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मिलिए देश के 5 सबसे घटिया रक्षा मंत्रियों से

जयचंद तो यूँ ही बदनाम थे, असल देशद्रोही तो ये हैं, जिन्होंने स्वतंत्र भारत को बारम्बार अपने विश्वासघात से कलंकित और खंडित करने का प्रयास किया, और इनमें से कुछ तो अलग ही स्तर के प्राणी थे। आइये देखें ...

पेश हैं देश के ‘सबसे घटिया’ गृह मंत्रियों की सूची

इस देश को स्वतंत्र हुए 75 वर्ष शीघ्र ही होने वाले हैं। जहां एक तरफ सरदार वल्लभभाई पटेल, लालबहादुर शास्त्री, शंकर राव चव्हाण, ज्ञानी ज़ैल सिंह और राजनाथ सिंह जैसे प्रख्यात और ओजस्वी नेताओं ने गृह मंत्रालय की शोभा ...

गरीबपुर का युद्ध – जब भारत के शौर्य के समक्ष तितर बितर हो गए पाकिस्तानी

“अगर अब भी आप चाहती हैं कि हम ईस्ट पाकिस्तान में दाखिल हों, तो मैं आपको शत प्रतिशत गारंटी देता हूं हार की!” ये शब्द थे तत्कालीन भारतीय थलसेना के अध्यक्ष, जनरल सैम मानेकशॉ के, जिन्होंने तत्कालीन पीएम इंदिरा ...

तारा सिंह हेयर- भारतीय-कनाडाई सिख पत्रकार जिन्होंने खालिस्तानियों के खिलाफ भारत के लिए लड़ाई लड़ी

18 नवंबर 2021, आज भारतीय मूल के सिख और कनाडा के नागरिक तारा सिंह हेयर की मृत्यु की 33वीं वर्षगांठ है। वर्ष 1998 में आज ही के दिन तारा सिंह की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई, ...

वी आर कृष्णा अय्यर: उन चंद न्यायाधीशों में से एक, जिन्होंने वामपंथी संस्थानों को चुनौती देने का साहस किया

न्यायमूर्ति वी. आर. कृष्णा अय्यर एक न्यायाधीश और मंत्री थे, जिन्होंने भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार किया। वह गरीबों-वंचितों के लिए खड़े हुए और अपने पूरे जीवन में एक मानवाधिकार, सामाजिक न्याय, पर्यावरण और नागरिक स्वतंत्रता के अग्रदूत ...

आखिर कैसे हिंदुत्व के प्रतीक से ‘हिंदुत्व के कलंक’ में परिवर्तित हुए आडवाणी?

‘जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है’, ये कथन एक व्यक्ति के जीवन का संक्षिप्त परिचय कराने के लिए पर्याप्त है, जो कभी देश की संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर ...

कभी दक्षिणपंथी बौद्धिकता को धार देने वाले अरुण शौरी का पतन दयनीय है

21 वीं सदी की शुरुआत में लोकप्रिय रूप से मुख्य हिंदू राष्ट्रवादी बुद्धिजीवियों में शामिल अरुण शौरी को एक ऐसे लेखक और पत्रकार के रूप में जाना जाता है जिन्होंने हिन्दू इकोसिस्टम को बनाने में केंद्रीय भूमिका निभाई थी। ...

सावरकर और सुषमा स्वराज के नाम पर 2 नए कॉलेजों का नाम रखेगा दिल्ली विश्वविद्यालय

जो तारीख में जिंदा नहीं रखते हैं, वो तारीख में जिंदा भी नहीं रहते हैं। किसी बुद्धिमान व्यक्ति ने यह बात कही थी। आज जब इतिहास के महान नायकों की सर्वोच्चता की लड़ाई चल रही है तो उन महान ...

घुटने टेकने के लिए सभी कोहली की आलोचना कर रहें हैं, लेकिन गांगुली और BCCI को भी नहीं बख्शना चाहिए

पाकिस्तान और भारत के क्रिकेट मैच से पहले घुटने टेक कर भारत ने जो नौटंकी की थी, उसकी आलोचना चारो ओर हो रही है। लोग विराट कोहली की आलोचना सिर्फ उनके अहंकार के कारण कर रहे हैं क्योंकि यह ...

क्या सावरकर के बलिदान से बढ़कर हो गई है सत्ता? शिवसेना के रवैये से तो ऐसा ही लगता है!

कॉमन मिनिमम प्रोग्राम...ये शब्द हमने देश की राजनीति में दो पार्टियों के गठबंधन के दौरान कई बार सुना है। इसको लेकर राजनीतिक पार्टियों का तर्क रहता है कि गठबंधन कुछ समान जनहित के मुद्दों पर होगा। इसके विपरीत ऐसे ...

कोचिंग अब पूर्ण विकसित उद्योग में बदल गया है, अब सरकार इनकी आय चोरी पर लगाम लगाने जा रही

भारत में कोचिंग इंस्टीट्यूट एक बड़ा बिजनस सेक्टर बनकर सामने आया है। वर्तमान में सभी छोटे बड़े शहरों में सैकड़ों छोटे बड़े कोचिंग संस्थान कार्य कर रहे हैं। पटना, वाराणसी, लखनऊ, इलाहाबाद, दिल्ली, कोटा आदि बड़े कोचिंग हब बन ...

जयप्रकाश नारायण: एक over-celebrated एक्टिविस्ट जिन्होंने भारत को 5 दशक का दंश दिया

मातृभूमि और संप्रभुता सर्वोच्च है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम भी “जननी जन्मभूमिश्चा स्वर्गादपि गरीयसी” के माध्यम से भी यही सिद्धान्त प्रतिपादित करते हैं और महाभारत के रण में हस्तिनापुर का रक्षण करते भीष्म भी। अर्थ, तंत्र, व्यवस्था, व्यक्तित्व, सिद्धान्त, सोच ...

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