अंत में, ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ महज़ एक अभ्यास नहीं, यह भारत की समग्र सामरिक सोच का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि अब हमारा राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचा गूंथकर काम कर रहा है—थल, वायु और नौसेना मिलकर युद्ध की नई वास्तविकताओं का सामना करने को तैयार हैं। अगर हवा, पानी और जमीन—तीनों पर हमारी ताकत एकसाथ और समन्वित रूप में मुस्तैद है, तो कोई भी दुश्मन किसी भी मोर्चे पर हमारी एकता और क्षमता के सामने टिक नहीं पाएगा।

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