सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें उसने कहा है कि बोलने की आजादी की कोई सीमा है, कोर्ट ने बेंगलुरू के एक 24 वर्षीय छात्र को जमानत देने से मना कर दिया है. बता दें कि इस छात्र ने जवाहरलाल नेहरू सटायर नाम के पैरोडी अकाउंट से पीएम और उनकी मां के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की है.
कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट से छात्र की राहत की मांग की है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिनलोगों को बोलने की आजादी का दुरुउपयोग करते है उन्हें सजा जरुर मिलनी चाहिए. कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है. जिसमें अहमदाबाद पुलिस एफआईआर रद्द करने की मांग की है। कोर्ट ने छात्र के ऊपर जांच का आदेश कर दिया है। अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया है।
आरोपी छात्र के वकील ने कहा है कि उनके मुवक्किल ने सिर्फ एक पोस्ट पर सवाल किया था, जिसे उन्होंने खुद नहीं तैयार किया था। कानूनी प्रक्रिया को देखते हुए पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया है। वहीं छात्र जांच के लिए तैयार है, लेकिन उसे गिरफ्तारी से सरक्षा चाहिए। वहां के चीफ जस्टिस का कहना है कि लड़का को पीएम और उनकी मां पर किए गए पोस्ट पर कोई अफसोस नहीं है।
कोर्ट का कहना है कि आजादी का दुरुपयोग करने वाले को सजा जरुर मिलना चाहिए। दरअसल, गुजरात के एक निवासी ने 7 नवंबर को शिकायत दर्ज करवाया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि व्यक्ति ने पीेेएम की मां और पीेएम के बारे में मर्यादा का पालन नहीं किया है पोस्ट करने वाले व्यक्ति को सजा जरूर मिलनी चाहिेेेए।
जैसे ही व्यक्ति से पुछताछ शुरू हुई उसने अपना अकाउंट डिलीट कर दिया। उन्हें साइबर क्राईम के तहत गिरफ्तार करने की धमकी मिली है। उसे घंटो हिरासत में रखने के बाद उसे छोड़ दिया गया।
लोगों के लिेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेए बड़ा सबक
कोर्ट का कहना है कि यह मामला गंभीररूप से लेने वाला है, स्वतंत्रता सीमाओं को लेकर एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है, कोर्ट का कहना है कि किसी भी अधिकार का इस्तेमाल सही से और सावधानी पूर्वक करना चाहिए। वहीं कोर्ट ने छात्र को जमानत देने से साफ मना कर दिया है। इससे साफ हो गया है कि किसी भी चीज को दुरूउपयोग करने पर मांफी नहीं मिलेगी। भले ही वो सोशल मीडिया पर क्यों न हो। सरकार और कानून के साथ खिलवाड़ करना सख्त मना है । इस तरह का अपराध हमारे समाज में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस पर कार्यवाही होना जरूरी हो गया है।
