संसद का मौजूदा शीतकालीन सत्र इसी 19 दिसंबर को समाप्त हो रहा है, यानी सरकार के पास अहम विधेयकों को पास कराने के लिए एक सप्ताह का ही समय बचा है। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा में अपने सभी सांसदों के लिए एक ‘थ्री लाइन’ व्हिप जारी किया है। लोक सभा में बीजेपी के मुख्य सचेतक डॉ. संजय जायसवाल की तरफ से जारी की गई व्हिप में पार्टी के सभी सांसदों को 15 से 19 दिसंबर तक यानी शुक्रवार तक मौजूद रहने के लिए कहा गया है।
दरअसल शीतकालीन सत्र का ये आखिरी सप्ताह चल रहा है, जबकि हंगामे और वॉकआउट की वजह से कई महत्वपूर्ण विधेयक और अन्य विधाई कामकाज अटके हुए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार इन्हें इसी सत्र में पास करा लेना चाहती है ताकि कम से कम बजट से जुड़े कामकाज पर असर न पड़े।
जारी की गई व्हिप में भी कहा गया है कि 15 से 19 दिसंबर के बीच कई अतिमहत्वपूर्ण विधाई कामकाज होने हैं, इसलिए सबकी उपस्थिति अनिवार्य है
क्या हो सकता है एजेंडा?
जानकारों के मुताबिक ये साल का आखिरी सत्र है ऐसे में अलग-अलग विभागों से जुड़े कई अनुपूरक बजट भी पास कराए जाने हैं।
अनुपूरक बजट क्या होता है?
अनुपूरक बजट या Supplementary Budget वो बजट होता है जो मुख्य बजट के बाद पेश किया जाता है।
यानी जब सरकार को साल के बीच में ही ये लगे कि उसे किसी योजना के लिए अतिरिक्त पैसा चाहिए, या कोई नई योजना शुरू करनी हो और उसके लिए बजटीय प्रावधान करना हो। या फिर किसी विभाग या योजना के लिए बजट में जो रकम तय की गई थी वो कम पड़ गई हो, तो ऐसी स्थिति में सरकार संसद से अतिरिक्त खर्च की मंज़ूरी लेती है। इसी को अनुपूरक बजट कहा जाता है।
बजट की ही तरह ये भी धन विधेयक है ऐसे में इसे लोकसभा में पेश करना अनिवार्य होता है और संसद की मंज़ूरी के बिना सरकार इस बजट को खर्च नहीं कर सकती। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार अनुपूरक बजट ला सकती है और इसे पास कराने के लिए सभी सांसदों को उपस्थित रहने को कहा गया है ताकि सरकार के जरूरी कामकाज पर कोई असर न पड़े।
परमाणु ऊर्जा पर कौन सा अहम बिल ला रही है सरकार ?
इसके अलावा सरकार The Atomic Energy Bill, 2025 यानी परमाणु ऊर्जा विधेयक भी ला सकती है। इस बिल को पहले से ही शीतकालीन सत्र की बिजनेस लिस्ट में रखा गया था। ये बिल इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पास होने के बाद निजी कंपनियों के लिए भी परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में उतरने का रास्ता साफ हो जाएगा। इससे न सिर्फ क्लीन एनर्जी की दिशा में सरकार के प्रयास को गति मिलेगी, बल्कि परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल को लेकर देश के अंदर बेहतर रिसर्च और इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार हो सकेगा।
संसद के अंदर इस बिल का विरोध हो सकता है, ऐसे में सरकार इसे लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती।





























