'उपभोक्तावाद' के लिए खोज परिणाम

बॉलीवुड द्वारा ‘नारी चित्रण’ सामाजिक पतन का कारण बन रहा है

हिंदी फिल्म उद्योग, जिसे आमतौर पर बॉलीवुड कहा जाता है, भारत में हर वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित करता है। यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि जनमानस, सामाजिक मान्यताओं और सांस्कृतिक मूल्यों पर असर छोड़ता है। हाल ...

भारत को नहीं करना चाहिए पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण

भारत को पश्चिम की नकल नहीं करनी चाहिए, जिसकी मूल्य प्रणालियां, व्यक्तिवाद, उपभोक्तावाद और सांस्कृतिक पतन में निहित हैं, उनके समाजों को खंडित कर रही हैं। अंधानुकरण भारत को आध्यात्मिक रूप से खोखला और सामाजिक रूप से अस्थिर प्रतिरूप ...

चिपको आंदोलन: गौरा देवी का साहसिक नेतृत्व और पर्यावरण संरक्षण की ऐतिहासिक गाथा

आज पूरी दुनिया बढ़ती वैश्विक तापमान को लेकर गंभीर चिंता में है। पर्यावरण असंतुलन, घटते हरे-भरे जंगल, बढ़ते सीमेंट और कंक्रीट के निर्माण, वाहनों की संख्या में लगातार इज़ाफा, एयर कंडीशनर और फ्रिज जैसे उपकरणों का बढ़ता उपयोग, पिघलते ...

बिक्रम चौधरी: दुष्कर्मी, “Hot Yoga” प्रशिक्षक एवं भगोड़ा!

हमारा प्राचीन योग शास्त्र, जिसका उल्लेख मात्र ही आपको आध्यात्मिक मार्ग पे ले चले, वह योग, जो कभी गहन आध्यात्मिक प्रथाओं का प्रतीक था, दुर्भाग्यवश अब उपभोक्तावाद की भेंट चढ़ चुका है. ये न केवल योगा मैट एवं योगा ...

टेक छोड़ सबकी चर्चा करते भारत के नए Tech Vloggers!

घूम फिरकर अगर अनबॉक्सिंग करनी है और पैकेजिंग पे ध्यान है, तो सौरव जोशी को बुला लो, नहीं तो TSP वाले इंजी भाई किस दिन के लिए हैं? काम टेक विशेषज्ञ का, हरकतें लोस्टर वाली, ऐसे थोड़े न चलता ...

कैसे एक षड्यंत्र के तहत भारत को जाति के आधार पर बांटा गया? एक एक कड़ी समझिए

कौन जात हो, आपने यह प्रश्र कई बार सुना होगा। किसी भी मुद्दे को जाति से जोड़कर सवर्णों की गलती निकालना वामपंथियों की आदत है। सटीक शब्दों में कहा जाए तो यह एक ऐसी बीमारी बन गई है, जो ...

सेंटिनली जनजाति के बारे में सबकुछ जानिए जो ‘सभ्य समाज’ से दूर रहना चाहती है

चार्ल्स डार्विन की "ओरिजिन ऑव स्पीशीज़" नामक पुस्तक से पूर्व साधारण धारणा यह थी कि सभी जीवधारियों को किसी दैवीय शक्ति (ईश्वर) ने उत्पन्न किया है तथा उनकी संख्या, रूप और आकृति सदा से ही निश्चित रही है। परंतु ...

हम कम से कम 150 वर्ष तक का जीवन जी सकते हैं, बस यह करना होगा

अरे भाई, यह जीवन व्यर्थ है! शहर की लाइफस्टाइल बहुत बेकार है! Oh! this toxic environment यह हार्ट diseases इतने क्यों बढ़ रहे हैं?   ऐसे कितने उदाहरण होंगे, जिनसे आप कभी न कभी परिचित हुए होंगे। ऐसी कितनी ...

भारत में कैसे कर्ज लेना बनता गया त्योहार, इससे तुरंत छुटकारा पाने की है आवश्यकता

हम सभी के जिंदगी में कुछ ना कुछ सपने होते है, जिन्हें पूरा करने के लिए पैसों की आवश्यकता होती है। परंतु जब पैसों की कमी होती है, तो लोग लोन के माध्यम से उन सपनों को पूरा करने ...

शर्म नहीं आती! छोटी बच्ची को Twerk सिखा रही है शिल्पा शेट्टी, इंस्टा पर तो गंदगी मची है

जो दिखता है वही बिकता है, इसी तंत्र के चक्कर में TRP की ऐसी अंधी दौड़ लगायी जा रही है कि रियलिटी शो में अब कुछ भी दिखाया जाने लगा है। दिखाने तक तो ठीक था पर धीरे-धीरे इसे ...

एनर्जी ड्रिंक्स: जब समाधान बेचने के लिए समस्या बनाई गई, केस स्टडी

टीएफ़आई प्रीमियम में आपका स्वागत है। संसार में दो प्रकार के लोग होते हैं- एक जो समस्या बनाते हैं और दूसरे जो उस समस्या का समाधान बनाते हैं। परंतु बदलते समय के साथ एक नई प्रकार की प्रजाति भी ...

भारतीय गर्मियों में अब आपके लिए बिना AC के जीवित रहना असंभव क्यों है?

वैश्वीकरण और आधुनिकीकरण के इस युग में हम आंखों पर पट्टी बांधकर पश्चिमी रहन-सहन को अपनाते जा रहे हैं। अंधाधुंध पश्चिम की कॉपी करते जाना चिंता का एक बड़ा विषय बनता जा रहा है। खान-पान तक तो ठीक था, ...

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