‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

नई दिल्ली में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात ऐसे समय हुई है, जबकि ढाका और नई दिल्ली के बीच आपसी भरोसा काफी कमजोर हुआ है

बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

बांग्लादेश के NSA ने अजित डोभाल से मुलाकात की

बांग्लादेश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ. खलीलुर रहमान ने मंगलवार को नई दिल्ली में भारत के एनएसए अजित डोभाल से मुलाकात की। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पैदा हुए राजनीतिक संकट के कारण भारतबांग्लादेश संबंध तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। डॉ. रहमान अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ सातवें कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव में हिस्सा लेने भारत आए हुए हैं और इसी मौके पर दोनों देशों के NSA के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत हुई, जिनमें सीएससी से जुड़े क्षेत्रीय सुरक्षा बिंदुओं के साथसाथ भारत और बांग्लादेश के बीच चल रहे द्विपक्षीय मतभेद भी शामिल रहे।


हसीना को फांसी की सजा के ऐलान के बाद संकट गहराया 

ढाका की मौजूदा यूनुस सरकार और नई दिल्ली के बीच रिश्ते तख्तापलट के बाद से लगातार बिगड़ते रहे हैं। इसी उथलपुथल के बीच बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्राइब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री और भारतसमर्थक नेता शेख हसीना को मानवता के विरुद्ध अपराधों के आरोप में मौत की सजा सुना दी, जिसके बाद स्थिति और अधिक संवेदनशील हो गई। तख्तापलट के बाद से ही हसीना भारत में हैं और सेफ हाऊस में रह रही हैं।, जबकि ढाका लगातार उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है। हसीना ने हाल फ़िलहाल में दिए गए अपने कई इंटरव्यू में यूनुस सरकार पर तीखे हमले किए हैं, वहीं बांग्लादेश सरकार भारत पर हसीना को संरक्षण देने का आरोप लगा रही है।

 

बांग्लादेश में पाकिस्तान का बढ़ता असर भारत के लिए चिंताजनक

भारत के सामने चुनौती सिर्फ राजनीतिक नहीं, सुरक्षा संबंधी भी है। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद जिस तरह से इस्लामी कट्टरपंथ की गतिविधियों में तेजी आई है और जिस तरह के इंटेलिजेंस इनपुट सामने आए हैं, उससे यह आशंका मजबूत हुई है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI इस अस्थिरता का फायदा उठा रही है। यह भी संकेत मिले हैं कि यूनुस सरकार के शासन में भारतविरोधी तत्वों को फिर से जगह मिल रही है। पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा के लिहाज से यह स्थिति नई चुनौतियाँ पैदा करती है, क्योंकि बांग्लादेश में कट्टरपंथ नेटवर्क मजबूत होने का सीधा असर भारत की पूर्वी सीमा पर पड़ सकता है।

इस पूरे राजनीतिकसुरक्षा परिदृश्य के बीच एक और बड़ी चिंता यह है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्तों में अप्रत्याशित गर्माहट आ गई है। पाकिस्तान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और नेता ढाका जा चुके हैं, और बांग्लादेश की ओर से भी पाकिस्तान के प्रति ऐसे ही उच्चस्तरीय दौरों का आदानप्रदान देखा गया है। दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें और कारोबारी रिश्ते दोबारा शुरू हो चुके हैं। इससे संकेत मिलता है कि ढाका अपनी विदेश नीति में तेज़ी से नई दिशाओं की ओर झुक रहा है, जिसका सीधा असर भारत की रणनीतिक स्थिति पर पड़ सकता है।

भारत और बांग्लादेश के बीच मौजूदा चुनौतियाँ अब सिर्फ कूटनीतिक नहीं रहीं। तख्तापलट के बाद भारत की चिंताएँ बढ़ी हैंसीमा क्षेत्र में अस्थिरता, कट्टरपंथी नेटवर्क की सक्रियता, आईएसआई की संभावित घुसपैठ, और ढाका की नई सत्ता का भारत से दूरी बनानाइन सबने नई दिल्ली को अधिक सतर्क बना दिया है।
इसीलिए ये बैठक और महत्वपूर्ण बन जाती है। बैठक के अंत में बांग्लादेश के एनएसए ने अजित डोभाल को ढाका आने का आमंत्रण भी दिया है, जो यह दर्शाता है कि तमाम मतभेदों और तनाव के बीच दोनों देश संवाद के दरवाज़े खुले रखना चाहते हैं। दक्षिण एशिया के मौजूदा भूराजनीतिक संतुलन को देखते हुए यह मुलाकात आने वाले समय में क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। तख्तापलट के बाद बने नए सत्ता समीकरणों, पाकिस्तान के साथ ढाका की नजदीकियों और कट्टरपंथ की बढ़ती मौजूदगी के बीच यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि दोनों देशों के लिए यही हितकारी है कि वो अपनी सुरक्षा चिंताओं को इसी चैनल के जरिए दूर करें।

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