भारत से गेहूं की भीख मांगने को मजबूर हुआ IMF
25 मई 2022
कहते हैं कि कानूनों की यातना से अधिक बुरी कोई वेदना नहीं होती. किसी भी राष्ट्र की तरक्की के लिए. किसी भी राष्ट्र की शांति और समृद्धि के लिए सही कानून का होना सर्वप्रथम अनिवार्यता होती है. कानून तय करता है कि किसी भी देश के नागरिक किस तरह से ...
एक तरफ जहां उत्तर भारत गर्मी और लू से तप रहा है वहीं दूसरी तरफ पूर्वोत्तर भारत के कई राज्य भारी बारिश के कारण बाढ़ की चपेट में हैं. असम में लगातार बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. असम में कई जगह भूस्खलन की ख़बरें भी सामने ...
2014 का आम चुनाव चल रहा था. हर तरफ राजनीतिक पार्टियां रैलियां कर रही थी. देश में चुनावी माहौल था. इस चुनावी माहौल में एक चर्चा बड़ी तेजी से हो रही थी कि मोदी अगर आ गया तो देश को बर्बाद कर देगा. मोदी पूरे देश को जेल बना देगा. ...
WhatsApp को निजी मैसेजिंग के लिए बनाया गया था। आज ये मैसेंजिंग एप हमारे जीवन का एक बहुत बड़ा हिस्सा बन चुका है। जिसके जरिए अपने करीबी दोस्तों और परिवार के लोगों से तो जुड़ ही सकते हैं साथ ही व्यवसाय संबंधी बातचीत भी कर पाते हैं। वैसे, अनदेखा करने ...
रूस-यूक्रेन मामले को लेकर भारत अपने तटस्थ रूख पर कायम है और रूस के साथ होने वाले व्यापार को लेकर भी उसने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, जिससे अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की सुलग पड़ी है। एक ओर पश्चिमी मीडिया भारत को रूस के साथ संबंध तोड़ने की सीख ...
हिंदी भाषा देश की गौरव है, इसके अतिरिक्त भारत और भारतीयता की परिकल्पना बिल्कुल भी नहीं की जा सकती। अंग्रेज़ों ने हिंदी को जितना गर्त में डालकर जाना था वो डालकर चले गए थे, यही कारण है जो आज हिंदी को राष्ट्र भाषा बन पाना तो दूर, राजभाषा होने के ...
पीएम नरेंद्र मोदी अब सिर्फ एक जननेता नहीं हैं, बल्कि अब वो एक सोच बन चुके हैं। देशहित में उनकी दूरदर्शिता का परिणाम कई क्षेत्रों में देखने को मिलने लगा है। देश मौजूदा समय में दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ रहे अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। साथ ही मोदी ...
भारत की संस्कृति में रहा है कि ज़रूरतमंद को पानी और अन्न देने की स्थिति में वो कभी पीछे नहीं रहा है। कोरोनाकाल में जहां देश में ज़रूरतमंदों के लिए जगह जगह राशन वितरण के कैंप दिखे तो अब कई देशों में अनाज की कमी की पूर्ति करने के लिए ...
कोरोना वायरस महामारी के बीच, जब दुनिया फसल में गड़बड़ी के कारण खाद्य संकट से जूझ रही थी, तब भारतीय कृषि क्षेत्र ने अपना उत्पादन कई गुना बढ़ा दिया। हालाँकि, महामारी के बाद की दुनिया में, भारत एक खाद्य निर्यात के स्त्रोत के रूप में उभरने के लिए तैयार है। ...
भारत की राजकीय, संसदीय, संवैधानिक, वित्तीय और आर्थिक व्यवस्था का ऐसा कोई सा भी पहलू नहीं है जिसमें नरेंद्र मोदी की सरकार ने उद्धार नहीं किया है। नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत में लागू अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को पूरी तरह से बदलते हुए वस्तु और सेवा कर अर्थात जीएसटी ...
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ सालो पहले ही ये संकेत दिया था की उनकी सरकार एक कानूनी ढांचा ला सकती है जिसके तहत डॉक्टरों को मरीजों को कम लागत वाली जेनेरिक दवाएं लिखनी होगी। जेनेरिक दवा एक ऐसी दवा है जो खुराक, ताकत, प्रशासन के मार्ग, गुणवत्ता, सुरक्षा, प्रदर्शन ...
लगभग तीन दशक पहले 1991 में, भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को फैबियन समाजवाद से पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में बदलना शुरू कर दिया था। यह परिवर्तन बहुत ही अजीबोगरीब प्रकृति का था, क्योंकि यह मुख्य रूप से विदेशी कंपनियों द्वारा संचालित था जिनकी भारतीय बाजार तक पहुंच थी। अमेरिकी, ब्रिटिश और जापानी ...