राहुल गांधी का विदेशी भाषण: भारत की आलोचना का ‘इम्पोर्टेड एजेंडा’ और आत्मघाती राजनीति की परंपरा
हुल गांधी के भाषणों का अब एक तयशुदा फ़ॉर्मूला बन चुका है, देश से बाहर जाइए, किसी विदेशी विश्वविद्यालय में युवाओं को संबोधित कीजिए और फिर भारत को एक दमनकारी, भयग्रस्त, असमानता से जूझता देश बताया। पेरू...