पाकिस्तान की इंटर–सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) अब बांग्लादेश में सक्रिय अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) और अन्य रोहिंग्या संगठनों के साथ अपना गठजोड़ और मजबूत कर रही है।“फोर ब्रदर्स अलायंस” नाम के इस गठजोड़ में ARSA, रोहिंग्या सॉलिडैरिटी ऑर्गेनाइजेशन (RSO), इस्लामी महाज़ और अराकान नेशनल डिफेंस फोर्स (ANDF) जैसे ग्रुप्स शामिल हैं। कहा जा रहा है कि ISI इन समूहों को मिलाकर इस पूरे क्षेत्र को अस्थिर करने की योजना बना रही है और दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से उसकी इस साज़िश में बांग्लादेश उसका प्रमुख ऑपरेशनल बेस बनता जा रहा है।
कॉक्स बाजार — जहाँ लाखों रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं — अब ISI-समर्थित आतंकी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बन चुका है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ISI वहां के रिफ्यूजी शिविरों और आसपास के इलाकों को टेरर हब में बदल रही है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी स्थानीय जिहादी नेटवर्क का इस्तेमाल कर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक घुसपैठ और स्लीपर सेल्स तैयार करने की कोशिश कर रही है। अगर ये जानकारियां सच है, तो पाकिस्तान की ये हरकत पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है।
चटग्राम और पहाड़ी इलाकों में संकट
चटग्राम, खासकर चिट्टगांग हिल ट्रैक्ट्स (CHT), लंबे समय से जातीय तनाव, ज़मीन के विवाद और अलगाववादी हिंसा का शिकार रहा है। 1997 का शांति समझौता भी अब अधूरा छूट गया है। इस समझौते का मकसद था स्थानीय आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करना, लेकिन अब इसके असफल होने के चलते, विश्वास की कमी और ज्यादा बढ़ी है।
इसके उलट, वहां सेना का बढ़ता दखल, मानवाधिकार हनन, एनकाउंटर, गायब होने की घटनाएं और महिलाओं पर अत्याचार जैसी रिपोर्टों ने माहौल और बिगाड़ दिया है। सुरक्षा बलों पर यह आरोप है कि वे आदिवासी समुदायों को बंगाली बसावटों और चरमपंथियों से नहीं बचा पा रहे। इन सब वजहों से चटग्राम अब उग्रवाद के लिए एक आसान निशाना बन चुका है।
ISI का रोहिंग्या संगठनों से गठजोड़
रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान की ISI अब ARSA और RSO जैसे संगठनों के साथ मिलकर कॉक्स बाजार में अपने ऑपरेशन्स चला रही है। खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, ISI ने लश्कर–ए–तैयबा (LeT) और अंसरुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) जैसे नेटवर्क्स के साथ मिलकर हथियार, ट्रेनिंग और फंडिंग मुहैया कराई है।
इनका लक्ष्य है — रिफ्यूजी कैंप्स में कट्टरपंथ बढ़ाना, बांग्लादेश के दक्षिण–पूर्वी हिस्से में अस्थिरता पैदा करना, और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में अशांति फैलाना। कॉक्स बाजार में मौजूद 10 लाख से ज़्यादा रोहिंग्या शरणार्थी अब भर्ती और घुसपैठ के लिए आसान टूल बन चुके हैं।
चिटगाँग हिल ट्रैक्ट्स में बढ़ता आतंक
खुफिया एजेंसियों के अनुसार, ISI-समर्थित समूह जैसे ARSA और “रोहिंग्या आर्मी” अब चिटगाँग हिल ट्रैक्ट्स को टेरर ज़ोन में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। 2023 से अब तक इन समूहों द्वारा सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों पर 150 से ज़्यादा हमले किए जा चुके हैं।
इनका मकसद है — आदिवासी समुदायों जैसे चकमा, मर्मा और त्रिपुरा को उनकी ज़मीन से बेदखल कर क्षेत्र पर कब्जा जमाना। रिपोर्टों के मुताबिक, अब तक 10,000 से ज़्यादा आदिवासी परिवार अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। इस पूरी साजिश का उद्देश्य इन इलाकों में सरकार के नियंत्रण को कमजोर करना और शांति समझौते को पूरी तरह असफल बनाना है।
भारत ही नहीं, बांग्लादेश के लिए भी बढ़ता खतरा
ISI की यह रणनीति बांग्लादेश को एक स्टेजिंग ग्राउंड की तरह इस्तेमाल करने की है, ताकि वहां से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में घुसपैठ और स्लीपर सेल्स बनाए जा सकें। भारत की सुरक्षा एजेंसियां पहले ही ऐसे कई मॉड्यूल्स का भंडाफोड़ कर चुकी हैं जिनका सीधा संबंध बांग्लादेशी नेटवर्क से था। यह गठजोड़ न सिर्फ बांग्लादेश को अस्थिर कर रहा है बल्कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है। जातीय असंतोष, सीमाई अस्थिरता और बाहरी दखल के ज़रिए ये समूह क्षेत्र में लगातार असुरक्षा का माहौल बना रहे हैं।
यानी आईएसआई और रोहिंग्या आतंकी संगठनों के बीच बढ़ता गठजोड़ दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। इस नेटवर्क ने कॉक्स बाजार को भर्ती और ऑपरेशन हब में बदल दिया है और चिट्गांग हिल ट्रैक्ट्स में हिंसा को भड़काया है।
बांग्लादेश में अधूरे शांति समझौते, बढ़ती सैन्य मौजूदगी और आदिवासी समुदायों की अनदेखी ने आतंकियों को जमीन दी है। भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए ज़रूरी है कि वे खुफिया सहयोग, नीति समन्वय और सामाजिक सुधारों पर मिलकर काम करें। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह क्षेत्र मानवाधिकार संकट, उग्रवाद और बाहरी हस्तक्षेप के दलदल में फंस सकता है — जो पूरे दक्षिण एशिया की शांति और सुरक्षा को लंबे समय तक प्रभावित करेगा।
ये लेख tfipost.com के लिए शाश्वत गुप्ता रे ने लिखा है।
शाश्वत गुप्ता रे एक अवार्ड विनिंग डिफेंस और स्ट्रैटेजिक अफेयर्स जनर्लिस्ट हैं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से ज्यादा का अनुभव रखने वाले शाश्वत हेराल्ड ग्रुप ऑफ पब्लिकेशंस के डिप्टी एडिटर और गोमंतक टाइम्स के रेज़िडेंट एडिटर रह चुके हैं। उन्होंने 26/11 मुंबई आतंकी हमले और लेफ्ट विंग उग्रवाद जैसी कई बड़ी घटनाएं कवर की हैं, साथ ही वो सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर डॉक्यूमेंट्री बनाने वाले अवार्ड विनिंग यू ट्यूब चैनल ‘Uncovering India’ के निर्माता भी हैं।
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