राणा अय्यूब तिरंगा को नहीं मानती, रुश्दी के लिए की थी दुआ, ‘सुधार ली ग़लती’
देखो बंधु, सुबह का भूला यदि शाम को घर लौट आये तो उसे भूला नहीं कहते। बड़े-बड़े तुर्रम खान भटक गए, राणा अय्यूब किस खेत की मूली हैं? वैसे भटकना और भटकाना तो इनकी आदत में शुमार है। इस ...