यूरोप वैश्विक समाज का ठेकेदार न बने– जयशंकर ने यूरोप को छठी का दूध याद दिलाया
एक होते हैं वीर, फिर आते हैं भौकाल और फिर आते हैं सुब्रह्मण्यम जयशंकर। भय और प्रोटोकॉल इनके शब्दकोश में मानो है ही नहीं। कभी अमेरिका को हड़का देते हैं तो कभी यूरोप को स्पष्ट रूप से सुना देते ...