कमाल राशिद खान: बॉलीवुड के लिए जी का जंजाल!
लोगों का मनोरंजन करना एक कला है, लोगों को हंसाना उससे भी बड़ी कला है, परंतु सार्वजनिक तौर पर अपना पोपट बनाना और उसी को अपना व्यापार बनाना एक अद्वितीय कला है जिसकी सिद्धि सभी को नहीं मिलती है। ...
लोगों का मनोरंजन करना एक कला है, लोगों को हंसाना उससे भी बड़ी कला है, परंतु सार्वजनिक तौर पर अपना पोपट बनाना और उसी को अपना व्यापार बनाना एक अद्वितीय कला है जिसकी सिद्धि सभी को नहीं मिलती है। ...
'दोबारा' की टीम ने बेकार ही मेहनत किया! जिस फिल्म को विवेक अग्निहोत्री की ताशकंद फाइल्स से भी कम स्क्रीन के साथ ओपनिंग मिली हो, उसे भला कौन सीरियसली लेगा? सीरियसली लेना बनता भी नहीं क्योंकि यह फिल्म उस ...
अरे भई, ई बॉलीवुड भी गजब गोला है भैया, जितना भी लिखो कम पड़ेगा। राजनीति में इतने दांव पेंच न होवे, जितने इस लोक में हैं और इसकी सबसे प्रत्यक्ष प्रमाण है अनन्या पांडे जिनके पास अपने दम पर ...
कुछ लोगों का रूप तो दुनिया को मोहित करता है पर वही रूप स्वयं के लिए अभिशाप भी बन सकता है। भारतीय सिनेमा की सबसे प्रभावशाली अभिनेत्रियों में से एक मधुबाला की बड़ी विचित्र जीवन यात्रा थी, उनके उस ...
लोग जानते थे कि शमशेरा की हालत खराब होगी परंतु इतनी खराब होगी किसी ने भी सोचा नहीं था। ओपनिंग वीकेंड में किसी तरह 32 करोड़ खींचने के बाद सोमवार को महादेव का ऐसा श्राप पड़ा कि शमशेरा एक ...
बॉलीवुड की हालत अस्पताल में पड़े उस मरीज के समान हो गई है जो अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है। फ्लॉप पर फ्लॉप, एक से बढ़कर एक फ्लॉप, लगातार फ्लॉप, कुछ बनाओ तो फ्लॉप, कुछ बड़ा बनाओ तो भी ...
दूर का ढोल सुहावन और घर की मुर्गी दाल बराबर, ये दोनों ही कहावतें भारत के कुछ कथित फेमिनिस्टों के विरुद्ध बिल्कुल फिट बैठती है। ये ऐसे लोग हैं जिन्हें अमेरिका में भारतीय मूल की महिला के उपराष्ट्रपति बनने ...
इतिहास में बड़े-बड़े फन्ने खां आपने देखे होंगे परंतु कुछ ऐसे भी फेंकू हैं जिनके कारनामे देखकर आपको समझ नहीं आएगा कि हंसे या रोएं। देखो भाई, स्ट्रगल सबके जीवन में किसी न किसी प्रकार के आए ही होंगे, ...
ऐसा आज नया नहीं हो रहा है कि बॉलीवुड में किसी की बायोपिक बनायी गयी हो लेकिन जब किसी महान या किसी प्रभावशाली व्यक्तित्व के चरित्र को चित्रित करने की बात आती है तो उस कलाकार और उस निर्देशक ...
देखो भई, बड़े बुजुर्गों ने कहा है, जब आपकी लंका लगी हुई हो, तो प्रयास कीजिए कि अपने कर्मकांड सुधारें और अपनी छवि सुधारें, ये नहीं कि अपने ही हाथों से अपने उद्योग की मटियामेट करें। परंतु अपने रणबीर ...
“मुझे यह गोल्फ खेलना नहीं आता था, न ही यह घोड़े की रेस खेलता हूँ, पर अपने धंधे का मजबूत खिलाड़ी हूँ।” इस संवाद का महत्व ‘गुरु’ में तब भले समझ न आया हो, लेकिन ‘मनमर्जियाँ’ से लेकर ‘दसवी’ ...
जब समाज में किसी गंदगी के खिलाफ जागरूकता बढती है तो समाज धीरे-धीरे उस गंदगी से मुंह मोड़ना शुरू कर देता है। आज बॉलीवुड से भी लोगों का मन उठ चुका है। आज भारतीय समाज खासकर उन लोगों को ...
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