उज्जैन के प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में बॉलीवुड अभिनेत्री नुसरत भरूचा द्वारा पूजा-अर्चना और दर्शन किए जाने के बाद एक धार्मिक विवाद सामने आया है। आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने अभिनेत्री के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए उनके खिलाफ फतवा जारी किया है। इस फतवे के बाद यह मामला धार्मिक और सामाजिक चर्चा का विषय बन गया है।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी का कहना है कि नुसरत भरूचा द्वारा महाकाल मंदिर में जाकर जल चढ़ाना, पूजा करना और धार्मिक परंपराओं का पालन करना इस्लामिक शरीयत के खिलाफ है। उनके अनुसार इस्लाम किसी भी मुसलमान को गैर-इस्लामी धार्मिक स्थलों में जाकर पूजा-पाठ या भक्ति करने की अनुमति नहीं देता। मौलाना ने कहा कि इस तरह का कृत्य शरीयत की नजर में “गुनाह” है और इसके लिए तौबा करना जरूरी है।
उन्होंने यह भी कहा कि नुसरत भरूचा को अल्लाह से माफी मांगनी चाहिए और कलमा पढ़कर तौबा करनी चाहिए। मौलाना का दावा है कि अभिनेत्री ने जो किया वह इस्लामी नियमों के विरुद्ध है और ऐसे मामलों में धार्मिक मार्गदर्शन देना उनका कर्तव्य है। उन्होंने दोहराया कि मंदिर में जाकर पूजा करना, जल चढ़ाना और भक्ति करना नाजायज है।
गौरतलब है कि नुसरत भरूचा मंगलवार सुबह उज्जैन पहुंची थीं, जहां उन्होंने प्रसिद्ध भस्म आरती में भाग लिया और भगवान महाकाल के दर्शन किए। मंदिर दर्शन के दौरान वे पूरी श्रद्धा और भक्ति में नजर आईं। मंदिर समिति की ओर से शिवकांत पांडे ने उनका स्वागत और सत्कार भी किया। अभिनेत्री के इस दौरे की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुए, जिसके बाद यह मामला चर्चा में आया।
उसी दिन महू स्थित इन्फैंट्री स्कूल के जम्मू और कश्मीर राइफल्स की पांचवीं बटालियन से जुड़े शहीद परिवारों के कुल 14 सदस्यों ने भी महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन किए और भगवान महाकाल से आशीर्वाद लिया। यह दृश्य भावुक करने वाला रहा और श्रद्धालुओं ने शहीदों के परिवारों के प्रति सम्मान व्यक्त किया।
फिलहाल नुसरत भरूचा की ओर से इस फतवे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। वहीं, यह पूरा मामला एक बार फिर धार्मिक स्वतंत्रता, व्यक्तिगत आस्था और धार्मिक व्याख्याओं को लेकर बहस को जन्म दे रहा है।

































