आदिवासी द्रोपदी मुर्मु राष्ट्रपति बनीं तो इंडिया टुडे के स्टाफ ने अपनी औकात दिखा दी
कोई भी संस्थान अपनी कार्यशैली, कर्तव्यपरायणता और उसके कर्मचारियों की बदौलत बनता-बिगड़ता है। जब-जब इंडिया टुडे जैस संस्थानों से देश को बांटने वालों की आवाज़ों को बढ़ावा मिला है तब-तब उन सभी ने अपने विष का प्रवाह किया है। ...