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भारतीय टीम की पाकिस्तान के हाथों करारी हार की सबसे बड़ी वजह ये है

ऐसा कैसे हो सकता है जिस टीम के आगे अच्छे से अच्छे धुरंधर टीमें ढेर हो गयी वो ऐसे हार जाए? ऐसा कैसे हो सकता है की जिस टीम को कुछ ही हफ्तों पहले हमने धूल चटाई थी, उसी ...

उम्मीद थी की ममता दीदी के राज में पश्चिम बंगाल का अच्छे दिन आयेंगे, पर जो हुआ वो चौंकाने वाला था

पश्चिम बंगाल किसी जमाने में देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करता था और इसकी राजधानी पूरे देश के लिए आर्थिक राजधानी थी | जब देश के बाकी हिस्सों में रेल की भी सुविधा नही थी, यहां ...

आरम्भ हो चुका है भारत के इतिहास के भगवाकरण का

हाल ही में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद ने अपने इतिहास विषय के वर्तमान पाठ्यक्रम में संशोधन कराया है, और मैं गर्व से यह कहना चाहूँगा, की स्वतन्त्रता के सालों बाद, आखिरकार सच्चा भारतीय इतिहास राजस्थान में ही सही, पर ...

बीफ पर लड़ाई तो मीडिया की बनाई खिचड़ी है, आईआईटी मद्रास की तो कहानी हीं कुछ और निकली

पिछले कुछ दिनों से आप लगातार समाचारपत्रों एवं मीडिया चैनल्स के द्वारा चलायी जा रही ख़बरों में सुन रहे होंगे कि किस प्रकार से केंद्र सरकार के फैसले के विरुद्ध देश में “गौ हत्या” कर एक नयी परंपरा की ...

जब हिन्दू मुसलमान की राजनीति फ्लॉप हो गयी तो यही एक रास्ता रह गया है तथाकथित सेक्युलरों के पास

जोगेंद्र नाथ मंडल आजादी के समय के बड़े दलित नेता थे। उनका मत था कि मुसलमानों की तरह है दलित भी स्वतंत्र भारत में हिंदू बहुसंख्यक देश में नहीं रह पाएंगे। जोगेंद्र मुस्लिम लीग की अलग देश की दलित ...

भारत के इस राज्य को आखिर हुआ क्या है?

मैं बैरी, सुग्रीव पियारा। अवगुन कवन नाथ मोहि मारा।। बाली की इन पंक्तियों का उत्तर तो साक्षात् श्री राम के पास भी नहीं था। फिर विनोद दुआ से इसकी आशा करना तो सरासर नाइंसाफी होगी। वैसे विनोद दुआ के ...

क्यों झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर ने लगायी नितीश बाबू को झाड़ ?

अक्सर हमने देखा होगा, हमारे अड़ोस-पड़ोस में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके घरों में रोज कलह होती है, परिवारजनों के बीच मनमुटाव रहता है मगर फिर भी वो दूसरों के घरों की बातों पे टिपण्णी देते हैं, हर ...

आसमान का सीना चीर के आ गए, धरती की छाती फाड़ के आ गए – मेरे बब्बर-मसूद आ गए

मित्रों, राजनीति और नौटंकी का चोली दामन का साथ है। अजी यह न हो, तो जैसे दाल में नमक नहीं, गाड़ी में पेट्रोल नहीं, या यूं कहें, राजनीति में जान नहीं। पिछले पाँच छह सालों से राजनीति ने अनुसरण ...

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