नीतीश बाबु को डेढ़ साल बाद ही सही, पर अकल आ ही गयी
हम कभी न कभी अपने जीवन में वाहियाद निर्णय लेते ही हैं। आखिर इंसान जो ठहरे, भगवान तो है नहीं। जो अनोखे को भीड़ से अलग करता है, वो यह की उन गलतियों को वो आम लोगों...
हम कभी न कभी अपने जीवन में वाहियाद निर्णय लेते ही हैं। आखिर इंसान जो ठहरे, भगवान तो है नहीं। जो अनोखे को भीड़ से अलग करता है, वो यह की उन गलतियों को वो आम लोगों...
ऐसे समय में जहां सोच को बदलते पलक भी नहीं झपकती, वहाँ पर एक अनिल कुंबले का इस्तीफा, जो भारतीय क्रिकेट को प्रगति के पथ पर चलाने नहीं, दौड़ाने वाला था, खटकेगा तो ज़रूर। आप एक बार...
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