आंध्र प्रदेश परंपरागत रूप से भाजपा का मजबूत गढ़ नहीं रहा है। दक्षिण भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के प्रयासों के तहत भाजपा लगातार राज्य में संगठन विस्तार की कोशिश कर रही है। जहां तेलंगाना में पार्टी को जमीनी स्तर पर सफलता मिली है, वहीं आंध्र प्रदेश में उसका प्रदर्शन लंबे समय तक सीमित रहा। वर्ष 2014 के चुनावों में भाजपा ने टीडीपी के साथ गठबंधन कर और जनसेना के बाहरी समर्थन से लोकसभा की दो सीटें और विधानसभा की चार सीटें जीती थीं। लेकिन 2019 में जब भाजपा ने अकेले चुनाव लड़ा, तो पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली और उसका वोट शेयर एक प्रतिशत से भी नीचे चला गया।
हालांकि, 2024 के चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला। पार्टी ने 10 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से 8 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, लोकसभा चुनावों में 6 सीटों पर मुकाबला करते हुए भाजपा ने 3 सीटें जीतीं। लोकसभा में पार्टी का वोट शेयर बढ़कर 11.28 प्रतिशत और विधानसभा में 2.83 प्रतिशत तक पहुंच गया। इस बेहतर प्रदर्शन का श्रेय टीडीपी और जनसेना के साथ गठबंधन तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को दिया जा रहा है।
‘अटल–मोदी सुपारिपालन यात्रा’ के दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों में अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमाओं का अनावरण किया जाएगा। यात्रा के तहत रोज़ाना बैठकें और जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिनमें भाजपा नेता, केंद्रीय मंत्री और टीडीपी के मंत्री भाग लेंगे। इन कार्यक्रमों के माध्यम से वाजपेयी और मोदी सरकारों के दौरान हुए विकास कार्यों, बुनियादी ढांचे, कल्याणकारी योजनाओं और सुशासन को प्रमुखता से प्रस्तुत किया जाएगा।
इस यात्रा में टीडीपी की भागीदारी को गठबंधन की मजबूती के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। केंद्र में भाजपा-नेतृत्व वाली एनडीए सरकार टीडीपी और जनता दल (यूनाइटेड) जैसे सहयोगी दलों के समर्थन पर काफी हद तक निर्भर है, ऐसे में आंध्र प्रदेश में गठबंधन को मजबूत बनाए रखना भाजपा के लिए रणनीतिक रूप से अहम है।
हालांकि भाजपा राज्य सरकार का भी हिस्सा है और सत्य कुमार यादव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री के रूप में कार्यरत हैं, फिर भी पार्टी अपनी राजनीतिक रणनीति में संतुलन बनाए हुए है। भाजपा राज्य सरकार की खुली आलोचना से बचते हुए संगठन विस्तार और भविष्य के लिए मजबूत राजनीतिक आधार तैयार करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
